- विज्ञापन (Article Top Ad) -
चम्बा , 27 सितम्बर [ शिवानी ] ! आज जिला सतरीय वर्ल्ड रबीज दिवस का आयोजन सिविल अस्पताल तीसा में डॉ ऋषि पुरी की अध्यक्षता में मनाया गया I उन्होंने बताया कि रेबीज एक जानलेवा वायरल संक्रमण है जो इंसानों और जानवरों में मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड (एन्सेफ़ेलाइटिस) में सूजन का कारण बनता है।उन्होंने बताया कि यह दिन लूईस पासचर जन्मदिन पर हर साल मनाया जाता है जिसने इस वायरस की खोज की थी Iरेबीज से संक्रमित होने का सबसे आम तरीका किसी संक्रमित जानवर (चमगादड़, लोमड़ी, कुत्ता, बिल्ली) द्वारा काटा जाना है। अगर आपको किसी जानवर ने काट लिया है, तो आपको यह पता करने के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और आपको रेबीज का टीका लेना होगा।इसके लक्षण आमतौर पर काटने के 30 से 50 दिन बाद दिखाई देते हैं। यदि व्यक्ति को काटे जाने के तुरंत बाद रेबीज का टीका लग जाता है, तो उसे लगभग कभी भी रेबीज नहीं होता है।जब व्यक्ति में लक्षण आ जाते हैं, तो कोई इलाज कारगर नहीं हो पाता है और मुमकिन है कि मौत हो जाए। रेबीज की बीमारी रेबीज वायरस के कारण होती है। कुछ जंगली जानवरों में वायरस का होना आम बात है। रेबीज वायरस किसी संक्रमित जानवर के लार (थूक) में होता है, इसलिए इसके काटने से यह दूसरे में चला जा सकता है। जिन जानवरों को रेबीज के टीके लग चुके हैं, उन्हें लगभग कभी भी रेबीज नहीं होता है, इसलिए वे लोगों को रेबीज नहीं दे सकते। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी छाँगा राम ठाकुर ने रेबीज के लक्षणो के बारे बताया कि आमतौर पर काटने के 30 से 50 दिनों (कभी-कभी 10 दिन में भी आ जाते हैं) तक दिखाई नहीं देते हैं। काटने वाली जगह में दर्द और सुन्नता,बुखार और सिरदर्द,एकदम से बीमार महसूस होना,बेचैनी, भ्रमित और अनियंत्रित रूप से उत्तेजित, मुंह में बहुत ज्यादा लार आना, गले की मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन और निगलने, बोलने और सांस लेने में परेशानी होती है। आखिर में आपके मस्तिष्क का संक्रमण इतना बदतर हो जाता है कि मृत्यु भी हो जाती है।अगर आप जानवरों से जुड़ा कोई काम करते हैं, तो रेबीज वायरस के संपर्क में आने की स्थिति में रेबीज का टीका लगवाएं। अगर कोई जानवर आपको काटता है, तो ज़ख्म को खूब सारे साबुन और पानी से साफ करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। अगर आपको किसी कुत्ते या अन्य पालतू जानवर ने काटा है जिसमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे और तो पालतू जानवर पर उसका मालिक या को पशु चिकित्सक के ध्यान रखा जा सकता है, तो जानवर में रेबीज के लक्षण विकसित होते हैं या नहीं देखने के लिए डॉक्टर 10 दिनों तक इंतज़ार कर सकते हैं। 10 दिनों के बाद अगर जानवर स्वस्थ है, तो उसे आपको काटने पर रेबीज नहीं हुआ। अगर जानवर में लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपका इलाज किया जाएगा।जो लोग इम्यून ग्लोबुलिन और सभी टीके लगवाते हैं, उन्हें काटने के तुरंत बाद लगभग कभी भी रेबीज नहीं होता।उन्होंने रेबीस की रोकथाम के लिए हमें अपने पालतू जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली को हर साल टीके लगवाने चाहिए, उन्हें अपने नियंत्रण में रखें, अनजान जानवरों से दूरी बनाएं। इस अवसर पर पशुपालन विभाग से डॉ चमन, डॉ राहुल नेगी, डॉ अनमोल तथा सी एच तीसा के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ कुलभूषण ने भी अपने विचार रखे।
