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चम्बा , 10 मार्च [ शिवानी ] ! हिंदू धर्म मे आस्था रखने वाले गोरखा समुदाय मैं होली का त्यौहार का विशेष महत्व है। गोरखा समुदाय का पांच दिवसीय होली उत्सव आज सोमवार से शुरू हो गया। सबसे पहले महिलाएं सुबह उठकर आमला के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा के बाद इस त्योहार को शुरू किया जाता है। सुबह घर का बुजुर्ग अपने परिजनों के साथ अपने घर कुलदेवी व घर में रखे हुए देवी देवताओं के पूजा अर्चना के बाद कुलदेवी और सभी देवी देवताओं को लाल रंग का गुलाल लगाकर इस पर्व को शुरुआत कि जाती है। उसके बाद घर का मुखिया सभी परिवार को बिठाकर उनके माथे में लाल हरा पीला रंग के अबीर लगाकर उनका आशीर्वाद दिया जाता है। यह होली का टिक्का पूरे 5 दिन तक चलता है । गोरखा समुदाय में होली के त्यौहार का विशेष महत्व है होली से 5 दिन पूर्व सभी गोरखा समुदाय में यह त्यौहार शुरू हो जाता है। इन पांच दिनों में सभी गोरखा सामुदायिक के लोग अपने सगे संबंधियों के घर जाकर घर के बूढ़े बुजुर्गों से टीका लगाकर आशीर्वाद लेते हैं और घर में बनाए हुए मिष्ठान जैसे गुजिया, मट्टी रसगुल्ला,सेल रोटी, रसभरी खजूर की मिठाई के अलावा कई प्रकार के मिठाइयां परोसे जाते है। पांचवें दिन रात को होलिका दहन के बाद दूसरे दिन सभी समुदाय के लोग मिलकर एक दूसरे के घरों में जाकर नाच गाना करके होली का पर्व का मनाते हैं ओर सभी बच्चे बड़े और महिलाएं खूब आनंद लेते है ।
चम्बा , 10 मार्च [ शिवानी ] ! हिंदू धर्म मे आस्था रखने वाले गोरखा समुदाय मैं होली का त्यौहार का विशेष महत्व है। गोरखा समुदाय का पांच दिवसीय होली उत्सव आज सोमवार से शुरू हो गया। सबसे पहले महिलाएं सुबह उठकर आमला के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा के बाद इस त्योहार को शुरू किया जाता है।
सुबह घर का बुजुर्ग अपने परिजनों के साथ अपने घर कुलदेवी व घर में रखे हुए देवी देवताओं के पूजा अर्चना के बाद कुलदेवी और सभी देवी देवताओं को लाल रंग का गुलाल लगाकर इस पर्व को शुरुआत कि जाती है। उसके बाद घर का मुखिया सभी परिवार को बिठाकर उनके माथे में लाल हरा पीला रंग के अबीर लगाकर उनका आशीर्वाद दिया जाता है।
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यह होली का टिक्का पूरे 5 दिन तक चलता है । गोरखा समुदाय में होली के त्यौहार का विशेष महत्व है होली से 5 दिन पूर्व सभी गोरखा समुदाय में यह त्यौहार शुरू हो जाता है। इन पांच दिनों में सभी गोरखा सामुदायिक के लोग अपने सगे संबंधियों के घर जाकर घर के बूढ़े बुजुर्गों से टीका लगाकर आशीर्वाद लेते हैं और घर में बनाए हुए मिष्ठान जैसे गुजिया, मट्टी रसगुल्ला,सेल रोटी, रसभरी खजूर की मिठाई के अलावा कई प्रकार के मिठाइयां परोसे जाते है।
पांचवें दिन रात को होलिका दहन के बाद दूसरे दिन सभी समुदाय के लोग मिलकर एक दूसरे के घरों में जाकर नाच गाना करके होली का पर्व का मनाते हैं ओर सभी बच्चे बड़े और महिलाएं खूब आनंद लेते है ।
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