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चम्बा 08 अप्रैल [ शिवानी ] ! चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र के भेड़पालक 6 महीने तक सर्दियों के दौरान मैदानी इलाकों का रुख करते हैं वहीं गर्मियों शुरू होते ही वापस अपने घरों को पहाड़ों की तरफ अपने पशुधन के साथ सड़क मार्ग से वापस आते हैं। आजकल यह भेड़पालक अपने पशु धन के साथ सड़क मार्ग से मैदानी इलाकों से पहाड़ों की तरफ आ रहे हैं। यह लोग सदियों से इसी तरह अपनी भेड़ बकरियों के साथ सड़क मार्ग से ही अपने पशुधन के साथ मैदानी इलाकों की तरफ चले जाते हैं। रास्ते में इन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यातायात बढ़ने की वजह से इन्हें अपने पशु धन को लाने ले जाने में काफी दिक्कत हो रही है। कई बार इन लोगों का भेड़ बकरियां रास्ते में चोरी भी हो जाती है। बारिश के समय यह लोग खुले में ही रात बिताते हैं जहां पर अपना पड़ाव डालते हैं वहीं पर यह खाना भी बनाते हैं। कुल मिलाकर इनकी जिंदगी बड़ी कठिन परिस्थितियों से होकर गुजरती है लेकिन उसके बावजूद भी यह लोग निरंतर अपने इस व्यवसाय को संभाले हुए हैं। वही भेड़ पालकों ने बताया कि 6 महीने तक वह सर्दियों में मैदानी इलाकों में रहते हैं और गर्मियों शुरू होते ही यह वापस पहाड़ों की तरफ आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में पहाड़ों पर बर्फबारी बढ़ जाती है साथ ही घास की कमी होती है इसलिए अपनी भेड़ बकरियों को लेकर मैदान इलाकों में चले जाते हैं लेकिन गर्मियां शुरू होते ही वापस अपने घरों और पहाड़ों की तरफ रुख करते हैं। उन्होंने कहा कि वह यह व्यवसाय सदियों से करते आ रहे हैं और इस कार्य में उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बारिश होती है तो खुले में ही उन्हें तिरपाल के नीचे सोना पड़ता है। वहीं पर खाना बनाना पड़ता है उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ी कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन करना पड़ता है।
चम्बा 08 अप्रैल [ शिवानी ] ! चम्बा जिला के जनजातीय क्षेत्र के भेड़पालक 6 महीने तक सर्दियों के दौरान मैदानी इलाकों का रुख करते हैं वहीं गर्मियों शुरू होते ही वापस अपने घरों को पहाड़ों की तरफ अपने पशुधन के साथ सड़क मार्ग से वापस आते हैं। आजकल यह भेड़पालक अपने पशु धन के साथ सड़क मार्ग से मैदानी इलाकों से पहाड़ों की तरफ आ रहे हैं।
यह लोग सदियों से इसी तरह अपनी भेड़ बकरियों के साथ सड़क मार्ग से ही अपने पशुधन के साथ मैदानी इलाकों की तरफ चले जाते हैं। रास्ते में इन्हें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यातायात बढ़ने की वजह से इन्हें अपने पशु धन को लाने ले जाने में काफी दिक्कत हो रही है। कई बार इन लोगों का भेड़ बकरियां रास्ते में चोरी भी हो जाती है।
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बारिश के समय यह लोग खुले में ही रात बिताते हैं जहां पर अपना पड़ाव डालते हैं वहीं पर यह खाना भी बनाते हैं। कुल मिलाकर इनकी जिंदगी बड़ी कठिन परिस्थितियों से होकर गुजरती है लेकिन उसके बावजूद भी यह लोग निरंतर अपने इस व्यवसाय को संभाले हुए हैं।
वही भेड़ पालकों ने बताया कि 6 महीने तक वह सर्दियों में मैदानी इलाकों में रहते हैं और गर्मियों शुरू होते ही यह वापस पहाड़ों की तरफ आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि सर्दियों के मौसम में पहाड़ों पर बर्फबारी बढ़ जाती है साथ ही घास की कमी होती है इसलिए अपनी भेड़ बकरियों को लेकर मैदान इलाकों में चले जाते हैं लेकिन गर्मियां शुरू होते ही वापस अपने घरों और पहाड़ों की तरफ रुख करते हैं।
उन्होंने कहा कि वह यह व्यवसाय सदियों से करते आ रहे हैं और इस कार्य में उन्हें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बारिश होती है तो खुले में ही उन्हें तिरपाल के नीचे सोना पड़ता है। वहीं पर खाना बनाना पड़ता है उन्होंने कहा कि उन्हें बड़ी कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन यापन करना पड़ता है।
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