!!"आर्ट आफ लिविंग की ओर से जेल कार्यक्रम के तहत आयोजित हुआ शिविर"!!
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चम्बा, 07 अगस्त, [ शिवानी ] ! आर्ट आफ लिविंग की ओर से चम्बा के राजपुरा में स्थित जिला कारागार में कैदियों की शारीरिक व मानसिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से जेल कार्यक्रम के तहत शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर आठ दिनों तक चला। इसमें आर्ट आफ लिविंग के वरिष्ठ प्रशिक्षक रतन ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने स्टाफ व कैदियों को विभिन्न प्रकार की योग क्रियाएं, ध्यान, प्राणायाम करवाने के साथ ही सुदर्शन क्रिया भी करवाई गई। रतन चंद ने बताया कि कैदियों ने इसमें बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। उन्होंने बताया कि यदि लोग बीमार हो जाते हैं, तो उन्हें अस्पताल ले जाते हैं और उन्हें ठीक होने के लिए सही दवा देते हैं। यदि लोगों का व्यवहार बीमार है, तो हम उन्हें जेल ले आते हैं, लेकिन हम दवाइयों को भूल जाते हैं। जेल कार्यक्रम आपराधिक न्याय प्रणाली में काम करने वाले या उसमें कैद लोगों के जीवन को बदलने का एक प्रयास है। यह कार्यक्रम ऐसे कौशल सिखाता है, जो तनाव को कम करते हैं। आघात को ठीक करते हैं और नकारात्मक भावनाओं को संभालने का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं, ताकि व्यक्ति अपनी उच्चतम क्षमता तक जी सके और सकारात्मक तरीके से समाज में योगदान दे सके। वहीं, आर्ट आफ लिविंग के मीडिया प्रबंधक मनुज शर्मा ने बताया कि आर्ट आफ लिविंग की ओर से भारत में 100 से अधिक जेलों में यह कार्यक्रम लागू किया गया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से करीब आठ लाख से अधिक जेल कैदियों और कर्मचारियों का जीवन परिवर्तित करने का सकारात्मक प्रयास हुआ, जिसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बेहतर प्रतिरक्षा और शारीरिक स्वास्थ्य, अवसाद और चिंता में कमी, कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच अधिक सम्मानजनक संबंध सहित विभिन्न विषयों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया आम लोगों का जीवन स्वस्थ न सकारात्मक बनाने के साथ-साथ कैदियों की सोच व स्वास्थ्य में बदलाव लाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
चम्बा, 07 अगस्त, [ शिवानी ] ! आर्ट आफ लिविंग की ओर से चम्बा के राजपुरा में स्थित जिला कारागार में कैदियों की शारीरिक व मानसिक स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से जेल कार्यक्रम के तहत शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर आठ दिनों तक चला। इसमें आर्ट आफ लिविंग के वरिष्ठ प्रशिक्षक रतन ने अहम भूमिका निभाई।
उन्होंने स्टाफ व कैदियों को विभिन्न प्रकार की योग क्रियाएं, ध्यान, प्राणायाम करवाने के साथ ही सुदर्शन क्रिया भी करवाई गई। रतन चंद ने बताया कि कैदियों ने इसमें बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। उन्होंने बताया कि यदि लोग बीमार हो जाते हैं, तो उन्हें अस्पताल ले जाते हैं और उन्हें ठीक होने के लिए सही दवा देते हैं। यदि लोगों का व्यवहार बीमार है, तो हम उन्हें जेल ले आते हैं, लेकिन हम दवाइयों को भूल जाते हैं। जेल कार्यक्रम आपराधिक न्याय प्रणाली में काम करने वाले या उसमें कैद लोगों के जीवन को बदलने का एक प्रयास है।
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यह कार्यक्रम ऐसे कौशल सिखाता है, जो तनाव को कम करते हैं। आघात को ठीक करते हैं और नकारात्मक भावनाओं को संभालने का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं, ताकि व्यक्ति अपनी उच्चतम क्षमता तक जी सके और सकारात्मक तरीके से समाज में योगदान दे सके। वहीं, आर्ट आफ लिविंग के मीडिया प्रबंधक मनुज शर्मा ने बताया कि आर्ट आफ लिविंग की ओर से भारत में 100 से अधिक जेलों में यह कार्यक्रम लागू किया गया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से करीब आठ लाख से अधिक जेल कैदियों और कर्मचारियों का जीवन परिवर्तित करने का सकारात्मक प्रयास हुआ, जिसके अच्छे परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत बेहतर प्रतिरक्षा और शारीरिक स्वास्थ्य, अवसाद और चिंता में कमी, कैदियों और जेल कर्मचारियों के बीच अधिक सम्मानजनक संबंध सहित विभिन्न विषयों पर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया आम लोगों का जीवन स्वस्थ न सकारात्मक बनाने के साथ-साथ कैदियों की सोच व स्वास्थ्य में बदलाव लाने के भी प्रयास किए जा रहे हैं।
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