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शिमला ! शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने तानाशाही भरे तुगलकी फैसलों से बाज आएं। सरकार बिजली बोर्ड को हर दिन निशाना बना रही है। सत्ता में आने के बाद से ही सरकार ने बिजली बोर्ड को निशाना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले बिजली बोर्ड में घोटाले करने की शुरुआत हुई जिसमें कामयाबी नहीं मिली। इसके बाद से सरकार ने बिजली बोर्ड में पदों को खत्म करना और लोगों को नौकरियां से निकलना शुरू कर दिया। उसके बाद सरकार युक्तिकरण के नाम पर पदों को खत्म करती जा रही है। नौकरियां देने के नाम पर सत्ता में आई सुक्खू सरकार नौकरियां छीनती जा रही है। जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार ने बिजली विभाग में 51 महत्वपूर्ण पद समाप्त कर दिए। इसके बाद विभाग में सेवाएं दे रहे 81 आउटसोर्स कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया। इसके बाद प्रदेश भर में खाली पड़े सभी विभागों के लगभग एक लाख सत्तर हजार पदों को भी खत्म कर दिया। अब सरकार युक्तिकरण के नाम पर बिजली बोर्ड से नौकरियां खत्म कर रही है। हाल ही में बिजली बोर्ड से 700 पद युक्तिकरण के नाम पर खत्म कर दिए गए। बिजली बोर्ड में सरकार आगे क्या करेगी यह किसी को भी नहीं पता है। सरकार युक्तिकरण के नाम पर सिर्फ नौकरियां खत्म कर रही है। यह युक्तिकरण बिजली बोर्ड के कर्मचारी और अधिकारियों को भी समझ नहीं आ रहा है। युक्तिकरण के नाम पर नौकरियां खत्म करने के बजाय सरकार बिजली बोर्ड को मजबूत करने के कदम उठाती तो ज्यादा बेहतर था। लेकिन सरकार ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के बजाय बिजली की कीमतें बढ़ाकर जनता पर बोझ डालना, बोर्ड में काम कर रहे लोगों को नौकरी से निकाल कर बिजली बोर्ड की स्थिति सुधारने की बात कर रही है। प्रदेश सरकार की नीतियों की वजह से हिमाचल प्रदेश में बिजली उत्पादन के। क्षेत्र में कोई सुधार नहीं हो रहा है। पन बिजली कंपनियों को सरकार द्वारा गलत तरीके से मदद करने का भी आरोप लगा है। जिसे भाजपा ने अपने ‘कच्चा चिट्ठा’ के रूप में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के माध्यम से प्रदेश वासियों के सामने रखा था। प्रदेश सरकार प्रदेश में चल रहे हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के निर्माण को गति नहीं दे पा रही है। जिसकी वजह से हिमाचल प्रदेश की बिजली उत्पादन की संभावनाओं का संपूर्ण दोहन नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री से निवेदन है कि प्रदेश और बिजली बोर्ड की आय बढ़ाने के लिए जनता पर टैक्स लगाने और नौकरियों में कटौती करने की बजाय अन्य रास्ते तलाशे और युक्तिकरण के नाम पर आंखों में धूल झोंकने की बजाय तर्क और विवेकपूर्ण बातें करें।
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