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चम्बा , 15 दिसंबर [ शिवानी ] ! हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम मैं डॉ. विजय लक्ष्मी नेगी के सद्य प्रकाशित कविता संग्रह ,गाँव पूछता है ,का लोकार्पण डॉ. पंकज ललित निदेशक, भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा आज गेयटी थियेटर शिमला के सम्मेलन कक्ष मैं किया गया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि लेखन गहरी और व्यापक है जो आसान भाषा में पाठकों तक पहुंचती है जो कवित्री की लेखन चेतना और समग्रता को दर्शाती है । उन्होंने विभाग के माध्यम से कला और साहित्य के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ साहित्यकार अवश्य उठाएं। साहित्यकार किसी वरिष्ठ साहित्यकारों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम जोड़ना चाहिए ऐसे सुविधा भी उपलब्ध की है।किताबघर के माध्यम से हिमाचल के लेखक और हिमाचल पर लिखी गई है पुस्तक को किताब घर में सुविधा दी है ।कोई भी फाइन आर्ट्स के विद्यार्थियों अपनी रचनाओं के प्रदर्शन गैलरी की उपलब्धता के आधार पर दी जा रही है। विभाग द्वारा सीमित साधनों के माध्यम से कला संस्कृति और भाषा की अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।युवा आलोचक प्रशांत रमन रवि ने संग्रह पर बोलते हुए कहा की विजय लक्ष्मी नेगी के काव्य संग्रह की कविताएं जीवन की प्रामाणिकता से निकली कविताएं है जो आम आदमी के हृदय को छूती हैं। जीवन को केंद्र मैं रख कर लिखी है कविताएं हैं जो संवेदनाओं और विचारों के नए गवाक्ष खोलती हैं। कविताओं मैं बौद्धिक प्रपंच न होते हुए आस पास के जीवन समाज को साक्षी बनाती हैं। कविताओं में विराट शब्द नहीं बल्कि छोटी और नेक महत्वकांक्षाएं और इच्छाएं विराट को प्रश्नांकित करती है। लेखिका एवं फिल्म निर्माता देव कन्या ने पुस्तक पर बोलते हुए कहा कि चेतना संपन्न स्त्रियां केवल अपने परिवार ही नहीं बल्कि समस्त पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं। जब कोई स्त्री बाज़ार से जेवर की जगह अपने लिए कलम और डायरी लेकर घर लौटती है और वह अपनी कलम से एक अनूठा संसार रचती है। विजय लक्ष्मी का काव्य संग्रह इसी पर आधारित है। ये संग्रह स्त्री विमर्श, और संस्कार को एक पीढी से दूसरी पीढ़ी को संस्कारित करने मैं स्त्री के दायित्व को भी इंगित करती है। जिंदगी की तल्ख हकीकत से रु ब रु करवाती है। पर्यावरण के प्रति चेतना भी कविताओं का हिस्सा है। बुजुर्गों की दयनीय स्थिति के प्रति सामाजिक दायित्वों का बोध भी संग्रह का हिस्सा है। आत्मीयता और वास्तविकता का चित्रण भी उकेरती हैं कविताएं। समाज की सच्चाई और व्यवस्था पर व्यंग्य हैं कविताएं। विविध सामाजिक सरोकारों के साथ साथ स्वप्रेम का भाव एक कविता मैं इंगित है। हिमालय साहित्य सांस्कृतिक एवं पर्यावरण मंच के संयोजक प्रख्यात साहित्यकार एस आर हरनौट ने मंच के माध्यम स्नेक आयोजन कर रहें हैं ।तीन वर्षों से सभागार में 30 कार्यक्रम राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम किए। उन्होंने सचिव भाषा विभाग, एवं निदेशक पंकज ललित का आभार व्यक्त किया। उन्होंने मंच की गतिविधियों और आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। पुस्तक संस्कृति को बढ़ाने के लिए किए गये मंच के प्रयासों का भी उल्लेख किया। लेखिका डॉ विजय लक्ष्मी नेगी ने अपनी सृजनशीलता की यात्रा और परिवार से मिलने वाले सहयोग का वर्णन किया ।