चम्बा , 27 सितम्बर [ शिवानी ] ! आज जिला सतरीय वर्ल्ड रबीज दिवस का आयोजन सिविल अस्पताल तीसा में डॉ ऋषि पुरी की अध्यक्षता में मनाया गया I उन्होंने बताया कि रेबीज एक जानलेवा वायरल संक्रमण है जो इंसानों और जानवरों में मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड (एन्सेफ़ेलाइटिस) में सूजन का कारण बनता है।उन्होंने बताया कि यह दिन लूईस पासचर जन्मदिन पर हर साल मनाया जाता है जिसने इस वायरस की खोज की थी Iरेबीज से संक्रमित होने का सबसे आम तरीका किसी संक्रमित जानवर (चमगादड़, लोमड़ी, कुत्ता, बिल्ली) द्वारा काटा जाना है।
अगर आपको किसी जानवर ने काट लिया है, तो आपको यह पता करने के लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए और आपको रेबीज का टीका लेना होगा।इसके लक्षण आमतौर पर काटने के 30 से 50 दिन बाद दिखाई देते हैं।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
यदि व्यक्ति को काटे जाने के तुरंत बाद रेबीज का टीका लग जाता है, तो उसे लगभग कभी भी रेबीज नहीं होता है।जब व्यक्ति में लक्षण आ जाते हैं, तो कोई इलाज कारगर नहीं हो पाता है और मुमकिन है कि मौत हो जाए।
रेबीज की बीमारी रेबीज वायरस के कारण होती है। कुछ जंगली जानवरों में वायरस का होना आम बात है। रेबीज वायरस किसी संक्रमित जानवर के लार (थूक) में होता है, इसलिए इसके काटने से यह दूसरे में चला जा सकता है। जिन जानवरों को रेबीज के टीके लग चुके हैं, उन्हें लगभग कभी भी रेबीज नहीं होता है, इसलिए वे लोगों को रेबीज नहीं दे सकते।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से जन शिक्षा एवं सूचना अधिकारी छाँगा राम ठाकुर ने रेबीज के लक्षणो के बारे बताया कि आमतौर पर काटने के 30 से 50 दिनों (कभी-कभी 10 दिन में भी आ जाते हैं) तक दिखाई नहीं देते हैं।
काटने वाली जगह में दर्द और सुन्नता,बुखार और सिरदर्द,एकदम से बीमार महसूस होना,बेचैनी, भ्रमित और अनियंत्रित रूप से उत्तेजित, मुंह में बहुत ज्यादा लार आना, गले की मांसपेशियों में दर्दनाक ऐंठन और निगलने, बोलने और सांस लेने में परेशानी होती है।
आखिर में आपके मस्तिष्क का संक्रमण इतना बदतर हो जाता है कि मृत्यु भी हो जाती है।अगर आप जानवरों से जुड़ा कोई काम करते हैं, तो रेबीज वायरस के संपर्क में आने की स्थिति में रेबीज का टीका लगवाएं। अगर कोई जानवर आपको काटता है, तो ज़ख्म को खूब सारे साबुन और पानी से साफ करें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
अगर आपको किसी कुत्ते या अन्य पालतू जानवर ने काटा है जिसमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे और तो पालतू जानवर पर उसका मालिक या को पशु चिकित्सक के ध्यान रखा जा सकता है, तो जानवर में रेबीज के लक्षण विकसित होते हैं या नहीं देखने के लिए डॉक्टर 10 दिनों तक इंतज़ार कर सकते हैं। 10 दिनों के बाद अगर जानवर स्वस्थ है, तो उसे आपको काटने पर रेबीज नहीं हुआ।
अगर जानवर में लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपका इलाज किया जाएगा।जो लोग इम्यून ग्लोबुलिन और सभी टीके लगवाते हैं, उन्हें काटने के तुरंत बाद लगभग कभी भी रेबीज नहीं होता।उन्होंने रेबीस की रोकथाम के लिए हमें अपने पालतू जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली को हर साल टीके लगवाने चाहिए, उन्हें अपने नियंत्रण में रखें, अनजान जानवरों से दूरी बनाएं।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग से डॉ चमन, डॉ राहुल नेगी, डॉ अनमोल तथा सी एच तीसा के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ कुलभूषण ने भी अपने विचार रखे।
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -