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शिमला , 18 जून ! प्रदेश में आचार संहिता हटने के बाद पहली कैबिनेट की बैठक प्रदेश सचिवालय शिमला में हुई. इस दौरान दृष्टि बाधितों ने प्रदेश सचिवालय से थोड़ी दूरी पर प्रदेश सरकार के खिलाफ एक बार फिर धरना प्रदर्शन किया. वहीं मौके पर पुलिस प्रशासन ने दृष्टिबाधितों को सड़क से हटाने की कोशिश की. इसमें पुलिस बल और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का मुक्की भी हुई. दृष्टिबाधित पिछले 8 महीने से लंबित बैकलॉग भर्तियों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. दृष्टिबाधितों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें केवल झूठे आश्वासन दिए गए लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया। प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने सचिवालय पहुंचे दृष्टिबाधितों का कहना है कि पिछले 8 महीने से दृष्टिबाधित लगातार विभिन्न विभागों में लंबित पड़ी बैकलॉग कोटा भर्तियों को भर्ती मेले के तहत एक मुश्त भरने की मांग कर रहे हैं. लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हुई लेकिन उन्हें केवल मीठी गोलियां खिलाई गई. ऐसे में दृष्टिबाधितों को एक बार फिर सड़कों पर उतरना पड़ा है. उनका कहना है कि दृष्टि बाधित होना अपने आप में एक चुनौती है. ऐसे में अगर किसी भी प्रकार की हानि किसी भी दृष्टि बाधित को पहुंचती है तो उसके लिए प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।
शिमला , 18 जून ! प्रदेश में आचार संहिता हटने के बाद पहली कैबिनेट की बैठक प्रदेश सचिवालय शिमला में हुई. इस दौरान दृष्टि बाधितों ने प्रदेश सचिवालय से थोड़ी दूरी पर प्रदेश सरकार के खिलाफ एक बार फिर धरना प्रदर्शन किया. वहीं मौके पर पुलिस प्रशासन ने दृष्टिबाधितों को सड़क से हटाने की कोशिश की. इसमें पुलिस बल और प्रदर्शनकारियों के बीच धक्का मुक्की भी हुई. दृष्टिबाधित पिछले 8 महीने से लंबित बैकलॉग भर्तियों की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. दृष्टिबाधितों का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें केवल झूठे आश्वासन दिए गए लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया गया।
प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने सचिवालय पहुंचे दृष्टिबाधितों का कहना है कि पिछले 8 महीने से दृष्टिबाधित लगातार विभिन्न विभागों में लंबित पड़ी बैकलॉग कोटा भर्तियों को भर्ती मेले के तहत एक मुश्त भरने की मांग कर रहे हैं. लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. उनका कहना है कि प्रदेश सरकार के साथ कई दौर की बातचीत हुई लेकिन उन्हें केवल मीठी गोलियां खिलाई गई.
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ऐसे में दृष्टिबाधितों को एक बार फिर सड़कों पर उतरना पड़ा है. उनका कहना है कि दृष्टि बाधित होना अपने आप में एक चुनौती है. ऐसे में अगर किसी भी प्रकार की हानि किसी भी दृष्टि बाधित को पहुंचती है तो उसके लिए प्रदेश सरकार और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।
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