पारंपरिक गद्दी वेशभूषा चोला-डोरा पहनकर किया लोक नृत्य क्षेत्र की पारंपरिक,ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का समावेश है ऐतिहासिक छतराड़ी जातर मेला।
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चम्बा , 14 सितंबर [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश विधानसभा में उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने आज माँ शिव-शक्ति के छतराड़ी स्थित ऐतिहासिक मंदिर परिसर में आयोजित ज़िला स्तरीय जात्र मेले में भाग लिया। केवल सिंह पठानिया ने इस दौरान पारंपरिक गद्दी वेशभूषा चोला-डोला पहनकर माँ शिवशक्ति मंदिर में पूजा- अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने इस अवसर पर लोक परंपरा के अनुसार शहनाई-ढोल- नगारे की मधुर स्वर लहरियों के बीच स्थानीय लोगों के साथ डंडारस लोक नृत्य में भी भाग लिया। उप मुख्य सचेतक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। प्रदेश की उत्कृष्ट लोक-कला एवं संस्कृति की अलग ही पहचान है। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि चंबा ज़िला के लोगों एवं यहां की स्थानीय वेशभूषा के प्रति उनका खासा लगाव है। यहां के लोगों पर शिव-शक्ति का विशेष आशीर्वाद है । केवल सिंह पठानिया ने इस दौरान यात्रा मेले में भाग लेने वाले लोकनाट्य दलों के 200 से अधिक प्रतिभागियों को इलेक्ट्रिक कैटल भेंट की यहां खास बात यह है कि ज़िला मुख्यालय से 48 किलोमीटर की दूरी पर छतराड़ी स्थित माँ शिव-शक्ति के ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण लगभग 780 ईसवी पूर्व में हुआ था। राधा अष्टमी के दूसरे दिन से यहाँ जात्र मेले का आयोजन किया जाता है।मणिमहेश डल झील से पवित्र जल लाकर मां की मूर्ति को स्नान करवाया जाता है। इसके पश्चात मां की पूजा अर्चना करने के पश्चात मखौटे पहनकर नृत्य करने की परंपरा का निर्वहन किया जाता हैं। स्थानीय लोगों का यह मानना है कि ऐसा करने से राक्षक एवं बुरी आत्माओं को गांव से भगा दिया गया है। एक स्तंभ पर घूमने का रहस्य समेटे माता शिव-शक्ति को समर्पित ऐतिहासिक छतराड़ी जातर मेला क्षेत्र की पारंपरिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का समावेश करवाते हुए आपसी भाईचारे को दर्शाता है। इस मेले का मुख्य आकर्षण पौराणिक खप्पर बुढ़ा नृत्य (मुखौटा डांस) और पारंपरिक वेशभूषा में एक दूसरे के हाथ पकड़कर किया जाने वाला डंडारस लोकनृत्य रहता है। पारंपरिक चोले-डोरे और लंबी टोपी के ऊपर सजी कलगी के साथ डंडारस लोकनृत्य के उन खूबसूरत लम्हों को देखने के लिए सैंकड़ों की तादाद में लोग पहुंचते हैं। वर्तमान में छतराड़ी जात्र मेले मेले को ज़िला स्तरीय मेले का दर्जा दिया गया है। मेले के दौरान चार दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें प्रमुख बात यह है कि तीन दिन तक दोपहर में आयोजित होने वाले जात्र मेले में पारंपरिक परिधानों से सुसज्जित केवल पुरुष ही लोक नृत्य में भाग लेते हैं । इस अवसर पर एसड़ीएम चम्बा प्रियांशु खाती, सदस्य निदेशक मंडल राज्य पथ परिवहन निगम सुरजीत भरमौरी, राज्य कांग्रेस कमेटी में सचिव दिलदार अली बट्ट, उपनिदेशक कृषि कुलदीप धीमान, उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा ज्ञानचंद, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण मीत शर्मा, जनशक्ति हमिंदर् चौणा साहित क्षेत्र के गण मान्य लोग उपस्थित रहे।
