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बिलासपुर , 02 मई [ राकेश शर्मा ] ! दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करके उनका भविष्य संवारने के साथ ही अपने सभी सामाजिक दायित्व बखूबी निभा रही स्पेशल ओलंपिक भारत की अध्यक्ष डाॅ. मल्लिका नड्डा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और महत्वपूर्ण दायित्व मिला है। उन्हें स्पेशल ओलंपिक एशिया पेसिफिक ने एशिया पेसिफिक एडवाइज़री काउंसिल (एपीएसी) की चेयरपर्सन बनाया है। वह एशिया पेसिफिक रीजन के 35 देशों का प्रतिनिधित्व करेंगी। इस नई जिम्मेदारी से उनका कद और भी अधिक ऊंचा हुआ है। इससे उनके घर बिलासपुर समेत पूरे हिमाचल के लोग खुद को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। डाॅ. मल्लिका नड्डा पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। वर्ष 1991 में भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ परिणय सूत्र में बंधने के बाद उन्होंने बिलासपुर में चेतना संस्था की नींव रखी थी। यह संस्था दिव्यांगजनों के साथ ही महिला सशक्तिकरण एवं युवाओं के व्यक्तित्व विकास की दिशा में भी कार्यरत है। चेतना संस्था में 2 बच्चों के साथ शुरू किए गए स्पेशल स्कूल (डे-केयर सेंटर) में वर्तमान में बच्चों की संख्या 200 पहंुच गई है। अब तक लगभग 1500 दिव्यांग बच्चे इस स्कूल से शिक्षा व प्रशिक्षण ले चुके हैं। इनमें से लगभग 500 बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों मंे काम कर रहे हैं। डाॅ. मल्लिका नड्डा के गहन प्रयासों से दिव्यांगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया है। आत्मनिर्भर बनकर वे जहां समाज का अभिन्न हिस्सा बने हैं, वहीं अपने परिवार के लिए सहारा भी साबित हो रहे हैं। वर्ष 2002 में स्पेशल ओलंपिक भारत हिमाचल प्रदेश की शुरुआत करके डाॅ. मल्लिका नड्डा ने पहली बार स्नो स्पोर्ट्स और विंटर गेम्स के आयोजन के माध्यम से दिव्यांगों को वल्र्ड ओलंपिक विंटर गेम्स में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। चेतना संस्था के बच्चे स्पेशल ओलंपिक में भी परचम लहराते आए हैं। 25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा पूरी करने पर हाल ही में आयोजित संस्था के रजत जयंती समारोह में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी डाॅ. मल्लिका नड्डा और उनकी टीम की मुक्त कंठ से सराहना की थी। वह अपने सामाजिक दायित्व भी बखूबी निभा रही हैं। कोरोना काल के साथ ही पिछले साल हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के दौरान उनकी अगुवाई में प्रभावितों की हरसंभव सहायता की गई थी। डाॅ. मल्लिका नड्डा ने वर्ष 2021 में स्पेशल ओलंपिक भारत के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। कोविड के बाद उनके मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवस पर 7 अप्रैल 2022 को देश भर में 133 स्थानो पर ‘दिव्यांग हेल्थ फेस्ट’ का आयोजन किया गया था। इनमें देश भर के 1 लाख से अधिक मानसिक दिव्यांगता से ग्रसित लोग डिजिटली पंजीकृत हुए थे, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाया गया था। इस उल्लेखनीय कार्य के लिए स्पेशल ओलंपिक भारत का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वल्र्ड टेलेंट ऑर्गेनाइजेशन में दर्ज हो चुका है। अब उन्हें स्पेशल ओलंपिक एशिया पेसिफिक ने एशिया पेसिफिक एडवाइज़री काउंसिल की चेयरपर्सन बनाया है। डाॅ. मल्लिका नड्डा ने कहा कि उन्हें इस क्षमता में सेवा करने और ऐसी काउंसिल में स्पेशल ओलंपिक भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। यह उनके लिए सौभाग्य की बात है। एडवाइज़री काउंसिल के महत्वपूर्ण कार्य में योगदान करने और एशिया पेसिफिक क्षेत्र के सभी साथियों के साथ विश्व स्तर पर विशेष ओलंपिक के लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ ही खेल, स्वास्थ्य व शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में स्पेशल ओलंपिक के मिशन को आगे बढ़ाने में वह यथासंभव प्रयास करेंगी।
