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शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी में स्थित इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज में भी सरकार कैंसर के मरीजों को दवाइयां नहीं उपलब्ध करवा पा रही है इसके बाद भी बड़ी-बड़ी बातें कर रही है। अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए झूठ बोलना बहुत ही बेशर्मी की बात है। क्या इस सरकार का एकमात्र एजेंडा और गवर्नेंस का मॉडल झूठ का मॉडल है? क्या मुख्यमंत्री अखबार नहीं पढ़ते या उन्हें उनके सलाहकारों द्वारा बताया नहीं जाता कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हाल है? कैंसर के इलाज समय का कितना महत्त्व होता है, यह बात हर आदमी जानता है लेकिन यह बात मुख्यमंत्री को और हमारे स्वास्थ्य महकमे के सर्वेसर्वा लोगों को नहीं पता है। कैंसर का इलाज करा रहे पेशेंट के लिए यूज़ की जाने वाली इम्यूनोथेरपी के इंजेक्शन प्रदेश के सबसे बड़े संस्थान आईजीएमसी में भी नहीं है। पेशेंट आते हैं और इंजेक्शन न मिलने पर बिना इलाज के ही लौट जाते हैं। इसके बाद प्रदेश के मुखिया बड़े-बड़े मंचों से खड़े होकर कहते हैं की हमने तो स्वास्थ्य व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कर दी है। ऐसी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था प्रदेश को नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री इस बात को समझें की बड़ी-बड़ी बातों से बीमारियों के इलाज नहीं होते हैं उसके लिए दवा, डॉक्टर, टेक्नीशियन, और इक्विपमेंट की जरूरत होती है। इसलिए मुख्यमंत्री बड़ी-बड़ी बातों से मरीजों के जीवन फिर खिलवाड़ करना बंद कर दें। नेता प्रतिपक्ष ने कहा की हर दिन प्रदेश के अखबारों में स्वास्थ्य व्यवस्था के रसातल में चले जाने की खबरें प्रमुखता से छपती हैं। कभी ओपन हार्ट सर्जरी के लिए ऐडमिट पेशेंट बेड से वापस लौटा दिए जाते हैं तो कभी छोटे मोटे ऑपरेशन के लिए आए मरीज बिना ऑपरेशन के ही घर भेज दिए जाते हैं। सामान्य से सामान्य जांचों की किट और रूटीन में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां भी आईजीएमसी में उपलब्ध नहीं रहती है। जिसके कारण लोगों को या तो बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती है या बिना पूरी दवाइयों के ही इलाज करवाना पड़ता है। यह सिर्फ इसलिए है कि सरकार दवा आपूर्ति करने वाली संस्थाओं के पुराने बिलों का भुगतान नहीं कर रही है। दुखद स्थिति ये है की यह हालात प्रदेश के दूरस्थ स्थित किसी सामान्य संस्थान के न होकर आईजीएमसी जैसे प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित संस्थान के हैं। हर बार लोगों को सिर्फ इसलिए परेशानी झेलनी पड़ती है कि मुख्यमंत्री सिर्फ बड़े-बड़े मंचों से बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और मूलभूत समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं। जयराम ठाकुर ने कहा कि झूठ बोलकर गलत आंकड़े पेश करके मुख्यमंत्री सिर्फ और सिर्फ अपने आलाकमान को गुमराह कर सकते हैं हिमाचल प्रदेश के लोगों को नहीं। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के एक भी झूठ को चलने नहीं देगी। हर दिन उनके सभी झूठ बेनकाब किए जाएंगे। प्रदेश में लोगो के इलाज के लिए पूर्व सरकार द्वारा जो भी विश्वस्तरीय प्रयास किए गए थे उसे मुख्यमंत्री ने एक झटके में ही तबाह कर दिया है। आज आईजीएमसी जैसे संस्थानों में अगर बेहद संवेदनशील माने जाने वाली कैंसर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों की दवाएं और चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं तो इससे शर्मनाक बात कुछ नहीं हो सकती। अगर आज ओपन हार्ट सर्जरी के मरीज भर्ती करने के बाद भी घर वापस भेजने पड़ रहे हैं तो ऐसे हालात का जिम्मेदार कौन है? सरकार के इस नाकारेपन से यदि किसी भी मरीज के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए कहा की राजनीति अपनी जगह है बीमार लोगों का इलाज और स्वास्थ्य लाभ अपनी जगह। इसलिए मेहरबानी करके स्वास्थ्य व्यवस्था की तबाह हो चुकी स्थिति के बारे में गंभीरता से विचार करें। क्योंकि जीवन अनमोल है और एक बार सरकारी निकम्मेपन की वजह से उसकी क्षति होती है तो उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। मैं यह बात बार बार इसलिए दोहरा रहा हूँ क्योंकि सरकार को लगता ही नहीं है कि स्वास्थ्य व्यवस्था इतने बुरे दौर से गुजर रही है। जब सरकार को इस बात का एहसास ही नहीं होगा तो वह सुधार के लिए कोई कदम भी नहीं उठाएगी।
शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल सरकार और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजधानी में स्थित इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज में भी सरकार कैंसर के मरीजों को दवाइयां नहीं उपलब्ध करवा पा रही है इसके बाद भी बड़ी-बड़ी बातें कर रही है। अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए झूठ बोलना बहुत ही बेशर्मी की बात है। क्या इस सरकार का एकमात्र एजेंडा और गवर्नेंस का मॉडल झूठ का मॉडल है? क्या मुख्यमंत्री अखबार नहीं पढ़ते या उन्हें उनके सलाहकारों द्वारा बताया नहीं जाता कि प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था के क्या हाल है? कैंसर के इलाज समय का कितना महत्त्व होता है, यह बात हर आदमी जानता है लेकिन यह बात मुख्यमंत्री को और हमारे स्वास्थ्य महकमे के सर्वेसर्वा लोगों को नहीं पता है। कैंसर का इलाज करा रहे पेशेंट के लिए यूज़ की जाने वाली इम्यूनोथेरपी के इंजेक्शन प्रदेश के सबसे बड़े संस्थान आईजीएमसी में भी नहीं है। पेशेंट आते हैं और इंजेक्शन न मिलने पर बिना इलाज के ही लौट जाते हैं। इसके बाद प्रदेश के मुखिया बड़े-बड़े मंचों से खड़े होकर कहते हैं की हमने तो स्वास्थ्य व्यवस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कर दी है। ऐसी अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था प्रदेश को नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री इस बात को समझें की बड़ी-बड़ी बातों से बीमारियों के इलाज नहीं होते हैं उसके लिए दवा, डॉक्टर, टेक्नीशियन, और इक्विपमेंट की जरूरत होती है। इसलिए मुख्यमंत्री बड़ी-बड़ी बातों से मरीजों के जीवन फिर खिलवाड़ करना बंद कर दें।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा की हर दिन प्रदेश के अखबारों में स्वास्थ्य व्यवस्था के रसातल में चले जाने की खबरें प्रमुखता से छपती हैं। कभी ओपन हार्ट सर्जरी के लिए ऐडमिट पेशेंट बेड से वापस लौटा दिए जाते हैं तो कभी छोटे मोटे ऑपरेशन के लिए आए मरीज बिना ऑपरेशन के ही घर भेज दिए जाते हैं। सामान्य से सामान्य जांचों की किट और रूटीन में इस्तेमाल होने वाली दवाइयां भी आईजीएमसी में उपलब्ध नहीं रहती है। जिसके कारण लोगों को या तो बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती है या बिना पूरी दवाइयों के ही इलाज करवाना पड़ता है। यह सिर्फ इसलिए है कि सरकार दवा आपूर्ति करने वाली संस्थाओं के पुराने बिलों का भुगतान नहीं कर रही है। दुखद स्थिति ये है की यह हालात प्रदेश के दूरस्थ स्थित किसी सामान्य संस्थान के न होकर आईजीएमसी जैसे प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित संस्थान के हैं। हर बार लोगों को सिर्फ इसलिए परेशानी झेलनी पड़ती है कि मुख्यमंत्री सिर्फ बड़े-बड़े मंचों से बड़ी-बड़ी बातें करते हैं और मूलभूत समस्याओं पर ध्यान नहीं देते हैं।
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जयराम ठाकुर ने कहा कि झूठ बोलकर गलत आंकड़े पेश करके मुख्यमंत्री सिर्फ और सिर्फ अपने आलाकमान को गुमराह कर सकते हैं हिमाचल प्रदेश के लोगों को नहीं। भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के एक भी झूठ को चलने नहीं देगी। हर दिन उनके सभी झूठ बेनकाब किए जाएंगे। प्रदेश में लोगो के इलाज के लिए पूर्व सरकार द्वारा जो भी विश्वस्तरीय प्रयास किए गए थे उसे मुख्यमंत्री ने एक झटके में ही तबाह कर दिया है। आज आईजीएमसी जैसे संस्थानों में अगर बेहद संवेदनशील माने जाने वाली कैंसर और हार्ट से जुड़ी बीमारियों की दवाएं और चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं तो इससे शर्मनाक बात कुछ नहीं हो सकती। अगर आज ओपन हार्ट सर्जरी के मरीज भर्ती करने के बाद भी घर वापस भेजने पड़ रहे हैं तो ऐसे हालात का जिम्मेदार कौन है? सरकार के इस नाकारेपन से यदि किसी भी मरीज के साथ कोई अनहोनी होती है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? उन्होंने मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए कहा की राजनीति अपनी जगह है बीमार लोगों का इलाज और स्वास्थ्य लाभ अपनी जगह। इसलिए मेहरबानी करके स्वास्थ्य व्यवस्था की तबाह हो चुकी स्थिति के बारे में गंभीरता से विचार करें। क्योंकि जीवन अनमोल है और एक बार सरकारी निकम्मेपन की वजह से उसकी क्षति होती है तो उसकी भरपाई नहीं की जा सकती। मैं यह बात बार बार इसलिए दोहरा रहा हूँ क्योंकि सरकार को लगता ही नहीं है कि स्वास्थ्य व्यवस्था इतने बुरे दौर से गुजर रही है। जब सरकार को इस बात का एहसास ही नहीं होगा तो वह सुधार के लिए कोई कदम भी नहीं उठाएगी।
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