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चम्बा , 14 फरवरी [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश की नई होम स्टे नीति को लेकर जिला चंबा के होमस्टे संचालकों ने आपत्तियां जताई हैं। जिला चंबा के होम स्टे संचालकों का कहना है कि सरकार नई होम स्टे नीति के बारे में दोबारा विचार करें। इस नीति के बाद अब लोग होमस्टे का संचालन करवाने से घबराने लगे हैं। उक्त नीति को लेकर होमस्टे संचालकों ने शुक्रवार को जिला मुख्यालय चम्बा स्थित भूरी सिंह संग्रहालय परिसर में बैठक का आयोजन किया गया। इसमें जिलाभर को होमस्टे संचालकों ने भाग लिया। इस दौरान संचालकों रजत, राजेश, वेद व्यास, रजनीश, विनीत, अमित, मोहम्मद रफी, किशोरी लाल, रेणु शर्मा, विकास, संत राम, मनोज, करतार सिंह, आशा देवी, सुरिंदर, मोहम्मद रियाज, मगनदीप सहित नाट आन मैप संस्था के सदस्यों ने कहा कि नई होम स्टे नीति से संचालकों की परेशानी बढ़ गई है। इस नीति के अनुसार अब होम स्टे का ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकरण करवाने के लिए प्रति वर्ष करीब छह हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे। जबकि, इससे पूर्व होम स्टे संचालकों को महज 100 रुपये की पंजीकरण फीस तीन वर्षों के लिए देनी पड़ती थी। वर्तमान नीति के अनुसार छह हजार रुपये पंजीकरण के मुताबिक तीन वर्षों में संचालकों को 18 हजार रुपये तक पंजीकरण के लिए खर्च करने पड़ेंगे। वहीं, साडा श्रेणी में आठ हजार व अर्बन श्रेणी में यह 12 हजार रुपये है। संचालकों ने कहा कि जिला चम्बा में कई ऐसे होमस्टे हैं, जहां पर वर्षभर चंद लोग ही पहुंचते हैं। कई का पंजीकरण होने के बाद से अब तक कोई नहीं आया है। इसलिए होमस्टे को श्रेणियों में विभाजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि होटल के लिए विभिन्न श्रेणियों में पंजीकरण करीब एक हजार से पांच हजार रुपये में तीन वर्ष के लिए हो जाता है। ऐसे में होमस्टे के संबंध में दोबारा से विचार किया जाए। बैठक में हिमालयन कैनवस होमस्टे, नीलकंठ होमस्टे, रजत होमस्टे, सलूणी होमस्टे, माउंटेन व्यू होमस्टे, एचटूओ होमस्टे, ग्रैंड कैलाश व्यू होमस्टे, प्रिंगल होमस्टे, भोजपत्र होमस्टे, ग्रीन वैली होमस्टे, अतुल होमस्टे, सनराइज होमस्टे, रफी होमस्टे, झारू होमस्टे, शिव सुख कुट्टीर आदि संचालकों ने भाग लिया। जिला चम्बा के होमस्टे संचालकों की ओर से शुक्रवार को चम्बा में बैठक कर नई होमस्टे नीति के बारे में चर्चा की गई। इस नीति पर सभी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अभी जिला चम्बा के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पर्यटक नहीं आते हैं। ऐसे में होम स्टे संचालकों पर बोझ बढ़ जाएगा। इस को लेकर रविवार को फिर से भूरी सिंह संग्रहालय परिसर में बैठक की जाएगी।
चम्बा , 14 फरवरी [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश की नई होम स्टे नीति को लेकर जिला चंबा के होमस्टे संचालकों ने आपत्तियां जताई हैं। जिला चंबा के होम स्टे संचालकों का कहना है कि सरकार नई होम स्टे नीति के बारे में दोबारा विचार करें। इस नीति के बाद अब लोग होमस्टे का संचालन करवाने से घबराने लगे हैं। उक्त नीति को लेकर होमस्टे संचालकों ने शुक्रवार को जिला मुख्यालय चम्बा स्थित भूरी सिंह संग्रहालय परिसर में बैठक का आयोजन किया गया।
इसमें जिलाभर को होमस्टे संचालकों ने भाग लिया। इस दौरान संचालकों रजत, राजेश, वेद व्यास, रजनीश, विनीत, अमित, मोहम्मद रफी, किशोरी लाल, रेणु शर्मा, विकास, संत राम, मनोज, करतार सिंह, आशा देवी, सुरिंदर, मोहम्मद रियाज, मगनदीप सहित नाट आन मैप संस्था के सदस्यों ने कहा कि नई होम स्टे नीति से संचालकों की परेशानी बढ़ गई है।
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इस नीति के अनुसार अब होम स्टे का ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकरण करवाने के लिए प्रति वर्ष करीब छह हजार रुपये खर्च करने पड़ेंगे। जबकि, इससे पूर्व होम स्टे संचालकों को महज 100 रुपये की पंजीकरण फीस तीन वर्षों के लिए देनी पड़ती थी। वर्तमान नीति के अनुसार छह हजार रुपये पंजीकरण के मुताबिक तीन वर्षों में संचालकों को 18 हजार रुपये तक पंजीकरण के लिए खर्च करने पड़ेंगे।
वहीं, साडा श्रेणी में आठ हजार व अर्बन श्रेणी में यह 12 हजार रुपये है। संचालकों ने कहा कि जिला चम्बा में कई ऐसे होमस्टे हैं, जहां पर वर्षभर चंद लोग ही पहुंचते हैं। कई का पंजीकरण होने के बाद से अब तक कोई नहीं आया है। इसलिए होमस्टे को श्रेणियों में विभाजित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि होटल के लिए विभिन्न श्रेणियों में पंजीकरण करीब एक हजार से पांच हजार रुपये में तीन वर्ष के लिए हो जाता है।
ऐसे में होमस्टे के संबंध में दोबारा से विचार किया जाए। बैठक में हिमालयन कैनवस होमस्टे, नीलकंठ होमस्टे, रजत होमस्टे, सलूणी होमस्टे, माउंटेन व्यू होमस्टे, एचटूओ होमस्टे, ग्रैंड कैलाश व्यू होमस्टे, प्रिंगल होमस्टे, भोजपत्र होमस्टे, ग्रीन वैली होमस्टे, अतुल होमस्टे, सनराइज होमस्टे, रफी होमस्टे, झारू होमस्टे, शिव सुख कुट्टीर आदि संचालकों ने भाग लिया।
जिला चम्बा के होमस्टे संचालकों की ओर से शुक्रवार को चम्बा में बैठक कर नई होमस्टे नीति के बारे में चर्चा की गई। इस नीति पर सभी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अभी जिला चम्बा के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक पर्यटक नहीं आते हैं। ऐसे में होम स्टे संचालकों पर बोझ बढ़ जाएगा। इस को लेकर रविवार को फिर से भूरी सिंह संग्रहालय परिसर में बैठक की जाएगी।
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