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धर्मशाला , 25 सितंबर ! अब हिमाचल प्रदेश में परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव करने की तैयारी स्कूल शिक्षा बोर्ड ने कर ली है इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के बाद कुछ ही वर्षों में 50 फीसदी क्षमता जांच यानि कैप्टेंसी बेस्ड एमसीक्यू प्रश्र डालने की योजना पर काम किया जा रहा है, जबकि मात्र 50 प्रतिशत ही साधारण रूप के लिखित प्रश्र पत्र रहेंगे मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2024-25 में मार्च में होने वाली फाइनल परीक्षाओं में यह प्रतिशतता 20 फीसदी रहेगी, इसके बाद धीरे-धीरे पैटर्न में बदलाव किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव शर्मा ने बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 के तहत हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने कदमताल शुरू कर दी है इसमें एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की ओर से शिक्षा बोर्ड व प्रश्र पत्र तैयार करने वाले शिक्षकों को टिप्स भी प्रदान किए जाएंगे इसके लिए राज्यस्तरीय आधा दर्जन के करीब विशेष वर्कशाप का भी आयोजन किया जाएगा। इससे पहले देश के अन्य बड़े बोर्ड आईसीएसई-सीबीएसई की ओर से भी बदलाव किए गए हैं प्रदेश में इसके तहत शुरुआती पहले चरण में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के तहत मार्च में आयोजित होने वाली तीसरी, पांचवी, आठवीं, नौवीं, दसवीं, जमा एक और जमा दो के छात्रों को 20 प्रतिशत प्रश्र कपेटेंसी बेस्ड जिसमें बहुविकल्पीय यानि एमसीक्यू पूछे जाएंगे इससे बच्चों में रट्टा लगाने की बजाय विषयों में समझ की जांच की जा सकेगी शिक्षा बोर्ड की ओर से आगामी समय में तीन से चार वर्षों में इस लेवल को 50 फीसदी तक किया जाएगा वहीं, पारंपरिक परीक्षा पैटर्न वाले लघु उत्तरीय/दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का वेटेज 80 प्रतिशत से घटाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा। इसके लिए आधा दर्जन के करीब वर्कशाप किए जाने को लेकर भी बातचीत की गई है।
धर्मशाला , 25 सितंबर ! अब हिमाचल प्रदेश में परीक्षाओं के पैटर्न में बड़ा बदलाव करने की तैयारी स्कूल शिक्षा बोर्ड ने कर ली है इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 के बाद कुछ ही वर्षों में 50 फीसदी क्षमता जांच यानि कैप्टेंसी बेस्ड एमसीक्यू प्रश्र डालने की योजना पर काम किया जा रहा है, जबकि मात्र 50 प्रतिशत ही साधारण रूप के लिखित प्रश्र पत्र रहेंगे मौजूदा शैक्षणिक सत्र 2024-25 में मार्च में होने वाली फाइनल परीक्षाओं में यह प्रतिशतता 20 फीसदी रहेगी, इसके बाद धीरे-धीरे पैटर्न में बदलाव किया जाएगा।
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव शर्मा ने बताया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 के तहत हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड ने कदमताल शुरू कर दी है इसमें एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की ओर से शिक्षा बोर्ड व प्रश्र पत्र तैयार करने वाले शिक्षकों को टिप्स भी प्रदान किए जाएंगे इसके लिए राज्यस्तरीय आधा दर्जन के करीब विशेष वर्कशाप का भी आयोजन किया जाएगा।
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इससे पहले देश के अन्य बड़े बोर्ड आईसीएसई-सीबीएसई की ओर से भी बदलाव किए गए हैं प्रदेश में इसके तहत शुरुआती पहले चरण में शैक्षणिक सत्र 2024-25 के तहत मार्च में आयोजित होने वाली तीसरी, पांचवी, आठवीं, नौवीं, दसवीं, जमा एक और जमा दो के छात्रों को 20 प्रतिशत प्रश्र कपेटेंसी बेस्ड जिसमें बहुविकल्पीय यानि एमसीक्यू पूछे जाएंगे इससे बच्चों में रट्टा लगाने की बजाय विषयों में समझ की जांच की जा सकेगी शिक्षा बोर्ड की ओर से आगामी समय में तीन से चार वर्षों में इस लेवल को 50 फीसदी तक किया जाएगा वहीं, पारंपरिक परीक्षा पैटर्न वाले लघु उत्तरीय/दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का वेटेज 80 प्रतिशत से घटाकर 50 फीसदी कर दिया जाएगा। इसके लिए आधा दर्जन के करीब वर्कशाप किए जाने को लेकर भी बातचीत की गई है।
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