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चम्बा , 16 मई [ शिवानी ] ! आज जंहा पूरे विश्व में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। जहां लोग कोने कोने से सड़क के जरिए बड़े बड़े शहरों के साथ जुड़े हुए है। वहां पर हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा का एक गांव अभी भी सड़क सुविधा से महरूम है। चम्बा जिला का सगोटी गांव जो हिमाचल प्रदेश को जम्मू कश्मीर की सीमा से जोड़ता है उस गांव में लोग आज भी कई वर्ष पूर्व की जिंदगी जीने को मजबूर है। करीब 800/900 की आबादी वाले इस क्षेत्र में आज भी लोग काफी समस्याओं का सामना करते है। वैसे तो वहां पर समस्याओं के कई अंबार लगे है लेकिन सबसे बड़ी समस्या वहां पर सड़क सुविधा की ही है। वहां के स्थानीय लोगों ने सरकार के प्रति अपना रोष दिखाते हुए इस बार के चुनावो के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव में सुविधा के नाम पर कुछ भी नही है। लोगों का कहना है कि उन्होंने 70 वर्ष तक पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ नेताओं को वोट देने का काम किया है और उन्हें वोट के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिए गए है। उन्होंने कहा कि 70 वर्षो में कितनी सरकारें आई और कितनी चली गई लेकिन आज तक किसी भी नेता किसी भी सरकार ने उनकी शुद्ध नहीं ली लोगों का कहना है कि नेता उन्हें सिर्फ एक वोट बैंक के नाम से जानते हैं जब उन्हें वोट लेने होते हैं चुनाव के समय में वह दौड़े दौड़े आ जाते हैं और जब चुनाव खत्म हो जाते हैं नेता लोग यह भूल जाते हैं कि चम्बा का एक ऐसा पिछड़ा क्षेत्र गांव सगोटी नाम की भी कोई जगह है जहां से लोगों ने अपना मतदान करके उन्हें जिताया है। इस बार लोगों ने साफ मना कर दिया है कि यदि कोई सरकार कोई नेता उनकी सुध नहीं लेता है तो वह इस बार चुनाव का बहिष्कार करेंगे। लोगों का यह भी मानना है कि इस बार वह चुनाव में एक भी मतदान नहीं करेंगे और वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे क्योंकि लोगों ने यह आरोप सरकार पर लगाए हैं कि उनकी जिंदगी से बेहतर तो उनके पशुओं की जिंदगी है। यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे सात आठ किलोमीटर पैदल लेकर पालकी में बिठाकर चलना पड़ता है और उनका कहना है कि कई दफा ऐसा हुआ है कि बीमार पीड़ित व्यक्ति ने रास्ते में ही दम तोड़ देता है। उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि किसी अपने को खोने का दुख क्या होता है यह नेता लोग क्या जाने वह खुद तो हवाई जहाज महंगी महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। उन्हें किसी गरीब के लाभ या हानि से क्या फर्क पड़ता है उन्हें सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है। बात करें वहां के विद्यार्थियों कि तो वहां के जो छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए 8 से 9 घंटे पैदल चलकर किसी कॉलेज या किसी स्कूल तक पहुंचाते हैं। उनका भविष्य क्या होगा उनका आने-जाने में ही समय खर्च हो जाता है। वहां पर कोई काम की सुविधा नहीं है कोई सड़क सुविधा नहीं है कोई नेटवर्क सुविधा नहीं है लेकिन फिर भी वह लोग उसे स्थिति में भी अपना जीवनयापन कर रहे हैं। वहां के लोग काफी गुस्साए और काफी चिड़चिड़े हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस बार किसी सरकार उनकी सुध नहीं लेती तो वह उग्र आंदोलन करने पर उतर आएंगे और चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