बिलासपुर , 02 मई [ राकेश शर्मा ] ! दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में शामिल करके उनका भविष्य संवारने के साथ ही अपने सभी सामाजिक दायित्व बखूबी निभा रही स्पेशल ओलंपिक भारत की अध्यक्ष डाॅ. मल्लिका नड्डा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक और महत्वपूर्ण दायित्व मिला है।
उन्हें स्पेशल ओलंपिक एशिया पेसिफिक ने एशिया पेसिफिक एडवाइज़री काउंसिल (एपीएसी) की चेयरपर्सन बनाया है। वह एशिया पेसिफिक रीजन के 35 देशों का प्रतिनिधित्व करेंगी। इस नई जिम्मेदारी से उनका कद और भी अधिक ऊंचा हुआ है। इससे उनके घर बिलासपुर समेत पूरे हिमाचल के लोग खुद को गौरवांवित महसूस कर रहे हैं।
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डाॅ. मल्लिका नड्डा पिछले 30 वर्षों से अधिक समय से दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। वर्ष 1991 में भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के साथ परिणय सूत्र में बंधने के बाद उन्होंने बिलासपुर में चेतना संस्था की नींव रखी थी। यह संस्था दिव्यांगजनों के साथ ही महिला सशक्तिकरण एवं युवाओं के व्यक्तित्व विकास की दिशा में भी कार्यरत है।
चेतना संस्था में 2 बच्चों के साथ शुरू किए गए स्पेशल स्कूल (डे-केयर सेंटर) में वर्तमान में बच्चों की संख्या 200 पहंुच गई है। अब तक लगभग 1500 दिव्यांग बच्चे इस स्कूल से शिक्षा व प्रशिक्षण ले चुके हैं। इनमें से लगभग 500 बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों मंे काम कर रहे हैं। डाॅ. मल्लिका नड्डा के गहन प्रयासों से दिव्यांगों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आया है। आत्मनिर्भर बनकर वे जहां समाज का अभिन्न हिस्सा बने हैं, वहीं अपने परिवार के लिए सहारा भी साबित हो रहे हैं।
वर्ष 2002 में स्पेशल ओलंपिक भारत हिमाचल प्रदेश की शुरुआत करके डाॅ. मल्लिका नड्डा ने पहली बार स्नो स्पोर्ट्स और विंटर गेम्स के आयोजन के माध्यम से दिव्यांगों को वल्र्ड ओलंपिक विंटर गेम्स में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। चेतना संस्था के बच्चे स्पेशल ओलंपिक में भी परचम लहराते आए हैं।
25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा पूरी करने पर हाल ही में आयोजित संस्था के रजत जयंती समारोह में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी डाॅ. मल्लिका नड्डा और उनकी टीम की मुक्त कंठ से सराहना की थी। वह अपने सामाजिक दायित्व भी बखूबी निभा रही हैं। कोरोना काल के साथ ही पिछले साल हिमाचल में प्राकृतिक आपदा के दौरान उनकी अगुवाई में प्रभावितों की हरसंभव सहायता की गई थी।
डाॅ. मल्लिका नड्डा ने वर्ष 2021 में स्पेशल ओलंपिक भारत के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी। कोविड के बाद उनके मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य दिवस पर 7 अप्रैल 2022 को देश भर में 133 स्थानो पर ‘दिव्यांग हेल्थ फेस्ट’ का आयोजन किया गया था। इनमें देश भर के 1 लाख से अधिक मानसिक दिव्यांगता से ग्रसित लोग डिजिटली पंजीकृत हुए थे, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाया गया था।
इस उल्लेखनीय कार्य के लिए स्पेशल ओलंपिक भारत का नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वल्र्ड टेलेंट ऑर्गेनाइजेशन में दर्ज हो चुका है। अब उन्हें स्पेशल ओलंपिक एशिया पेसिफिक ने एशिया पेसिफिक एडवाइज़री काउंसिल की चेयरपर्सन बनाया है। डाॅ. मल्लिका नड्डा ने कहा कि उन्हें इस क्षमता में सेवा करने और ऐसी काउंसिल में स्पेशल ओलंपिक भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है। यह उनके लिए सौभाग्य की बात है।
एडवाइज़री काउंसिल के महत्वपूर्ण कार्य में योगदान करने और एशिया पेसिफिक क्षेत्र के सभी साथियों के साथ विश्व स्तर पर विशेष ओलंपिक के लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ ही खेल, स्वास्थ्य व शिक्षा समेत सभी क्षेत्रों में स्पेशल ओलंपिक के मिशन को आगे बढ़ाने में वह यथासंभव प्रयास करेंगी।
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