कहा कि सब कुछ अपने आप में समेटे जो शब्द सपनों के तौर पर विचारों मै आए उन्हे ही संग्रह के माध्यम से पाठकों के समक्ष रखा है। उन्होंने अपनी कविताओं का पठन भी किया। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रख्यात आलोचक डॉ हेम राज कौशिक ने अपने संबोधन में कहा कि रचनाकार कि सृजना मैं संवेदनशीलता दिखी। विजय लक्ष्मी की सृजन यात्रा का आरंभ विद्यार्थी जीवन मैं डायरी लेखन से किया गांवों पूछता है उसी का परिणाम है। उन्होंने साहित्य और साहित्यकारों के लिए संस्था के माध्यम किए गए प्रयासों के प्रति हरनोट साधुवाद व्यक्त किया । उन्होंने संग्रह की सभी 44 कविताओं पर टिप्पणी की । डॉ. विद्यासागर शर्मा, संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा, हिमाचल प्रदेश ने कहा कि विचारों का प्रवाह सभी के मस्तिष्कों मैं रहता है सृजनशील उन विचारों को कविता, कहानी के रूप मैं संप्रेषित करता है। विजय लक्ष्मी का प्रवाह उसी संप्रेषण का हिस्सा है। उन्होंने एस आर हरनौत का प्रकाशन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहन के लिए आभार प्रकट किया। मंच संचालन करते हुए डॉ. सत्य नारायण स्नेही, कवि एवं आलोचक ने कहा कि किसी भी संग्रह को हम अनेक नजरों से देखे तो ही संग्रह की सार्थकता है।कार्यक्रम मैं साहित्यकार और शिक्षाविदों ने कार्यक्रम मैं शिरकत की।
चम्बा , 15 दिसंबर [ शिवानी ] ! हिमालय साहित्य संस्कृति एवं पर्यावरण मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम मैं डॉ. विजय लक्ष्मी नेगी के सद्य प्रकाशित कविता संग्रह ,गाँव पूछता है ,का लोकार्पण डॉ. पंकज ललित निदेशक, भाषा कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा आज गेयटी थियेटर शिमला के सम्मेलन कक्ष मैं किया गया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि लेखन गहरी और व्यापक है जो आसान भाषा में पाठकों तक पहुंचती है जो कवित्री की लेखन चेतना और समग्रता को दर्शाती है ।
उन्होंने विभाग के माध्यम से कला और साहित्य के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ साहित्यकार अवश्य उठाएं। साहित्यकार किसी वरिष्ठ साहित्यकारों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम जोड़ना चाहिए ऐसे सुविधा भी उपलब्ध की है।किताबघर के माध्यम से हिमाचल के लेखक और हिमाचल पर लिखी गई है पुस्तक को किताब घर में सुविधा दी है ।कोई भी फाइन आर्ट्स के विद्यार्थियों अपनी रचनाओं के प्रदर्शन गैलरी की उपलब्धता के आधार पर दी जा रही है।
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विभाग द्वारा सीमित साधनों के माध्यम से कला संस्कृति और भाषा की अनेक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।युवा आलोचक प्रशांत रमन रवि ने संग्रह पर बोलते हुए कहा की विजय लक्ष्मी नेगी के काव्य संग्रह की कविताएं जीवन की प्रामाणिकता से निकली कविताएं है जो आम आदमी के हृदय को छूती हैं। जीवन को केंद्र मैं रख कर लिखी है कविताएं हैं जो संवेदनाओं और विचारों के नए गवाक्ष खोलती हैं।
