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चम्बा! भारत में हर दिन 55 सौ बच्चे तम्बाकू पदार्थों का सेवन करने शुरुआत करते है जोकि 10 साल से कम उम्र के बच्चे होते है ,धूम्रपान रहित तंबाकू पदार्थों से हर साल दौ लाख तीस हजार भारतीयों की मौत होती है, धूम्रपान और सेकंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से लगभग बारह लाख भारतीयों की मौत होती है। 2003 में बने कोटपा अधिनियम में अब संशोधन करने की आवश्यकता है ताकि युवाओं को तम्बाकू से दूर रखा जाए, और देश के भविष्य यानि युवाओं को बचाया जाए। हालांकि नाडा इंडिया फाउंडेशन राष्ट्रीय स्तर पर इसमें संशोधन करवाने के लिए प्रयासरत है और हिमाचल, पंजाब आदि राज्यों में तम्बाकू नियंत्रण के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है, अधिनियम में संशोधन हेतु अलग अलग राज्यों से केंद्र सरकार में स्वस्थ्य मंत्री एवं प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जा रहे है इसके साथ साथ लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसदों से भी अपील की जा रही है की वह अपने स्तर पर इसमें संसोधन के लिए कार्य करें । देखा जाए तो COTPA अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के मुताबिक,10 साल की उम्र से पहले ही बच्चे तंबाकू के आदी हो रहे हैं। अवैध विज्ञापनों के माध्यम से बच्चों और युवाओं को तम्बाकू की ओर आकर्षित किया जाता है। COTPA में संशोधन करके हमें सभी प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तम्बाकू विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना होगा। "दीर्घकालिक तम्बाकू उपयोगकर्ताओं में से अधिकांश तम्बाकू का उपयोग तब शुरू करते हैं जब वे किशोर होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य का अधिकार है और धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थानों का अधिकार है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 इसकी गारंटी देता है। इसलिए जब कोई धूम्रपान करने वाला सार्वजनिक स्थानों पर 'धूम्रपान' करता है, तो वह न केवल अपना स्वास्थ्य खराब कर रहा होता है बल्कि उस सार्वजनिक स्थान पर मौजूद सभी लोगों के जीवन को भी खतरा होता है। यह धूम्रपान न करने वालों के स्वस्थ जीवन शैली के अधिकार का उल्लंघन करता है। हमें अपने सार्वजनिक स्थानों को 100 प्रतिशत धूम्रपान-मुक्त बनाने के लिए सीओटीपीए में संशोधन करना होगा, कोटपा अधिनियम में मुख्यतः सेवन करने, खरीदने व बेचने की उम्र 18 वर्ष से बढाकर 21 वर्ष कर दी जानी चाहिए एवं तम्बाकू से सम्बन्धित विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए और धूम्रपान करने हेतु बनाये गए क्षेत्रों पर भी प्रतिबन्ध लगना चाहिए एवं इसके साथ ही शेक्षणिक संस्थानों के 200 मीटर दायरे के अंदर तम्बाकू पदार्थ न बेचे जाए ऐसा प्रवधान होना चाहिए। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
चम्बा! भारत में हर दिन 55 सौ बच्चे तम्बाकू पदार्थों का सेवन करने शुरुआत करते है जोकि 10 साल से कम उम्र के बच्चे होते है ,धूम्रपान रहित तंबाकू पदार्थों से हर साल दौ लाख तीस हजार भारतीयों की मौत होती है, धूम्रपान और सेकंड हैंड धुएं के संपर्क में आने से लगभग बारह लाख भारतीयों की मौत होती है।
2003 में बने कोटपा अधिनियम में अब संशोधन करने की आवश्यकता है ताकि युवाओं को तम्बाकू से दूर रखा जाए, और देश के भविष्य यानि युवाओं को बचाया जाए। हालांकि नाडा इंडिया फाउंडेशन राष्ट्रीय स्तर पर इसमें संशोधन करवाने के लिए प्रयासरत है और हिमाचल, पंजाब आदि राज्यों में तम्बाकू नियंत्रण के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रही है, अधिनियम में संशोधन हेतु अलग अलग राज्यों से केंद्र सरकार में स्वस्थ्य मंत्री एवं प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जा रहे है इसके साथ साथ लोकसभा एवं राज्यसभा के सांसदों से भी अपील की जा रही है की वह अपने स्तर पर इसमें संसोधन के लिए कार्य करें ।
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देखा जाए तो COTPA अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के मुताबिक,10 साल की उम्र से पहले ही बच्चे तंबाकू के आदी हो रहे हैं। अवैध विज्ञापनों के माध्यम से बच्चों और युवाओं को तम्बाकू की ओर आकर्षित किया जाता है। COTPA में संशोधन करके हमें सभी प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तम्बाकू विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना होगा।
"दीर्घकालिक तम्बाकू उपयोगकर्ताओं में से अधिकांश तम्बाकू का उपयोग तब शुरू करते हैं जब वे किशोर होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य का अधिकार है और धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थानों का अधिकार है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 इसकी गारंटी देता है। इसलिए जब कोई धूम्रपान करने वाला सार्वजनिक स्थानों पर 'धूम्रपान' करता है, तो वह न केवल अपना स्वास्थ्य खराब कर रहा होता है बल्कि उस सार्वजनिक स्थान पर मौजूद सभी लोगों के जीवन को भी खतरा होता है। यह धूम्रपान न करने वालों के स्वस्थ जीवन शैली के अधिकार का उल्लंघन करता है। हमें अपने सार्वजनिक स्थानों को 100 प्रतिशत धूम्रपान-मुक्त बनाने के लिए सीओटीपीए में संशोधन करना होगा,
कोटपा अधिनियम में मुख्यतः सेवन करने, खरीदने व बेचने की उम्र 18 वर्ष से बढाकर 21 वर्ष कर दी जानी चाहिए एवं तम्बाकू से सम्बन्धित विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए और धूम्रपान करने हेतु बनाये गए क्षेत्रों पर भी प्रतिबन्ध लगना चाहिए एवं इसके साथ ही शेक्षणिक संस्थानों के 200 मीटर दायरे के अंदर तम्बाकू पदार्थ न बेचे जाए ऐसा प्रवधान होना चाहिए।
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