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चम्बा , 19 मार्च [ शिवानी ] ! आम आदमी पार्टी प्रदेश प्रवक्ता मनीष सरीन ने हिमाचल प्रदेश के वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट पर टिप्पणी करते हुए ज़िला चम्बा वासियों को एक बार फिर अनदेखी का शिकार होने पर ख़ास बधाई दी है। मनीष ने कहा की एक बार फिर बजट सत्र में ज़िला चम्बा का ज़िक्र तक न होना निराशाजनक है। बजट के दौरान माननीय मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों को विभिन्न सौगातों से नवाज़ा जिसका वे स्वागत करते हैं किन्तु उसके साथ साथ ज़िला चम्बा की बराबर अनदेखी हुई जो की निराशाजनक है। मनीष ने कहा की एक तरफ तो मुख्यमंत्री सम्पूर्ण प्रदेश को समदृष्टि से देखने की बात करते हैं और दूसरी तरफ ज़िला चम्बा से निरंतर सौतेला व्यवहार करते हैं चाहे वो कैबिनेट की बैठकें हों चाहे विधानसभा के सत्र। मनीष ने कहा की यह मुख्यमंत्री भी पूर्व में रहे मुख्यमंत्रियों से भिन्न नहीं हैं जिन्हें ज़िला चम्बा की मूलभूत संघर्षरत प्रणालियाँ जैसे की शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कें, पर्यटन, सीमेंट फैक्ट्री, हवाई पट्टी, इत्यादि की कोई फ़िक्र नहीं जिसकी वजह से ज़िला अत्यंत पिछड़े की सूचि में आज खड़ा है। स्थानीय शासकों पर निशाना साधते हुए मनीष ने कहा की ज़िले के मौजूदा हालात ज़िला के पूर्व में रहे व मौजूदा शासकों की अक्षमता है जो कभी ज़िला की संघर्षरत प्रणालियों के समाधान के लिए सरकारों से बात नहीं कर पाए। मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए मनीष ने कहा की ज़िला चम्बा भी हिमाचल प्रदेश का ही एक हिस्सा है व सामानांतर विकास ज़िला चम्बा का अधिकार है और यदि हिमाचल प्रदेश सरकार की मंशा हमेशा की तरह ज़िला चम्बा की अनदेखी करने की ही है तो ज़िला चम्बा को हिमाचल छोड़ दे और पंजाब या जम्मू कश्मीर में ज़िला का विलय करवा दिया जाए ताकि पिछड़ेपन के श्राप से ज़िला चम्बा को मुक्ति मिल सके। ज़िला की जनता से मनीष ने अपील की है की नालायक नेताओं के लिए नारे लगाने से बेहतर है की उनसे सवाल पूछना शुरू करें, शायद कुछ बदलाव हो जाए।
चम्बा , 19 मार्च [ शिवानी ] ! आम आदमी पार्टी प्रदेश प्रवक्ता मनीष सरीन ने हिमाचल प्रदेश के वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट पर टिप्पणी करते हुए ज़िला चम्बा वासियों को एक बार फिर अनदेखी का शिकार होने पर ख़ास बधाई दी है। मनीष ने कहा की एक बार फिर बजट सत्र में ज़िला चम्बा का ज़िक्र तक न होना निराशाजनक है।
बजट के दौरान माननीय मुख्यमंत्री ने प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों को विभिन्न सौगातों से नवाज़ा जिसका वे स्वागत करते हैं किन्तु उसके साथ साथ ज़िला चम्बा की बराबर अनदेखी हुई जो की निराशाजनक है। मनीष ने कहा की एक तरफ तो मुख्यमंत्री सम्पूर्ण प्रदेश को समदृष्टि से देखने की बात करते हैं और दूसरी तरफ ज़िला चम्बा से निरंतर सौतेला व्यवहार करते हैं चाहे वो कैबिनेट की बैठकें हों चाहे विधानसभा के सत्र।
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मनीष ने कहा की यह मुख्यमंत्री भी पूर्व में रहे मुख्यमंत्रियों से भिन्न नहीं हैं जिन्हें ज़िला चम्बा की मूलभूत संघर्षरत प्रणालियाँ जैसे की शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़कें, पर्यटन, सीमेंट फैक्ट्री, हवाई पट्टी, इत्यादि की कोई फ़िक्र नहीं जिसकी वजह से ज़िला अत्यंत पिछड़े की सूचि में आज खड़ा है।
स्थानीय शासकों पर निशाना साधते हुए मनीष ने कहा की ज़िले के मौजूदा हालात ज़िला के पूर्व में रहे व मौजूदा शासकों की अक्षमता है जो कभी ज़िला की संघर्षरत प्रणालियों के समाधान के लिए सरकारों से बात नहीं कर पाए। मुख्यमंत्री से आग्रह करते हुए मनीष ने कहा की ज़िला चम्बा भी हिमाचल प्रदेश का ही एक हिस्सा है व सामानांतर विकास ज़िला चम्बा का अधिकार है और यदि हिमाचल प्रदेश सरकार की मंशा हमेशा की तरह ज़िला चम्बा की अनदेखी करने की ही है तो ज़िला चम्बा को हिमाचल छोड़ दे और पंजाब या जम्मू कश्मीर में ज़िला का विलय करवा दिया जाए ताकि पिछड़ेपन के श्राप से ज़िला चम्बा को मुक्ति मिल सके। ज़िला की जनता से मनीष ने अपील की है की नालायक नेताओं के लिए नारे लगाने से बेहतर है की उनसे सवाल पूछना शुरू करें, शायद कुछ बदलाव हो जाए।
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