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चम्बा , 08 मई [ के एस प्रेमी ] ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंबा के सौजन्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला चम्बा द्वारा विश्व थेलेसिमिया दिवस का आयोजन गवर्नमेंट आईटीआई चम्बा में किया गया। जिसकी अध्यक्षता जिला कार्य क्रम अधिकारी डॉ करण हितैषी ने की।इस मौके पर उपस्थित प्रशिक्षु छात्राओं को संबोधित करते डॉ हितैषी ने बताया कि थैलेसिमिया रक्त से सम्बधित एक अनुवांशिक् विमारी है जो कि माँ - बाप से बच्चे में होती है। इसके लक्षण बच्चों में छ: माह के बाद दिखाई देने लाते हैं इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में जन्म से ही रक्त नहीं बनता है और इन्हें जवित रहने के लिए हर महीने रक्त चढ़वाना पड़ता है ।इस बीमारी का उपचार बहुत खर्चीला एवं कठिन है। थैलेसीमिया के लक्षणों में बच्चा पीला दिखाई देता है उसके होंठ, जीभ, आँखों की अंदरूनी सतह ,पीली दिखाई देती है ।बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है उसका पेट बढ़ा हुआ दिखाई देता है। थेलेसिमिया से पीड़ित बच्चे का इलाज महंगी दवाइयों के साथ हर माह खून चढ़ा कर किया जाता है जो कि ताउम्र करना पड़ता है। इसे वचाव हेतु जरूरी है कि गर्भधारण से पूर्व माता पिता रक्त परीक्षण से यह सुनिश्चित करें कि उनमें से कोई थैलेसीमिया संवाहक तो नहीं है यदि है तो गर्भस्थ शिशु की पहली तिमाही मैं जांच करके थैलेसीमिया से पीड़ित शिशु का जन्म रोका जा सकता है। उन्होंने उपस्थित छात्राओं से आग्रह किया कि वे इस बीमारी के बारे में समाज के लोगों को जागरूक करने में अपनी भूमिका निभाएं ताकि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के जन्म लेने की संख्या को कम किया जा सके। इस मौके पर आईटीआई चम्बा के प्रिंसिपल सहित स्वास्थ्य विभाग चम्बा की ओर से स्वास्थ्य शिक्षिका निर्मला ठाकुर तथा बी सीसी कोऑर्डिनेटर दीपक जोशी भी उपस्थित रहे। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा , 08 मई [ के एस प्रेमी ] ! मुख्य चिकित्सा अधिकारी चंबा के सौजन्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग जिला चम्बा द्वारा विश्व थेलेसिमिया दिवस का आयोजन गवर्नमेंट आईटीआई चम्बा में किया गया। जिसकी अध्यक्षता जिला कार्य क्रम अधिकारी डॉ करण हितैषी ने की।इस मौके पर उपस्थित प्रशिक्षु छात्राओं को संबोधित करते डॉ हितैषी ने बताया कि थैलेसिमिया रक्त से सम्बधित एक अनुवांशिक् विमारी है जो कि माँ - बाप से बच्चे में होती है।
इसके लक्षण बच्चों में छ: माह के बाद दिखाई देने लाते हैं इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में जन्म से ही रक्त नहीं बनता है और इन्हें जवित रहने के लिए हर महीने रक्त चढ़वाना पड़ता है ।इस बीमारी का उपचार बहुत खर्चीला एवं कठिन है। थैलेसीमिया के लक्षणों में बच्चा पीला दिखाई देता है उसके होंठ, जीभ, आँखों की अंदरूनी सतह ,पीली दिखाई देती है ।बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होती है उसका पेट बढ़ा हुआ दिखाई देता है।
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थेलेसिमिया से पीड़ित बच्चे का इलाज महंगी दवाइयों के साथ हर माह खून चढ़ा कर किया जाता है जो कि ताउम्र करना पड़ता है। इसे वचाव हेतु जरूरी है कि गर्भधारण से पूर्व माता पिता रक्त परीक्षण से यह सुनिश्चित करें कि उनमें से कोई थैलेसीमिया संवाहक तो नहीं है यदि है तो गर्भस्थ शिशु की पहली तिमाही मैं जांच करके थैलेसीमिया से पीड़ित शिशु का जन्म रोका जा सकता है।
उन्होंने उपस्थित छात्राओं से आग्रह किया कि वे इस बीमारी के बारे में समाज के लोगों को जागरूक करने में अपनी भूमिका निभाएं ताकि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के जन्म लेने की संख्या को कम किया जा सके। इस मौके पर आईटीआई चम्बा के प्रिंसिपल सहित स्वास्थ्य विभाग चम्बा की ओर से स्वास्थ्य शिक्षिका निर्मला ठाकुर तथा बी सीसी कोऑर्डिनेटर दीपक जोशी भी उपस्थित रहे।
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