कविताओं मैं बौद्धिक प्रपंच न होते हुए आस पास के जीवन समाज को साक्षी बनाती हैं। कविताओं में विराट शब्द नहीं बल्कि छोटी और नेक महत्वकांक्षाएं और इच्छाएं विराट को प्रश्नांकित करती है। लेखिका एवं फिल्म निर्माता देव कन्या ने पुस्तक पर बोलते हुए कहा कि चेतना संपन्न स्त्रियां केवल अपने परिवार ही नहीं बल्कि समस्त पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करती हैं। जब कोई स्त्री बाज़ार से जेवर की जगह अपने लिए कलम और डायरी लेकर घर लौटती है और वह अपनी कलम से एक अनूठा संसार रचती है।
विजय लक्ष्मी का काव्य संग्रह इसी पर आधारित है। ये संग्रह स्त्री विमर्श, और संस्कार को एक पीढी से दूसरी पीढ़ी को संस्कारित करने मैं स्त्री के दायित्व को भी इंगित करती है। जिंदगी की तल्ख हकीकत से रु ब रु करवाती है। पर्यावरण के प्रति चेतना भी कविताओं का हिस्सा है। बुजुर्गों की दयनीय स्थिति के प्रति सामाजिक दायित्वों का बोध भी संग्रह का हिस्सा है। आत्मीयता और वास्तविकता का चित्रण भी उकेरती हैं कविताएं। समाज की सच्चाई और व्यवस्था पर व्यंग्य हैं कविताएं। विविध सामाजिक सरोकारों के साथ साथ स्वप्रेम का भाव एक कविता मैं इंगित है।
हिमालय साहित्य सांस्कृतिक एवं पर्यावरण मंच के संयोजक प्रख्यात साहित्यकार एस आर हरनौट ने मंच के माध्यम स्नेक आयोजन कर रहें हैं ।तीन वर्षों से सभागार में 30 कार्यक्रम राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम किए। उन्होंने सचिव भाषा विभाग, एवं निदेशक पंकज ललित का आभार व्यक्त किया। उन्होंने मंच की गतिविधियों और आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी। पुस्तक संस्कृति को बढ़ाने के लिए किए गये मंच के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
लेखिका डॉ विजय लक्ष्मी नेगी ने अपनी सृजनशीलता की यात्रा और परिवार से मिलने वाले सहयोग का वर्णन किया ।कहा कि सब कुछ अपने आप में समेटे जो शब्द सपनों के तौर पर विचारों मै आए उन्हे ही संग्रह के माध्यम से पाठकों के समक्ष रखा है। उन्होंने अपनी कविताओं का पठन भी किया।
कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रख्यात आलोचक डॉ हेम राज कौशिक ने अपने संबोधन में कहा कि रचनाकार कि सृजना मैं संवेदनशीलता दिखी। विजय लक्ष्मी की सृजन यात्रा का आरंभ विद्यार्थी जीवन मैं डायरी लेखन से किया गांवों पूछता है उसी का परिणाम है। उन्होंने साहित्य और साहित्यकारों के लिए संस्था के माध्यम किए गए प्रयासों के प्रति हरनोट साधुवाद व्यक्त किया । उन्होंने संग्रह की सभी 44 कविताओं पर टिप्पणी की ।
डॉ. विद्यासागर शर्मा, संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा, हिमाचल प्रदेश ने कहा कि विचारों का प्रवाह सभी के मस्तिष्कों मैं रहता है सृजनशील उन विचारों को कविता, कहानी के रूप मैं संप्रेषित करता है। विजय लक्ष्मी का प्रवाह उसी संप्रेषण का हिस्सा है। उन्होंने एस आर हरनौत का प्रकाशन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहन के लिए आभार प्रकट किया।
मंच संचालन करते हुए डॉ. सत्य नारायण स्नेही, कवि एवं आलोचक ने कहा कि किसी भी संग्रह को हम अनेक नजरों से देखे तो ही संग्रह की सार्थकता है।कार्यक्रम मैं साहित्यकार और शिक्षाविदों ने कार्यक्रम मैं शिरकत की।
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