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चम्बा , 06 अप्रैल [ शिवानी ] ! एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने प्रदेश में बसों के बढ़ते किरये के निर्णय के खिलाफ प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की प्रदेश सरकार आम जनता पर लगातार बोझ डालने का काम कर रही है। हिमाचल प्रदेश में 28 मार्च को विधानसभा का सत्र खत्म हो चूका है। उसके बाद कांग्रेस सरकार की केबिनेट की मीटिंग 5 अप्रैल को हुई जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा बसों का मिनिमम किराया 10 रुपए करने का निर्णय लिया गया। एसएफआई इस निर्णय का विरोध करती है। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को प्रदेश की आम जनता के हित के लिए नीतियां बनानी चाहिए थी वहां उल्टा इस तरह के फरमान लाकर आर्थिक बोझ डालने का काम किया जा रहा है। एसएफआई का मानना है नवउदारवाद की नीतियों के चलते प्रदेश में वित्तय संकट के हालात पैदा हो चुके है जिसके कारण प्रदेश की आम जनता और छात्रों पर लगातार आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। उसके बाबजूद इस तरह के फरमान लाकर प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने का काम किया जा रहा है। एसएफआई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने जो मंत्रीयो और विधायकों के भत्तो को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है उसकी भरपाई करने के लिए अब आम जनता पर बोझ डालने के लिए इस निर्णय को लिया गया है। प्रदेश सरकार ने बजट सत्र में घोषणा की थी कि 1000 सरकारी बस रूटो को प्राइवेट बस ऑपरेटर को दिया जाएगा। सरकारी रूटो को प्राइवेट बस ऑपरेटरों को देना एचआरटीसी का पूरी तरह से निजीकरण करने की साजिश है जिसका एसएफआई विरोध करती है। एसएफआई ने कहा कि प्रदेश में बहुत बड़ा तबका छात्र समुदाय का भी रहता है जो शिक्षा को ग्रहण करने के लिए बसों के माध्यम से स्कूल,कॉलेज और विश्वविद्यालय को जाता है इस निर्णय से सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जो हर रोज़ दूर दराज क्षेत्रो से सफर करता है। एसएफआई लगातार यह माँग कर रही है कि छात्रों को हर शिक्षण संस्थानों में फ्री बसों की सुविधा दी जाए। इसके साथ जो प्रदेश सरकार ने बसों के किराये को बढ़ाने का निर्णय लिया है इस निर्णय को वापिस लिया जाए। एसएफआई ने चेतावनी देते हुए का कि इस निर्णय के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी।
चम्बा , 06 अप्रैल [ शिवानी ] ! एसएफआई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने प्रदेश में बसों के बढ़ते किरये के निर्णय के खिलाफ प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा की प्रदेश सरकार आम जनता पर लगातार बोझ डालने का काम कर रही है।
हिमाचल प्रदेश में 28 मार्च को विधानसभा का सत्र खत्म हो चूका है। उसके बाद कांग्रेस सरकार की केबिनेट की मीटिंग 5 अप्रैल को हुई जिसमें प्रदेश सरकार द्वारा बसों का मिनिमम किराया 10 रुपए करने का निर्णय लिया गया। एसएफआई इस निर्णय का विरोध करती है।
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हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार को प्रदेश की आम जनता के हित के लिए नीतियां बनानी चाहिए थी वहां उल्टा इस तरह के फरमान लाकर आर्थिक बोझ डालने का काम किया जा रहा है।
एसएफआई का मानना है नवउदारवाद की नीतियों के चलते प्रदेश में वित्तय संकट के हालात पैदा हो चुके है जिसके कारण प्रदेश की आम जनता और छात्रों पर लगातार आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। उसके बाबजूद इस तरह के फरमान लाकर प्रदेश की जनता के साथ धोखा करने का काम किया जा रहा है।
एसएफआई ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने जो मंत्रीयो और विधायकों के भत्तो को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है उसकी भरपाई करने के लिए अब आम जनता पर बोझ डालने के लिए इस निर्णय को लिया गया है।
प्रदेश सरकार ने बजट सत्र में घोषणा की थी कि 1000 सरकारी बस रूटो को प्राइवेट बस ऑपरेटर को दिया जाएगा। सरकारी रूटो को प्राइवेट बस ऑपरेटरों को देना एचआरटीसी का पूरी तरह से निजीकरण करने की साजिश है जिसका एसएफआई विरोध करती है।
एसएफआई ने कहा कि प्रदेश में बहुत बड़ा तबका छात्र समुदाय का भी रहता है जो शिक्षा को ग्रहण करने के लिए बसों के माध्यम से स्कूल,कॉलेज और विश्वविद्यालय को जाता है इस निर्णय से सबसे ज्यादा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जो हर रोज़ दूर दराज क्षेत्रो से सफर करता है।
एसएफआई लगातार यह माँग कर रही है कि छात्रों को हर शिक्षण संस्थानों में फ्री बसों की सुविधा दी जाए। इसके साथ जो प्रदेश सरकार ने बसों के किराये को बढ़ाने का निर्णय लिया है इस निर्णय को वापिस लिया जाए। एसएफआई ने चेतावनी देते हुए का कि इस निर्णय के खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन करेगी।
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