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चम्बा , 26 जून [ शिवानी ] ! हिमाचल सरकार प्रदेश में बेहतरीन शिक्षा देने के दावे करते नहीं थकती है लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से भी छुपी नहीं है। प्रदेश के अधिकतर सरकारी स्कूलों में साथ लगते प्राइवेट स्कूलों की अपेक्षा छात्रों की संख्या बेहद कम है। और इसकी वजह है सरकारी स्कूलों ने शिक्षा के स्तर में कमी होना, या फिर अध्यापकों को कमी होना। आपकों बता दें कि अधिकतर सरकारी स्कूलों में न तो पढ़ाई सही तरीके से होती है कई बार तो स्कूल का अपना भवन तक भी नही होता। जिस वजह से बच्चों को एक ही कमरे में एक साथ भी बैठना पड़ जाता है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या इन स्कूलों में अध्यापक के न होने की है। प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्र के स्कूलों की हालत तो और भी बिगड़ी हुई है जहां केवल एक ही अध्यापक के सहारे पूरी पाठशाला चलाई जा रही होती है। वहीं अगर हम जिला चम्बा की बात करें तो चम्बा जिला के दूरदराज क्षेत्र चरोडी पंचायत के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रेला की तो यहां पर स्टाफ की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। और ऐसे में कई छात्र स्कूल को छोड़कर अन्य स्कूलों में जाने को मजबूर है। स्कूल में छठी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक कुल मिलाकर 291 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लेकिन 11वीं और 12वीं कक्षा को पढ़ने वाले पांच में से चार अध्यापक पिछले 5 सालों से नहीं है जिसके चलते हर साल बच्चों के परीक्षा परिणाम पर इसका असर देखने को मिलता है। और इस बार तो हद्द तब हुई जब 12वीं कक्षा का एक भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हो पाया। वहीं स्कूल के कार्यकारी प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार ने बताया कि वह एकमात्र राजनीतिक शास्त्र के अध्यापक है और उनके अलावा चार पद यहां पर रिक्त पड़े हुए हैं।
चम्बा , 26 जून [ शिवानी ] ! हिमाचल सरकार प्रदेश में बेहतरीन शिक्षा देने के दावे करते नहीं थकती है लेकिन प्रदेश के सरकारी स्कूलों की हालत किसी से भी छुपी नहीं है। प्रदेश के अधिकतर सरकारी स्कूलों में साथ लगते प्राइवेट स्कूलों की अपेक्षा छात्रों की संख्या बेहद कम है। और इसकी वजह है सरकारी स्कूलों ने शिक्षा के स्तर में कमी होना, या फिर अध्यापकों को कमी होना।
आपकों बता दें कि अधिकतर सरकारी स्कूलों में न तो पढ़ाई सही तरीके से होती है कई बार तो स्कूल का अपना भवन तक भी नही होता। जिस वजह से बच्चों को एक ही कमरे में एक साथ भी बैठना पड़ जाता है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या इन स्कूलों में अध्यापक के न होने की है।
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प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्र के स्कूलों की हालत तो और भी बिगड़ी हुई है जहां केवल एक ही अध्यापक के सहारे पूरी पाठशाला चलाई जा रही होती है।
वहीं अगर हम जिला चम्बा की बात करें तो चम्बा जिला के दूरदराज क्षेत्र चरोडी पंचायत के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला रेला की तो यहां पर स्टाफ की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। और ऐसे में कई छात्र स्कूल को छोड़कर अन्य स्कूलों में जाने को मजबूर है। स्कूल में छठी कक्षा से लेकर 12वीं कक्षा तक कुल मिलाकर 291 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लेकिन 11वीं और 12वीं कक्षा को पढ़ने वाले पांच में से चार अध्यापक पिछले 5 सालों से नहीं है जिसके चलते हर साल बच्चों के परीक्षा परिणाम पर इसका असर देखने को मिलता है।
और इस बार तो हद्द तब हुई जब 12वीं कक्षा का एक भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हो पाया।
वहीं स्कूल के कार्यकारी प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार ने बताया कि वह एकमात्र राजनीतिक शास्त्र के अध्यापक है और उनके अलावा चार पद यहां पर रिक्त पड़े हुए हैं।
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