हिमाचल में बढ़ती नशा प्रवत्तिः समस्या एवं समाधान पर संगोष्ठी का आयोजन*
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शिमला , 12 नवंबर ! राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि देवभूमि को नशामुक्त करना है तो इसके लिये संकल्प की आवश्यकता है क्योंकि कारण और निवारण समाज के अंदर ही हैं। उन्होंने कहा कि नशे का अवैध कारोबार करने वाले लोग इस समाज के ही हैं जिन्हें उजागर किया जाना चाहिये। राज्यपाल आज यहां शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट शिमला द्वारा ‘‘हिमाचल में बढ़ती नशा प्रवत्तिः समस्या एवं समाधान’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने ऊपर नियंत्रण न होना इसका मुख्य कारण है। विद्यार्थी जब शिक्षा ग्रहण करने जाता है और नशे का शिकार हो जाता है तो इसका कारण है कि शिक्षा ग्रहण करने में कहीं बाधा है, जिसपर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य को नशामुक्त बनाने में सामाजिक संगठन और पंचायतें अहम भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने विद्यर्थियों से भी आग्रह किया कि वे ऐसे असमाजिक तत्वों को उजागर करें और उन्हें ऐसा करने से रोकने का प्रयास करें। युवा संगठनों के माध्यम से जब इस तरह की कोशिश होतो तो हम भावी पीढ़ी को नशे से बचा सकते हैं। श्री शुक्ल ने कहा कि पंचायतें जब यह तय कर लेंगी कि हिमाचल नशामुक्त हो सकता है तभी राज्य को नशे के दलदल से बचाया जा सकता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे पहले दूसरों के बच्चों को नशे में न आने दें तभी अपने बच्चों को नशे से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि नशे का एक और कारण यह है कि डिमांड पर रोक नही लग रही है, इसलिये नाश खत्म नही हो रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है लेकिन लोगों को इस बाबत जागरूक होना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को अपने स्तर पर नशा निवारण केंद्र खोलने चाहिये। सोलन जिले के औद्योगिक क्षेत्र में नशीले पदार्थ के निर्माण पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जब से वह हिमाचल के राज्यपाल बनें हैं वह नशे के खिलाफ काम कर रहे हैं लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश के लोग जब अपनी समृद्ध परम्परा को पुनः स्थापित करेंगे तभी इस लड़ाई में हम जीत हासिल कर सकते हैं। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री ओ.पी.शर्मा ने कहा कि नशा आज समाज में गंभीर रूप ले चुका है और प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों तक ‘चिट्टा’ पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि इस मामले में समाज में मानवीय संवेदनाओं का अभाव है। हम इसका आंकलन ही नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में एकीकृत नशा निवारण नीति को कार्यान्वित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समाज में इस विषय को लेकर जागरूकता चलती रहनी चाहिये। उन्होंने कहा कि यह समस्या जितनी सरकार की है उतनी ही समाज की भी है। सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग प्रमुख प्रो. संजय शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर, सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के सह सचिव नितिन व्यास ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
शिमला , 12 नवंबर ! राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि देवभूमि को नशामुक्त करना है तो इसके लिये संकल्प की आवश्यकता है क्योंकि कारण और निवारण समाज के अंदर ही हैं। उन्होंने कहा कि नशे का अवैध कारोबार करने वाले लोग इस समाज के ही हैं जिन्हें उजागर किया जाना चाहिये।
राज्यपाल आज यहां शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट शिमला द्वारा ‘‘हिमाचल में बढ़ती नशा प्रवत्तिः समस्या एवं समाधान’’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
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राज्यपाल ने कहा कि हमें अपने ऊपर नियंत्रण न होना इसका मुख्य कारण है। विद्यार्थी जब शिक्षा ग्रहण करने जाता है और नशे का शिकार हो जाता है तो इसका कारण है कि शिक्षा ग्रहण करने में कहीं बाधा है, जिसपर विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि राज्य को नशामुक्त बनाने में सामाजिक संगठन और पंचायतें अहम भूमिका निभा सकती हैं।
उन्होंने विद्यर्थियों से भी आग्रह किया कि वे ऐसे असमाजिक तत्वों को उजागर करें और उन्हें ऐसा करने से रोकने का प्रयास करें। युवा संगठनों के माध्यम से जब इस तरह की कोशिश होतो तो हम भावी पीढ़ी को नशे से बचा सकते हैं।
श्री शुक्ल ने कहा कि पंचायतें जब यह तय कर लेंगी कि हिमाचल नशामुक्त हो सकता है तभी राज्य को नशे के दलदल से बचाया जा सकता है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे पहले दूसरों के बच्चों को नशे में न आने दें तभी अपने बच्चों को नशे से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि नशे का एक और कारण यह है कि डिमांड पर रोक नही लग रही है, इसलिये नाश खत्म नही हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार अपने स्तर पर कार्य कर रही है लेकिन लोगों को इस बाबत जागरूक होना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को अपने स्तर पर नशा निवारण केंद्र खोलने चाहिये। सोलन जिले के औद्योगिक क्षेत्र में नशीले पदार्थ के निर्माण पर भी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि जब से वह हिमाचल के राज्यपाल बनें हैं वह नशे के खिलाफ काम कर रहे हैं लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिली है। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रदेश के लोग जब अपनी समृद्ध परम्परा को पुनः स्थापित करेंगे तभी इस लड़ाई में हम जीत हासिल कर सकते हैं।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री ओ.पी.शर्मा ने कहा कि नशा आज समाज में गंभीर रूप ले चुका है और प्रदेश के दूर-दराज क्षेत्रों तक ‘चिट्टा’ पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि इस मामले में समाज में मानवीय संवेदनाओं का अभाव है। हम इसका आंकलन ही नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में एकीकृत नशा निवारण नीति को कार्यान्वित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समाज में इस विषय को लेकर जागरूकता चलती रहनी चाहिये। उन्होंने कहा कि यह समस्या जितनी सरकार की है उतनी ही समाज की भी है।
सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के उपाध्यक्ष अशोक शर्मा तथा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग प्रमुख प्रो. संजय शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर, सुनील उपाध्याय एजुकेशनल ट्रस्ट के सह सचिव नितिन व्यास ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
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