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चम्बा 05 मई [ शिवानी ] ! चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र के भेड़ पालक इन दिनों अपने पशु धन के साथ मैदानी इलाकों से पहाड़ी इलाकों का रुख कर रहे हैं। आपको बता दें कि यह भेड़ पालक अपने पशु धन के साथ सर्दियां शुरू होने के साथ ही मैदानी इलाकों में चले जाते हैं क्योंकि पहाड़ों पर भारी बर्फबारी की वजह से वहां पर उनके पशुओं के लिए घास की व्यवस्था नहीं रहती और 6 महीने के बाद जब मैदानी इलाकों में गर्मी शुरू होती हैं तो यह भेड़ पालक अपने पशुधन के साथ मैदानी इलाकों से धारों की तरफ पलायन कर ऊंची पहाड़ियों की चोटियां को पार कर अपने घरों में पहुंच जाते हैं। यह भेड़ पालक जब एक तरफ से दूसरी तरफ पलायन कर रहे होते हैं उसे समय इन्हें सड़क मार्ग से ही होकर आना पड़ता है जिसकी वजह से इन्हे रास्ते में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रास्ते में वाहन चालकों से काफी कहां सनी होती है। वन विभाग द्वारा जगह-जगह पर पौधारोपण किया गया है और जब उनकी भेड़ बकरियां जंगल के रास्ते से होकर गुजरती है तो गलती से अगर कोई भेड़ बकरी उनके पेड़ों को नुकसान पहुंचाती तो इनका जुर्माना भी कर दिया जाता है। रास्ते में जंगली जानवरों से भी इन्हें काफी को नुकसान होता है। जहां कहीं भी यह रास्ते में रुकते हैं तो कई बार लोग चोर इनकी भेड़ बकरियों को चुरा भी लेते हैं कुल मिलाकर जब यह लोग एक तरफ से दूसरी तक पलायन कर रहे होते हैं तो उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। भेड़पालको के अनुसार वह सर्दियों में पंजाब अन्य स्थानों पर पलायन कर जाते हैं और गर्मियां शुरू होते ही अब वह पहाड़ों की और आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब सड़क मार्ग से यहां आते हैं तो उन्हें वाहन चालक खरी खोटी सुनते हैं। साथ ही रात के समय उनकी भेड़ बकरियों को चोरों से भी बचा कर रखना पड़ता है। वही जंगली जानवर भी उनकी बकरियों को चट कर जाते हैं। उन्होंने कहा कि मात्र दो लोग ही भेड़ बकरियों के साथ होते हैं अगर कोई उनके मॉल को चुराता है तो वह पुलिस में रिपोर्ट करने के लिए भी नहीं जा सकते क्योंकि एक व्यक्ति के सहारे इतनी भेड़ों को छोड़ना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि बारिश में काफी परेशानी होती है जब बारिश होती है तो उन्हें तरपाल के नीचे बैठकर ही समय बिताना पड़ता है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनकी बकरियों के लिए दवाइयां की पूरी व्यवस्था की जाए साथ ही जहां-जहां पर पड़ाव लगते हैं वहां पर अगर सरकार द्वारा शैड लगा दिए जाएं तो उसे जगह पर रात के समय कोई भी भेड़ पालक रुक सकता है जिससे कम से कम बारिश से उसे राहत मिल सकती है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनकी समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाए ताकि जब भी वह यहां से पलायन कर रहे हो तो उन्हें कोई परेशानी न हो।
चम्बा 05 मई [ शिवानी ] ! चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र के भेड़ पालक इन दिनों अपने पशु धन के साथ मैदानी इलाकों से पहाड़ी इलाकों का रुख कर रहे हैं। आपको बता दें कि यह भेड़ पालक अपने पशु धन के साथ सर्दियां शुरू होने के साथ ही मैदानी इलाकों में चले जाते हैं क्योंकि पहाड़ों पर भारी बर्फबारी की वजह से वहां पर उनके पशुओं के लिए घास की व्यवस्था नहीं रहती और 6 महीने के बाद जब मैदानी इलाकों में गर्मी शुरू होती हैं तो यह भेड़ पालक अपने पशुधन के साथ मैदानी इलाकों से धारों की तरफ पलायन कर ऊंची पहाड़ियों की चोटियां को पार कर अपने घरों में पहुंच जाते हैं।
यह भेड़ पालक जब एक तरफ से दूसरी तरफ पलायन कर रहे होते हैं उसे समय इन्हें सड़क मार्ग से ही होकर आना पड़ता है जिसकी वजह से इन्हे रास्ते में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। रास्ते में वाहन चालकों से काफी कहां सनी होती है। वन विभाग द्वारा जगह-जगह पर पौधारोपण किया गया है और जब उनकी भेड़ बकरियां जंगल के रास्ते से होकर गुजरती है तो गलती से अगर कोई भेड़ बकरी उनके पेड़ों को नुकसान पहुंचाती तो इनका जुर्माना भी कर दिया जाता है।
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रास्ते में जंगली जानवरों से भी इन्हें काफी को नुकसान होता है। जहां कहीं भी यह रास्ते में रुकते हैं तो कई बार लोग चोर इनकी भेड़ बकरियों को चुरा भी लेते हैं कुल मिलाकर जब यह लोग एक तरफ से दूसरी तक पलायन कर रहे होते हैं तो उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
भेड़पालको के अनुसार वह सर्दियों में पंजाब अन्य स्थानों पर पलायन कर जाते हैं और गर्मियां शुरू होते ही अब वह पहाड़ों की और आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब सड़क मार्ग से यहां आते हैं तो उन्हें वाहन चालक खरी खोटी सुनते हैं। साथ ही रात के समय उनकी भेड़ बकरियों को चोरों से भी बचा कर रखना पड़ता है। वही जंगली जानवर भी उनकी बकरियों को चट कर जाते हैं।
उन्होंने कहा कि मात्र दो लोग ही भेड़ बकरियों के साथ होते हैं अगर कोई उनके मॉल को चुराता है तो वह पुलिस में रिपोर्ट करने के लिए भी नहीं जा सकते क्योंकि एक व्यक्ति के सहारे इतनी भेड़ों को छोड़ना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि बारिश में काफी परेशानी होती है जब बारिश होती है तो उन्हें तरपाल के नीचे बैठकर ही समय बिताना पड़ता है।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनकी बकरियों के लिए दवाइयां की पूरी व्यवस्था की जाए साथ ही जहां-जहां पर पड़ाव लगते हैं वहां पर अगर सरकार द्वारा शैड लगा दिए जाएं तो उसे जगह पर रात के समय कोई भी भेड़ पालक रुक सकता है जिससे कम से कम बारिश से उसे राहत मिल सकती है।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि उनकी समस्याओं की ओर ध्यान दिया जाए ताकि जब भी वह यहां से पलायन कर रहे हो तो उन्हें कोई परेशानी न हो।
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