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चम्बा , 02 मई [ शिवानी ] ! मां चामुण्डा से मिलने आई बहन माता बैरेवाली भगवती करीब आधा महीना अपनी बहन मां चामुण्डा के पास रुकने के बाद कल सांय अपने निवास स्थान बैरागढ़ के लिए रवाना हो गई है। बताते चले कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता बैरवाली भगवती अपने बड़ी बहन चामुंडा से मिलने चम्बा आती है और माता चामुंडा के थान में एक साथ 15, दिनों तक वहीं पर विराजती है। अब माता बैरवाली भगवती ढोल नगाड़ों के साथ अपनी बड़ी बहन मां चामुंडा से बिछड़ते हुए अपने निवास बैरागढ़ वापिस जा रही है,और माता का आशीर्वाद लेने लोगों का हाजूम देखते ही बनता था। माता बैरवाली भगवती के पुजारी ने माता बैरवाली भगवती के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि मां बैरवाली भगवती का यह कटुम्ब माता को साथ लेकर 15, अप्रैल को बैरागढ़ से चला था और पुराने पड़ाव दर पड़ाव में ठहरते हुए चार दिनो का मिलो लंबा सफर करके 18, तारीख को चम्बा में माता का आगमन हुआ और माता चामुंडा के थान में साथ बिराजी। उन्होंने बताया कि माता बैरवाली भगवती जितने दिन भी चम्बा में रहती है चम्बा के सभी भगत लोग माता बैरवाली भगवती को अपने घर बुलाते है और पूरी श्रद्धा के साथ उनका आशीर्वाद भी प्राप्त करते है। उन्होंने बताया कि माता बैरवाली भगवती जिनकी की सात बहने है और यह सभी बहने किसी न किसी शक्ति पीठ से जुड़ी अपनी प्रसिद्धि को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि शक्ति पीठ माता बैरवाली भगवती का कोई प्राचीन इतिहास नही है पर हमे हमारे बजुर्गो ने बताया कि माता का इतिहास सदियों पुराना है और आज भी हम लोग अपने बजुर्गो के बताए पदचिन्न पर चलते हुए इस रीत और उससे जुड़े सभी रिवाजो को तय तिथि के अनुसार मानते चले आ रहे है और आगे भी इसी तरह से निभाएंगे। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा , 02 मई [ शिवानी ] ! मां चामुण्डा से मिलने आई बहन माता बैरेवाली भगवती करीब आधा महीना अपनी बहन मां चामुण्डा के पास रुकने के बाद कल सांय अपने निवास स्थान बैरागढ़ के लिए रवाना हो गई है। बताते चले कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी माता बैरवाली भगवती अपने बड़ी बहन चामुंडा से मिलने चम्बा आती है और माता चामुंडा के थान में एक साथ 15, दिनों तक वहीं पर विराजती है।
अब माता बैरवाली भगवती ढोल नगाड़ों के साथ अपनी बड़ी बहन मां चामुंडा से बिछड़ते हुए अपने निवास बैरागढ़ वापिस जा रही है,और माता का आशीर्वाद लेने लोगों का हाजूम देखते ही बनता था। माता बैरवाली भगवती के पुजारी ने माता बैरवाली भगवती के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि मां बैरवाली भगवती का यह कटुम्ब माता को साथ लेकर 15, अप्रैल को बैरागढ़ से चला था और पुराने पड़ाव दर पड़ाव में ठहरते हुए चार दिनो का मिलो लंबा सफर करके 18, तारीख को चम्बा में माता का आगमन हुआ और माता चामुंडा के थान में साथ बिराजी।
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उन्होंने बताया कि माता बैरवाली भगवती जितने दिन भी चम्बा में रहती है चम्बा के सभी भगत लोग माता बैरवाली भगवती को अपने घर बुलाते है और पूरी श्रद्धा के साथ उनका आशीर्वाद भी प्राप्त करते है। उन्होंने बताया कि माता बैरवाली भगवती जिनकी की सात बहने है और यह सभी बहने किसी न किसी शक्ति पीठ से जुड़ी अपनी प्रसिद्धि को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि शक्ति पीठ माता बैरवाली भगवती का कोई प्राचीन इतिहास नही है पर हमे हमारे बजुर्गो ने बताया कि माता का इतिहास सदियों पुराना है और आज भी हम लोग अपने बजुर्गो के बताए पदचिन्न पर चलते हुए इस रीत और उससे जुड़े सभी रिवाजो को तय तिथि के अनुसार मानते चले आ रहे है और आगे भी इसी तरह से निभाएंगे।
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