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चम्बा , 14 अप्रैल [ शिवानी ] ! बैसाखी (बसोआ) पर्व के उपलक्ष्य पर मिस्टिक विलेज भलोली (खजियार) में एक संध्याकालीन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन मिस्टिक विलेज, नाट आन मैप तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद इकाई चंबा के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। मिस्टिक विलेज पहला गद्दी जनजातीय सामुदायिक आधारित गांव है। इस गांव को आउटलुक ट्रैवलर की ओर से भारतीय जिम्मेदार पर्यटन श्रेणी में रजत पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इस साहित्यिक संध्या में चंबा की समृद्ध लोक संस्कृति, परिवेश और साहित्यिक चेतना को रेखांकित करते हुए युवा व वरिष्ठ कवियों ने अपनी सशक्त रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष साहिल ने की, जबकि काव्य पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में युद्धवीर टंडन, किरण कुमार वशिष्ठ, रवि शर्मा, डा. कविता बिजलवान, शाम अजनबी, किशोर कालिया तथा बाल कवि आदिल श्री और आसमा श्री शामिल रहे। इस अवसर पर प्रस्तुत की गई कविताओं में सोचता तो है समंदर, किर्लू सेठ, नींद से जागो, धूम्र दंडिका, लिल बेलज देखो या मिस्टिक विलेज देखो जैसी रचनाएं विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। किरण कुमार वशिष्ठ की ओर से प्रस्तुत बसोआ और हिउंदा री गल्ला जैसी लोकधर्मी रचनाओं ने चम्बा की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत कर दिया। उल्लेखनीय यह रहा कि युद्धवीर टंडन ने न केवल अपनी सशक्त रचनाओं से सभी को प्रभावित किया, बल्कि उन्होंने कार्यक्रम के मंच संचालन को भी अत्यंत कुशलता और विनम्रता से निभाया। उनके संचालन ने पूरी गोष्ठी को एक लयबद्ध, गरिमामयी और संवादात्मक स्वरूप प्रदान किया। आयोजन के दौरान मिस्टिक विलेज के स्थानीय लोगों ने पारंपरिक सौंदर्य और गर्मजोशी से कार्यक्रम को सजाया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाई और कवियों की प्रस्तुतियों पर दिल खोलकर तालियां बजाईं। कवियों की ओजस्वी व भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावनाओं, संवेदनाओं और हास्य-व्यंग्य की एक सुंदर यात्रा पर ले गया। मिस्टिक विलेज में साहित्य की गांव की ओर यात्रा एक अनूठा और सराहनीय प्रयोग सिद्ध हुआ, जिसने ग्रामीण परिवेश में साहित्यिक गतिविधियों के विस्तार की नई संभावनाओं के द्वार खोले। यह अभिनव प्रयास न केवल सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, बल्कि यह ग्रामीण और शहरी साहित्यिक संवाद का सशक्त उदाहरण भी बन गया। इस आयोजन ने यह प्रमाणित किया कि साहित्य जब गांव की मिट्टी से जुड़ता है, तो उसकी आत्मा और अधिक प्रखर होकर सामने आती है।
चम्बा , 14 अप्रैल [ शिवानी ] ! बैसाखी (बसोआ) पर्व के उपलक्ष्य पर मिस्टिक विलेज भलोली (खजियार) में एक संध्याकालीन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन मिस्टिक विलेज, नाट आन मैप तथा अखिल भारतीय साहित्य परिषद इकाई चंबा के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। मिस्टिक विलेज पहला गद्दी जनजातीय सामुदायिक आधारित गांव है।
इस गांव को आउटलुक ट्रैवलर की ओर से भारतीय जिम्मेदार पर्यटन श्रेणी में रजत पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। इस साहित्यिक संध्या में चंबा की समृद्ध लोक संस्कृति, परिवेश और साहित्यिक चेतना को रेखांकित करते हुए युवा व वरिष्ठ कवियों ने अपनी सशक्त रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष साहिल ने की, जबकि काव्य पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में युद्धवीर टंडन, किरण कुमार वशिष्ठ, रवि शर्मा, डा. कविता बिजलवान, शाम अजनबी, किशोर कालिया तथा बाल कवि आदिल श्री और आसमा श्री शामिल रहे।
इस अवसर पर प्रस्तुत की गई कविताओं में सोचता तो है समंदर, किर्लू सेठ, नींद से जागो, धूम्र दंडिका, लिल बेलज देखो या मिस्टिक विलेज देखो जैसी रचनाएं विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। किरण कुमार वशिष्ठ की ओर से प्रस्तुत बसोआ और हिउंदा री गल्ला जैसी लोकधर्मी रचनाओं ने चम्बा की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत कर दिया।
उल्लेखनीय यह रहा कि युद्धवीर टंडन ने न केवल अपनी सशक्त रचनाओं से सभी को प्रभावित किया, बल्कि उन्होंने कार्यक्रम के मंच संचालन को भी अत्यंत कुशलता और विनम्रता से निभाया। उनके संचालन ने पूरी गोष्ठी को एक लयबद्ध, गरिमामयी और संवादात्मक स्वरूप प्रदान किया। आयोजन के दौरान मिस्टिक विलेज के स्थानीय लोगों ने पारंपरिक सौंदर्य और गर्मजोशी से कार्यक्रम को सजाया।
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी ने आयोजन में सक्रिय भागीदारी निभाई और कवियों की प्रस्तुतियों पर दिल खोलकर तालियां बजाईं। कवियों की ओजस्वी व भावपूर्ण प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावनाओं, संवेदनाओं और हास्य-व्यंग्य की एक सुंदर यात्रा पर ले गया। मिस्टिक विलेज में साहित्य की गांव की ओर यात्रा एक अनूठा और सराहनीय प्रयोग सिद्ध हुआ, जिसने ग्रामीण परिवेश में साहित्यिक गतिविधियों के विस्तार की नई संभावनाओं के द्वार खोले।
यह अभिनव प्रयास न केवल सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, बल्कि यह ग्रामीण और शहरी साहित्यिक संवाद का सशक्त उदाहरण भी बन गया। इस आयोजन ने यह प्रमाणित किया कि साहित्य जब गांव की मिट्टी से जुड़ता है, तो उसकी आत्मा और अधिक प्रखर होकर सामने आती है।
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