चम्बा , 16 मई [ शिवानी ] ! आज जंहा पूरे विश्व में सड़कों का जाल बिछा हुआ है। जहां लोग कोने कोने से सड़क के जरिए बड़े बड़े शहरों के साथ जुड़े हुए है। वहां पर हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा का एक गांव अभी भी सड़क सुविधा से महरूम है।
चम्बा जिला का सगोटी गांव जो हिमाचल प्रदेश को जम्मू कश्मीर की सीमा से जोड़ता है उस गांव में लोग आज भी कई वर्ष पूर्व की जिंदगी जीने को मजबूर है।
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करीब 800/900 की आबादी वाले इस क्षेत्र में आज भी लोग काफी समस्याओं का सामना करते है।
वैसे तो वहां पर समस्याओं के कई अंबार लगे है लेकिन सबसे बड़ी समस्या वहां पर सड़क सुविधा की ही है। वहां के स्थानीय लोगों ने सरकार के प्रति अपना रोष दिखाते हुए इस बार के चुनावो के बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि आजादी के 70 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस गांव में सुविधा के नाम पर कुछ भी नही है। लोगों का कहना है कि उन्होंने 70 वर्ष तक पीढ़ी दर पीढ़ी सिर्फ नेताओं को वोट देने का काम किया है और उन्हें वोट के नाम पर सिर्फ आश्वासन ही दिए गए है।
उन्होंने कहा कि 70 वर्षो में कितनी सरकारें आई और कितनी चली गई लेकिन आज तक किसी भी नेता किसी भी सरकार ने उनकी शुद्ध नहीं ली लोगों का कहना है कि नेता उन्हें सिर्फ एक वोट बैंक के नाम से जानते हैं जब उन्हें वोट लेने होते हैं चुनाव के समय में वह दौड़े दौड़े आ जाते हैं और जब चुनाव खत्म हो जाते हैं नेता लोग यह भूल जाते हैं कि चम्बा का एक ऐसा पिछड़ा क्षेत्र गांव सगोटी नाम की भी कोई जगह है जहां से लोगों ने अपना मतदान करके उन्हें जिताया है।
इस बार लोगों ने साफ मना कर दिया है कि यदि कोई सरकार कोई नेता उनकी सुध नहीं लेता है तो वह इस बार चुनाव का बहिष्कार करेंगे। लोगों का यह भी मानना है कि इस बार वह चुनाव में एक भी मतदान नहीं करेंगे और वह चुनाव का बहिष्कार करेंगे क्योंकि लोगों ने यह आरोप सरकार पर लगाए हैं कि उनकी जिंदगी से बेहतर तो उनके पशुओं की जिंदगी है।
यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे सात आठ किलोमीटर पैदल लेकर पालकी में बिठाकर चलना पड़ता है और उनका कहना है कि कई दफा ऐसा हुआ है कि बीमार पीड़ित व्यक्ति ने रास्ते में ही दम तोड़ देता है। उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि किसी अपने को खोने का दुख क्या होता है यह नेता लोग क्या जाने वह खुद तो हवाई जहाज महंगी महंगी गाड़ियों में घूमते हैं। उन्हें किसी गरीब के लाभ या हानि से क्या फर्क पड़ता है उन्हें सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है।
बात करें वहां के विद्यार्थियों कि तो वहां के जो छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए 8 से 9 घंटे पैदल चलकर किसी कॉलेज या किसी स्कूल तक पहुंचाते हैं। उनका भविष्य क्या होगा उनका आने-जाने में ही समय खर्च हो जाता है। वहां पर कोई काम की सुविधा नहीं है कोई सड़क सुविधा नहीं है कोई नेटवर्क सुविधा नहीं है लेकिन फिर भी वह लोग उसे स्थिति में भी अपना जीवनयापन कर रहे हैं। वहां के लोग काफी गुस्साए और काफी चिड़चिड़े हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस बार किसी सरकार उनकी सुध नहीं लेती तो वह उग्र आंदोलन करने पर उतर आएंगे और चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
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