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चम्बा ! करुणामूलक परिवारो करुणा मूलक नौकरी बहाली की मांग मीडिया के माध्यम से चंबा प्रेस वार्ता में उठाई गई जिसकी अध्यक्षता जिला प्रधान रविंद्र अत्री द्वारा की गई यह प्रेस वार्ता जिला चम्बा के इरावती होटल मैं की गई जिसमें जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण अत्री ब आश्रित , पवन सोमदत्त लोकेंद्र सिंह अभिषेक जितेंद्र केशव कुमार डी आर दीक्षित मौजूद रहे जिला प्रधान रविंद्र अत्री द्वारा कहा गया करुणामूलक परिवार प्रदेश सरकार की तारीखों के बोझ तले दब रहे हैं ! सरकार को आए हुए 2 साल से ज्यादा समय हो गया है ! लेकिन इसके विपरीत सरकार द्वारा 2 सालो में केवल कमेटी का गठन ही किया गया !! जिसकी अध्यक्षता शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर कर रहे हैं लेकिन आज दिन तक ना इन करुणा मूलक परिवारों के लिए पॉलिसी बनाई गई ना ही कोई फैसला लिया गया ! जब भी न्याय की मांग आती है तो इन परिवारों को तारीखो पर तारीख मिल रही !जिसके चलते के करुणामूलक परिबारो द्वारा जिला प्रधान रविंद अत्री की अध्यक्षता मैं मीडिया के माध्यम से करुणामूलक परिवारों की व्यथा ओर जो अन्याय इन परिवारों के साथ हो रहा है मीडिया के माध्यम से रखी गई ! जिला प्रधान का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के समस्त करुणा मूलक परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं ! सरकार समस्त करुणामूलक परिवारों के लिए फैसला ले ! सरकार द्वारा नारा दिया गया था व्यवस्था परिवर्तन लेकिन इन परिवारों के लिए सरकार ऐसी कौन सी व्यवस्था लाई केवल तारीखो पर तारीख !और आश्वासन जब भी यह समस्त परिवार अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु से मिलते हैं तो इन्हें यह कहकर टाल दिया जाता कि आप लोगों के लिए पॉलिसी का प्रावधान हो रहा है कैसी पॉलिसी जिसको बनने में 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है इससे साफ जाहिर होता है की इन करुणा मुल्क परिवारों को केवल ठगा जा रहा है ! क्या यह परिवार न्याय के पात्र नहीं इन परिवारों ने अपने घर का सदस्य को खोया है जब किसी विधानसभा में किसी जनप्रतिनिधि की मृत्यु हो जाती है तो 6 महीने के भीतर वहां पर इलेक्शन हो जाते हैं जिस प्रकार एक जनप्रतिनिधि अगर जनता की सेवा करता है तो एक सरकारी कर्मचारी भी अपने तन मन धन से सरकार की सेवा करता है तो उसके परिवार को क्यों ठोकरे खाने के लिए मजबूर कर रही सरकार !! 15 से 20 सालो से करुणामूलक नौकरी कि आस में इन परिवारों में कई दुख देखे सरकार की गलत नीतियों के कारण कुछ परिवारों के ऐसे सदस्य भी हैं जिसमे पुत्र ने पिता की नौकरी के लिए आवेदन करा था लेकिन काल उस अभागन मां से पुत्र को भी छीन के ले गया ब बेटा भी इस दुनिया को छोड़कर चला गया ! यह कैसी व्यवस्था ओर कैसा व्यवस्था परिवर्तन क्या एक सरकारी कर्मचारी प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान नहीं देता एक सरकारी कर्मचारी सरकार पर भोज नहीं होता वह अपनी कार्य निष्ठा और लगन मेहनत से सरकार और जनता की सेवा करता है लेकिन बदले में उसके परिवार को ठोकरो के अलावा कुछ नहीं मिलता सरकार व्यवस्था परिवर्तन कर रही है केबल उन परिवारों की जिनकी इनकम सालाना 14 से 15 लाख है और जिनकी इनकम डेढ़ 1.50 से 2 लाख है उन्हें लिए केबल तारीखे !इन परिवारों पर ऐसी-ऐसी शर्ते लगाई जाती जो निराधार है जिसमेंसबसे सबसे बड़ी शर्त 62500 है इस शर्त को पूर्ण रूप से सरकार हटाए व आय सीमा को ज्यादा से ज्यादा बढाए! ताकि समस्त परिवारों को न्याय मिल पाए !जिला प्रधान रविंद्र अत्रि का कहना है कि प्रदेश सरकार क्यो इन समस्त परिवारों के लिए एकमुशत फैसला क्यों नहीं लेती जबकि विधानसभा चुनाबो के समय हर एक मंच से इन समस्त परिवारों के लिए आवाज उठी समस्त परिवारों को वन टाइम सेटलमेंट दी जाएगी ! सरकार जल्द से जल्द इन परिवारों के लिए फैसला ले ! मुख्य मांगे.... 