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धर्मशाला , 07 मई [ विशाल सूद ] ! जम्मू के राजौरी में आंतकवादी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कांगड़ा जिला के सुलह उपमंडल के तहत मारहूँ गांव के अरविंद कुमार का पार्थिक शरीर शनिवार को खराब मौसम के कारण उनके गांव नहीं पहुंच पाया। शहीद की पत्नी उनके अन्य परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। हजारों की संख्या में शहीद के अंतिम दर्शन को पहुंचे लोगों की आंखें भी नम देखी गई। जानकारी के मुताबिक़, रविवार सुबह तक शहीद की पार्थिक देह गांव पहुंचेगी। मौसम की ख़राबी के चलते उधमपुर से अरविंद का पार्थिव शरीर एयरलिफ़्ट नहीं हो पाया है। ऐसे में उधमपुर से सड़क मार्ग की मार्फ़त पार्थिव देह को रवाना किया गया है। देर शाम तक अरविद का पार्थिव शव पालमपुर के होलटा स्थित आर्मी कैम्प में पहुंचा। यहां से अरविर के शरीर को उसके बाद परिजनों के सपुर्द किया जाएगा। अरविंद के पिता पीडब्लूडी से रिटायर्ड हुए हैं और मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं। बताया जा रहा है कि अभी जनवरी महीने में अरविंद कुमार घर आये थे। उनकी छोटी बेटी के दिमाग की बिमारी का ऑपरेशन करवाने वो घर आये थे। हालांकि, अभी दिल्ली में बेटी का इलाज और ऑपरेशन होना था जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हिमाचल प्रदेश के दो फौजी जवान शहीद हो गए हैं। कांगड़ा जिले के पालमपुर के सुलह के मरूंह निवासी अरविंद कुमार ने 33 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। वह हमले में घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत गई। अरविंद के पैतृक गांव मरूंह में घटना के बाद से मातम का माहौल पसरा है। शहीद अरविंद कुमार के परिजनों ने बताया कि वह बचपन से बेहद साहसी और प्रतिभाशाली थे। साल 2010 में पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुआ थे। महज़ चंद सालों में ही उन्होंने स्पेशल फोर्स में अपनी जगह बना ली थी, फ़िलहाल, वह 9 पैरा कमांडो के तहत अपनी सेवाएं दे रहे थे। अरविर ने जर्मन कम्पीटीशन में भी अवॉर्ड हासिल किये थे। वह सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशन में भी अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं। अरविंद अपने पीछे 2 बेटियां, धर्मपत्नी, बुजुर्ग माता-पिता और बड़े भाई और छोटी बहन को छोड़ गये हैं पिता की दिमागी हालात ठीक नहीं: अरविंद के पिता मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
धर्मशाला , 07 मई [ विशाल सूद ] ! जम्मू के राजौरी में आंतकवादी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए कांगड़ा जिला के सुलह उपमंडल के तहत मारहूँ गांव के अरविंद कुमार का पार्थिक शरीर शनिवार को खराब मौसम के कारण उनके गांव नहीं पहुंच पाया। शहीद की पत्नी उनके अन्य परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। हजारों की संख्या में शहीद के अंतिम दर्शन को पहुंचे लोगों की आंखें भी नम देखी गई।
जानकारी के मुताबिक़, रविवार सुबह तक शहीद की पार्थिक देह गांव पहुंचेगी। मौसम की ख़राबी के चलते उधमपुर से अरविंद का पार्थिव शरीर एयरलिफ़्ट नहीं हो पाया है। ऐसे में उधमपुर से सड़क मार्ग की मार्फ़त पार्थिव देह को रवाना किया गया है। देर शाम तक अरविद का पार्थिव शव पालमपुर के होलटा स्थित आर्मी कैम्प में पहुंचा। यहां से अरविर के शरीर को उसके बाद परिजनों के सपुर्द किया जाएगा।
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अरविंद के पिता पीडब्लूडी से रिटायर्ड हुए हैं और मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं। बताया जा रहा है कि अभी जनवरी महीने में अरविंद कुमार घर आये थे। उनकी छोटी बेटी के दिमाग की बिमारी का ऑपरेशन करवाने वो घर आये थे।
हालांकि, अभी दिल्ली में बेटी का इलाज और ऑपरेशन होना था जम्मू-कश्मीर के राजौरी में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में हिमाचल प्रदेश के दो फौजी जवान शहीद हो गए हैं। कांगड़ा जिले के पालमपुर के सुलह के मरूंह निवासी अरविंद कुमार ने 33 साल की उम्र में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। वह हमले में घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत गई।
अरविंद के पैतृक गांव मरूंह में घटना के बाद से मातम का माहौल पसरा है। शहीद अरविंद कुमार के परिजनों ने बताया कि वह बचपन से बेहद साहसी और प्रतिभाशाली थे। साल 2010 में पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुआ थे। महज़ चंद सालों में ही उन्होंने स्पेशल फोर्स में अपनी जगह बना ली थी, फ़िलहाल, वह 9 पैरा कमांडो के तहत अपनी सेवाएं दे रहे थे।
अरविर ने जर्मन कम्पीटीशन में भी अवॉर्ड हासिल किये थे। वह सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मिशन में भी अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं। अरविंद अपने पीछे 2 बेटियां, धर्मपत्नी, बुजुर्ग माता-पिता और बड़े भाई और छोटी बहन को छोड़ गये हैं पिता की दिमागी हालात ठीक नहीं: अरविंद के पिता मानसिक तौर पर अस्वस्थ हैं।
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