- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा , 05 जुलाई [ शिवानी ] ! चम्बा जिले में बहने वाली दो नदियाँ वर्षो से स्थानीय मच्छरवारो के साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजी रोटी का साधन बनी हुई है। प्रदेश सरकार इसमें और संसाधन कैसे बढाए अब मत्स्य विभाग और भी बढ़ोतरी करने जा रहा है। आज सुबह मत्स्य विभाग के ऑब्जर्वर विवेक शर्मा ने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि कोमनकार प्रजाति की मछली की जो प्रजाति है उसको आज हम अपने मत्स्य फार्म जोकि सुल्तानपुर में है उसको रावी नदी के ऊपर बने चमेरा प्रथम के जलाश्य में छोड़ने जा रहे है। उन्होंने बताया कि कोमनकार प्रजाति की मछली जिसकी ग्रोथ बहुत ही जल्दी होती है और एक साल के भीतर ही इसका साईज और इसका वजन अन्य मछलियों की अपेक्षा जायदा हो जाता है। मत्स्य विभाग के ऑब्जर्वर विवेक शर्मा ने अन्य जानकारी देते हुए बताया कि चंबा जिले में एक मात्र फार्म है जोकि बहुत बड़ा है पर इस मत्स्य फार्म में सबसे बड़ी दिक्कत इस बात की आ रही है कि बनाए गए इस फार्म में ड्रेन का गंदा पानी इन टैंक में चला आता है। जिस कारण हमारे विभाग को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन इससे संबंधित विभाग से वार्तालाप की है और जल्द ही इसका कोई न कोई हल अवश्य निकल आएगा। उन्होंने बताया कि आज चमेरा चरण एक के जलाश्य में 27, हज़ार मछलियों को डाला जा रहा है। और यह मछलियां एक साल से डेढ़ साल के भीतर तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार और केंद्र की सरकार पर्यरस्त है कि दूर दराज के क्षेत्र जिनके आसपास छोटे छोटे नाले बहते है उनके किनारे इन मछलियों के टैंक को बनाया जाए और मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को इसका सीधा लाभ मिल सके।
चम्बा , 05 जुलाई [ शिवानी ] ! चम्बा जिले में बहने वाली दो नदियाँ वर्षो से स्थानीय मच्छरवारो के साथ स्थानीय लोगों के लिए रोजी रोटी का साधन बनी हुई है। प्रदेश सरकार इसमें और संसाधन कैसे बढाए अब मत्स्य विभाग और भी बढ़ोतरी करने जा रहा है।
आज सुबह मत्स्य विभाग के ऑब्जर्वर विवेक शर्मा ने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि कोमनकार प्रजाति की मछली की जो प्रजाति है उसको आज हम अपने मत्स्य फार्म जोकि सुल्तानपुर में है उसको रावी नदी के ऊपर बने चमेरा प्रथम के जलाश्य में छोड़ने जा रहे है। उन्होंने बताया कि कोमनकार प्रजाति की मछली जिसकी ग्रोथ बहुत ही जल्दी होती है और एक साल के भीतर ही इसका साईज और इसका वजन अन्य मछलियों की अपेक्षा जायदा हो जाता है।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
मत्स्य विभाग के ऑब्जर्वर विवेक शर्मा ने अन्य जानकारी देते हुए बताया कि चंबा जिले में एक मात्र फार्म है जोकि बहुत बड़ा है पर इस मत्स्य फार्म में सबसे बड़ी दिक्कत इस बात की आ रही है कि बनाए गए इस फार्म में ड्रेन का गंदा पानी इन टैंक में चला आता है।
जिस कारण हमारे विभाग को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है लेकिन इससे संबंधित विभाग से वार्तालाप की है और जल्द ही इसका कोई न कोई हल अवश्य निकल आएगा। उन्होंने बताया कि आज चमेरा चरण एक के जलाश्य में 27, हज़ार मछलियों को डाला जा रहा है। और यह मछलियां एक साल से डेढ़ साल के भीतर तैयार हो जाती है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार और केंद्र की सरकार पर्यरस्त है कि दूर दराज के क्षेत्र जिनके आसपास छोटे छोटे नाले बहते है उनके किनारे इन मछलियों के टैंक को बनाया जाए और मत्स्य पालन से जुड़े लोगों को इसका सीधा लाभ मिल सके।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -