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चम्बा , 16 अप्रैल [ शिवानी ] ! वास्तव में चम्बा देवी देवताओं की भूमि है और इस पहाड़ी इलाकों में एक तरफ भगवान भोले नाथ शिवजी का निवास स्थान है तो वहीं दूसरी तरफ इन्ही पहाड़ी क्षेत्रों में जगह जगह अन्य देवी देवताओं के अपने निवास स्थान विराजमान है और उन्हीं देव स्थलों में यह देवी देवता सदियों से इसी जगह पर विराजे हुए है। देखा जाए तो यह देवी देवता भी वर्ष में एक बार अपने कटुंब के छोटे बड़े भाई बहनों से मिलने जरूर जाते है। ऐसी ही परंपरा से जुड़ा एक सत्य यह भी है कि चम्बा जिले की चुराह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले बैरागढ नामक स्थान में बैरेवाली भगवती का निवास स्थान विराजमान है,एक मान्यता के अनुसार माता बैरेवाली भगवती हर वर्ष बैसाख की पहली परवेष्ठे को अपनी निवास बैरागढ से अपने भगतो के साथ कई दिनों का पैदल सफर करके चम्बा में स्तिथ अपनी बड़ी बहन से मिलने को आती है। आज बैसाखी की पहली परवेष्ठे है और माता बैरेवाली भगवती अपने निवास स्थान बैरागढ से अपने भगतो के साथ चल पड़ी है। इस मौके पर उनके अनुयाई अपनी प्राचीन भेषभुषा और माता के सजोसाज ढोल निगाड़ो के साथ उनको बजाते हुए चल पड़ते है। बताते चले कि चंबा पहुंचने के बाद यह दोनों देवियां माता बैरेवाली और माता चामुंडा भगवती पूरे 15,दिनों तक एक ही मंदिर में एक साथ रहती है। तथा इन दोनों देवियों का आशीर्वाद लेने समूचे चंबा के लोग मंदिर जाते है और उनका आशीर्वाद प्राप्त भी करते है। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा , 16 अप्रैल [ शिवानी ] ! वास्तव में चम्बा देवी देवताओं की भूमि है और इस पहाड़ी इलाकों में एक तरफ भगवान भोले नाथ शिवजी का निवास स्थान है तो वहीं दूसरी तरफ इन्ही पहाड़ी क्षेत्रों में जगह जगह अन्य देवी देवताओं के अपने निवास स्थान विराजमान है और उन्हीं देव स्थलों में यह देवी देवता सदियों से इसी जगह पर विराजे हुए है। देखा जाए तो यह देवी देवता भी वर्ष में एक बार अपने कटुंब के छोटे बड़े भाई बहनों से मिलने जरूर जाते है। ऐसी ही परंपरा से जुड़ा एक सत्य यह भी है कि चम्बा जिले की चुराह विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाले बैरागढ नामक स्थान में
बैरेवाली भगवती का निवास स्थान विराजमान है,एक मान्यता के अनुसार माता बैरेवाली भगवती हर वर्ष बैसाख की पहली परवेष्ठे को अपनी निवास बैरागढ से अपने भगतो के साथ कई दिनों का पैदल सफर करके चम्बा में स्तिथ अपनी बड़ी बहन से मिलने को आती है।
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आज बैसाखी की पहली परवेष्ठे है और माता बैरेवाली भगवती अपने निवास स्थान बैरागढ से अपने भगतो के साथ चल पड़ी है। इस मौके पर उनके अनुयाई अपनी प्राचीन भेषभुषा और माता के सजोसाज ढोल निगाड़ो के साथ उनको बजाते हुए चल पड़ते है। बताते चले कि चंबा पहुंचने के बाद यह दोनों देवियां माता बैरेवाली और माता चामुंडा भगवती पूरे 15,दिनों तक एक ही मंदिर में एक साथ रहती है। तथा इन दोनों देवियों का आशीर्वाद लेने समूचे चंबा के लोग मंदिर जाते है और उनका आशीर्वाद प्राप्त भी करते है।
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