1) आगामी कैबिनेट में 7/03/2019 पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 62500 एक सदस्य सालाना आय शर्त को पूर्णतया हटा दिया जाए और सालाना आय सीमा को 2.50 लाख से उठाकर ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए |2) वित्त विभाग के द्वारा रिजेक्ट केसों को दोबारा कंसीडर न करने की नोटिफिकेशन जो 22 सितंबर 2022 को हुई थी उस नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और रिजेक्ट केसों को द्वारा कंसीडर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए । 3) करुणामूलक भर्तियों में जो 5% कोटे की शर्त जो लगी हुई है उसे हटाया जाए ताकि one time relaxation के आधार पर एक साथ नियुक्तियां हो सके और जिन विभागों बोर्डों और निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नहीं है उन केसों को शिफ्ट करके किसी अन्य विभाग में नौकरियां दी जाए । 4) शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सभी श्रेणियों (Techanical + Non Techanical) के सभी पदों में नौकरियां दी जाए ताकि किसी एक पद पर बोझ न पड़े । पॉलिसी में संशोधन हो जाए उसके तुरंत बाद बिना किसी भेदभाव के Date Of Death of Deceased की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाए ताकि किसी भी परिवार के साथ किसी तरीके का भेदभाव न हो क्योंकि सभी परिवारों ने अपने परिवार के कमाने वाले मृतक कर्मचारी/मुखिया को खोया है ।
चम्बा ! करुणामूलक परिवारो करुणा मूलक नौकरी बहाली की मांग मीडिया के माध्यम से चंबा प्रेस वार्ता में उठाई गई जिसकी अध्यक्षता जिला प्रधान रविंद्र अत्री द्वारा की गई यह प्रेस वार्ता जिला चम्बा के इरावती होटल मैं की गई जिसमें जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण अत्री ब आश्रित , पवन सोमदत्त लोकेंद्र सिंह अभिषेक जितेंद्र केशव कुमार डी आर दीक्षित मौजूद रहे जिला प्रधान रविंद्र अत्री द्वारा कहा गया करुणामूलक परिवार प्रदेश सरकार की तारीखों के बोझ तले दब रहे हैं ! सरकार को आए हुए 2 साल से ज्यादा समय हो गया है ! लेकिन इसके विपरीत सरकार द्वारा 2 सालो में केवल कमेटी का गठन ही किया गया !! जिसकी अध्यक्षता शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर कर रहे हैं लेकिन आज दिन तक ना इन करुणा मूलक परिवारों के लिए पॉलिसी बनाई गई ना ही कोई फैसला लिया गया !
जब भी न्याय की मांग आती है तो इन परिवारों को तारीखो पर तारीख मिल रही !जिसके चलते के करुणामूलक परिबारो द्वारा जिला प्रधान रविंद अत्री की अध्यक्षता मैं मीडिया के माध्यम से करुणामूलक परिवारों की व्यथा ओर जो अन्याय इन परिवारों के साथ हो रहा है मीडिया के माध्यम से रखी गई ! जिला प्रधान का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के समस्त करुणा मूलक परिवार खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं !
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सरकार समस्त करुणामूलक परिवारों के लिए फैसला ले ! सरकार द्वारा नारा दिया गया था व्यवस्था परिवर्तन लेकिन इन परिवारों के लिए सरकार ऐसी कौन सी व्यवस्था लाई केवल तारीखो पर तारीख !और आश्वासन जब भी यह समस्त परिवार अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु से मिलते हैं तो इन्हें यह कहकर टाल दिया जाता कि आप लोगों के लिए पॉलिसी का प्रावधान हो रहा है कैसी पॉलिसी जिसको बनने में 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है इससे साफ जाहिर होता है की इन करुणा मुल्क परिवारों को केवल ठगा जा रहा है ! क्या यह परिवार न्याय के पात्र नहीं इन परिवारों ने अपने घर का सदस्य को खोया है जब किसी विधानसभा में किसी जनप्रतिनिधि की मृत्यु हो जाती है तो 6 महीने के भीतर वहां पर इलेक्शन हो जाते हैं जिस प्रकार एक जनप्रतिनिधि अगर जनता की सेवा करता है तो एक सरकारी कर्मचारी भी अपने तन मन धन से सरकार की सेवा करता है तो उसके परिवार को क्यों ठोकरे खाने के लिए मजबूर कर रही सरकार !!