चम्बा , 14 सितंबर [ शिवानी ] ! हिमाचल प्रदेश विधानसभा में उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने आज माँ शिव-शक्ति के छतराड़ी स्थित ऐतिहासिक मंदिर परिसर में आयोजित ज़िला स्तरीय जात्र मेले में भाग लिया।
केवल सिंह पठानिया ने इस दौरान पारंपरिक गद्दी वेशभूषा चोला-डोला पहनकर माँ शिवशक्ति मंदिर में पूजा- अर्चना कर प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। उन्होंने इस अवसर पर लोक परंपरा के अनुसार शहनाई-ढोल- नगारे की मधुर स्वर लहरियों के बीच स्थानीय लोगों के साथ डंडारस लोक नृत्य में भी भाग लिया।
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उप मुख्य सचेतक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। प्रदेश की उत्कृष्ट लोक-कला एवं संस्कृति की अलग ही पहचान है। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि चंबा ज़िला के लोगों एवं यहां की स्थानीय वेशभूषा के प्रति उनका खासा लगाव है। यहां के लोगों पर शिव-शक्ति का विशेष आशीर्वाद है ।
केवल सिंह पठानिया ने इस दौरान यात्रा मेले में भाग लेने वाले लोकनाट्य दलों के 200 से अधिक प्रतिभागियों को इलेक्ट्रिक कैटल भेंट की यहां खास बात यह है कि ज़िला मुख्यालय से 48 किलोमीटर की दूरी पर छतराड़ी स्थित माँ शिव-शक्ति के ऐतिहासिक मंदिर का निर्माण लगभग 780 ईसवी पूर्व में हुआ था।
राधा अष्टमी के दूसरे दिन से यहाँ जात्र मेले का आयोजन किया जाता है।मणिमहेश डल झील से पवित्र जल लाकर मां की मूर्ति को स्नान करवाया जाता है। इसके पश्चात मां की पूजा अर्चना करने के पश्चात मखौटे पहनकर नृत्य करने की परंपरा का निर्वहन किया जाता हैं। स्थानीय लोगों का यह मानना है कि ऐसा करने से राक्षक एवं बुरी आत्माओं को गांव से भगा दिया गया है।
एक स्तंभ पर घूमने का रहस्य समेटे माता शिव-शक्ति को समर्पित ऐतिहासिक छतराड़ी जातर मेला क्षेत्र की पारंपरिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का समावेश करवाते हुए आपसी भाईचारे को दर्शाता है।
इस मेले का मुख्य आकर्षण पौराणिक खप्पर बुढ़ा नृत्य (मुखौटा डांस) और पारंपरिक वेशभूषा में एक दूसरे के हाथ पकड़कर किया जाने वाला डंडारस लोकनृत्य रहता है। पारंपरिक चोले-डोरे और लंबी टोपी के ऊपर सजी कलगी के साथ डंडारस लोकनृत्य के उन खूबसूरत लम्हों को देखने के लिए सैंकड़ों की तादाद में लोग पहुंचते हैं।
वर्तमान में छतराड़ी जात्र मेले मेले को ज़िला स्तरीय मेले का दर्जा दिया गया है। मेले के दौरान चार दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसमें प्रमुख बात यह है कि तीन दिन तक दोपहर में आयोजित होने वाले जात्र मेले में पारंपरिक परिधानों से सुसज्जित केवल पुरुष ही लोक नृत्य में भाग लेते हैं ।
इस अवसर पर एसड़ीएम चम्बा प्रियांशु खाती, सदस्य निदेशक मंडल राज्य पथ परिवहन निगम सुरजीत भरमौरी, राज्य कांग्रेस कमेटी में सचिव दिलदार अली बट्ट, उपनिदेशक कृषि कुलदीप धीमान, उपनिदेशक प्रारंभिक शिक्षा ज्ञानचंद, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण मीत शर्मा, जनशक्ति हमिंदर् चौणा साहित क्षेत्र के गण मान्य लोग उपस्थित रहे।
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