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शिमला , 20 ऑक्टूबर ! विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के साथ-साथ उनका सामाजिक विकास भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। शिक्षित विद्यार्थी, जिम्मेदार नागरिक बन सशक्त समाज का निर्माण करते हैं। प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के कायाकल्प के लिए अनेक नवाचार कदम उठाए हैं। ऐसी ही एक पहल है ‘अपना विद्यालयः द हिमाचल स्कूल अडोप्शन प्रोग्राम’ इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेशवासी राजकीय पाठशालाओं को गोद लेकर शिक्षा क्षेत्र के सुधार में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित कर रहे हैं। इस योजना की मूल भावना स्कूलों के विद्यार्थियों और समाज के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करना है। कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यार्थियों की सामूहिक भागीदारी को बढ़ाकर उन्हें सामाजिक कार्यों से जोड़ा जा रहा है और करियर परामर्श, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं सहित अन्य विषयों का समग्र ज्ञान दिया जा रहा है। कार्यक्रम की सफलता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 427 विद्यालयों को समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा गोद लिया गया है। इसमें 109 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं, 9 राजकीय उच्च पाठशालाएं, 33 राजकीय माध्यमिक पाठशालाएं और 285 राजकीय प्राथमिक पाठशालाएं शामिल हैं। सोशल मीडिया, नशे की प्रवृति इत्यादि आदतों से आज का युवा समाज से विमुख हो रहा है। युवाओं को समाज के प्रति जिम्मेदारियों का बोध करवाने के लिए यह योजना मील पत्थर साबित हो रही है। योजना के तहत गोद लिए गए विद्यालयों में जाकर बच्चों की करियर काउंसलिंग, नशे की बुराईयों, महिला सशक्तिकरण, कानूनी जानकारी और मौलिक कर्त्तव्यों की जानकारी दी जाती है। कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल पैट्रन अभियान के तहत गणमान्य व्यक्ति स्कूल पैट्रन बन स्कूलों के स्टाफ और एसएमसी के साथ बैठकें आयोजित कर शिक्षा और शिक्षण में गुणात्मक सुधार की दिशा में कार्य कर रहे हैं। ‘माई स्कूल माई अभियान’ के तहत शिक्षा के साथ-साथ योगा, खेल इत्यादि गतिविधियों में विद्यार्थियों की भागीदारी को बढ़ाया जा रहा है। शैक्षणिक सहयोग टीमें विशेषतौर पर बच्चों के ज्ञानवर्धन की दिशा में कार्य कर रही है। सेवानिवृत्त अध्यापक, सरकारी और केन्द्रीय सेवाओं से सेवानिवृत्त कर्मचारी और पेशेवर इत्यादि लोग इस कार्य में अपना सहयोग दे रहे हैं। बच्चों को मूल्य आधारित शिक्षा, कानूनी जानकारी, पोषण आवश्यकता, नशा निवारण और रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए संवाद कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ‘अपना विद्यालय: द हिमाचल स्कूल अडोप्शन प्रोग्राम’ के अन्तर्गत जिला बिलासपुर में 21, चम्बा में 48, हमीरपुर में 32, कांगड़ा में 35, किन्नौर में 2, कुल्लू में 18, मंडी में 66, शिमला में 117, सिरमौर में 1 और सोलन में 96 स्कूल गोद लिए गए हैं। हिमाचल शिक्षा क्षेत्र में रूपान्तरकारी सुधारों के युग का साक्षी बन रहा है। इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश में गुणात्मक शिक्षा तंत्र को स्थापित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जनसहभागिता सुनिश्चित कर शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक आ रहे हैं।
शिमला , 20 ऑक्टूबर ! विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के साथ-साथ उनका सामाजिक विकास भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। शिक्षित विद्यार्थी, जिम्मेदार नागरिक बन सशक्त समाज का निर्माण करते हैं।
प्रदेश सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के कायाकल्प के लिए अनेक नवाचार कदम उठाए हैं। ऐसी ही एक पहल है ‘अपना विद्यालयः द हिमाचल स्कूल अडोप्शन प्रोग्राम’ इस कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेशवासी राजकीय पाठशालाओं को गोद लेकर शिक्षा क्षेत्र के सुधार में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित कर रहे हैं।
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इस योजना की मूल भावना स्कूलों के विद्यार्थियों और समाज के मध्य बेहतर समन्वय स्थापित करना है। कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्यार्थियों की सामूहिक भागीदारी को बढ़ाकर उन्हें सामाजिक कार्यों से जोड़ा जा रहा है और करियर परामर्श, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं सहित अन्य विषयों का समग्र ज्ञान दिया जा रहा है।
कार्यक्रम की सफलता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक 427 विद्यालयों को समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा गोद लिया गया है। इसमें 109 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं, 9 राजकीय उच्च पाठशालाएं, 33 राजकीय माध्यमिक पाठशालाएं और 285 राजकीय प्राथमिक पाठशालाएं शामिल हैं।
सोशल मीडिया, नशे की प्रवृति इत्यादि आदतों से आज का युवा समाज से विमुख हो रहा है। युवाओं को समाज के प्रति जिम्मेदारियों का बोध करवाने के लिए यह योजना मील पत्थर साबित हो रही है। योजना के तहत गोद लिए गए विद्यालयों में जाकर बच्चों की करियर काउंसलिंग, नशे की बुराईयों, महिला सशक्तिकरण, कानूनी जानकारी और मौलिक कर्त्तव्यों की जानकारी दी जाती है।
कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल पैट्रन अभियान के तहत गणमान्य व्यक्ति स्कूल पैट्रन बन स्कूलों के स्टाफ और एसएमसी के साथ बैठकें आयोजित कर शिक्षा और शिक्षण में गुणात्मक सुधार की दिशा में कार्य कर रहे हैं। ‘माई स्कूल माई अभियान’ के तहत शिक्षा के साथ-साथ योगा, खेल इत्यादि गतिविधियों में विद्यार्थियों की भागीदारी को बढ़ाया जा रहा है।
शैक्षणिक सहयोग टीमें विशेषतौर पर बच्चों के ज्ञानवर्धन की दिशा में कार्य कर रही है। सेवानिवृत्त अध्यापक, सरकारी और केन्द्रीय सेवाओं से सेवानिवृत्त कर्मचारी और पेशेवर इत्यादि लोग इस कार्य में अपना सहयोग दे रहे हैं। बच्चों को मूल्य आधारित शिक्षा, कानूनी जानकारी, पोषण आवश्यकता, नशा निवारण और रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करने के लिए संवाद कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
‘अपना विद्यालय: द हिमाचल स्कूल अडोप्शन प्रोग्राम’ के अन्तर्गत जिला बिलासपुर में 21, चम्बा में 48, हमीरपुर में 32, कांगड़ा में 35, किन्नौर में 2, कुल्लू में 18, मंडी में 66, शिमला में 117, सिरमौर में 1 और सोलन में 96 स्कूल गोद लिए गए हैं।
हिमाचल शिक्षा क्षेत्र में रूपान्तरकारी सुधारों के युग का साक्षी बन रहा है। इस योजना के अन्तर्गत प्रदेश में गुणात्मक शिक्षा तंत्र को स्थापित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत जनसहभागिता सुनिश्चित कर शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक आ रहे हैं।
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