15 से 20 सालो से करुणामूलक नौकरी कि आस में इन परिवारों में कई दुख देखे सरकार की गलत नीतियों के कारण कुछ परिवारों के ऐसे सदस्य भी हैं जिसमे पुत्र ने पिता की नौकरी के लिए आवेदन करा था लेकिन काल उस अभागन मां से पुत्र को भी छीन के ले गया ब बेटा भी इस दुनिया को छोड़कर चला गया ! यह कैसी व्यवस्था ओर कैसा व्यवस्था परिवर्तन क्या एक सरकारी कर्मचारी प्रदेश की प्रगति में अपना योगदान नहीं देता एक सरकारी कर्मचारी सरकार पर भोज नहीं होता वह अपनी कार्य निष्ठा और लगन मेहनत से सरकार और जनता की सेवा करता है लेकिन बदले में उसके परिवार को ठोकरो के अलावा कुछ नहीं मिलता
सरकार व्यवस्था परिवर्तन कर रही है केबल उन परिवारों की जिनकी इनकम सालाना 14 से 15 लाख है और जिनकी इनकम डेढ़ 1.50 से 2 लाख है उन्हें लिए केबल तारीखे !इन परिवारों पर ऐसी-ऐसी शर्ते लगाई जाती जो निराधार है जिसमेंसबसे सबसे बड़ी शर्त 62500 है इस शर्त को पूर्ण रूप से सरकार हटाए व आय सीमा को ज्यादा से ज्यादा बढाए! ताकि समस्त परिवारों को न्याय मिल पाए !जिला प्रधान रविंद्र अत्रि का कहना है कि प्रदेश सरकार क्यो इन समस्त परिवारों के लिए एकमुशत फैसला क्यों नहीं लेती जबकि विधानसभा चुनाबो के समय हर एक मंच से इन समस्त परिवारों के लिए आवाज उठी समस्त परिवारों को वन टाइम सेटलमेंट दी जाएगी ! सरकार जल्द से जल्द इन परिवारों के लिए फैसला ले !
मुख्य मांगे....
1) आगामी कैबिनेट में 7/03/2019 पॉलिसी संशोधन किया जाए जिसमें 62500 एक सदस्य सालाना आय शर्त को पूर्णतया हटा दिया जाए और सालाना आय सीमा को 2.50 लाख से उठाकर ज्यादा से ज्यादा बढ़ाया जाए |
2) वित्त विभाग के द्वारा रिजेक्ट केसों को दोबारा कंसीडर न करने की नोटिफिकेशन जो 22 सितंबर 2022 को हुई थी उस नोटिफिकेशन को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए और रिजेक्ट केसों को द्वारा कंसीडर करने की नोटिफिकेशन जल्द की जाए ।
3) करुणामूलक भर्तियों में जो 5% कोटे की शर्त जो लगी हुई है उसे हटाया जाए ताकि one time relaxation के आधार पर एक साथ नियुक्तियां हो सके और जिन विभागों बोर्डों और निगमों और यूनिवर्सिटी में खाली पोस्टें नहीं है उन केसों को शिफ्ट करके किसी अन्य विभाग में नौकरियां दी जाए ।
4) शैक्षणिक योग्यता के अनुसार सभी श्रेणियों (Techanical + Non Techanical) के सभी पदों में नौकरियां दी जाए ताकि किसी एक पद पर बोझ न पड़े ।
पॉलिसी में संशोधन हो जाए उसके तुरंत बाद बिना किसी भेदभाव के Date Of Death of Deceased की वरिष्ठता के आधार पर नौकरियां दी जाए ताकि किसी भी परिवार के साथ किसी तरीके का भेदभाव न हो क्योंकि सभी परिवारों ने अपने परिवार के कमाने वाले मृतक कर्मचारी/मुखिया को खोया है ।
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