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चम्बा , 22 जनवरी [ शिवानी ] ! सुक्खू सरकार में महज दो वर्षों में हिमाचल में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। अब तो स्थिति यह है कि खुद कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता सरकारी कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार की पोल खोलने लगे है। हाल ही में प्रदेश की राजधानी शिमला में पानी में भ्रष्टाचार की पोल खुली तो जिला चम्बा भी सुक्खू-मुक्खू की सरकार में भ्रष्टाचार में पूरी तरह से घिर चुका है। इस बात का प्रमाण जहां जिला चम्बा में विकास के नाम पर विभिन्न विकास खंडों में टाइल खरीद घोटाला शामिल है जो हाल ही में विधानसभा सत्र में गूंजा था। हाल ही में जिला मुख्यालय में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की अगुवाई में आयोजित जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक हुई। बैठक में चम्बा विधायक नीरज नैय्यर, उपायुक्त चम्बा व जिला के तमाम विभागों के बड़े अधिकारी मौजूद थे। बैठक में पूर्व कांग्रेस नेता शिकायत निवारण समिति सदस्य ने सरेआम उपायुक्त कार्यालय में विकास कार्य करवाने के बदले 2 से अढ़ाई प्रतिशत रिश्वत लेने का खुलासा किया। बड़ी शर्म की बात है कि कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी ने सरेआम भरी बैठक में कहा कि जो लोग उपायुक्त कार्यालय में रिश्तव दे रहे हैं उनके काम हो रहे हैं और बगैर रिश्वत के काम करवाने वालों के काम नहीं हो रहे है। अफसोस की बात है कि बैठक चंबा के कांग्रेस विधायक यह सब मूकदर्शक बन कर सुन रहे थे। कांग्रेस नेताओं की बात बेहद गंभीर है क्योंकि उन्होंने खुलेआम भ्रष्टाचार की बात कही है और ऐसे कार्यालय पर यह आरोप जड़ा है कि जो जिला के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी के अधीन है। भाजपा बीते दो वर्षों से हिमाचल की जनता को यह बताने में दिन-रात प्रयासरत है कि देवभूमि हिमाचल में भ्रष्टाचार पूरे चरम पर है। सुक्खू-मुक्खू की सरकार के पहले वर्ष के कार्यकाल में ही एक पत्र बम फूटा जिसमें प्रदेश सचिवालय में कार्यरत कुछ उच्च पदों पर विराजित अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। सुक्खू सरकार ने उसकी पूरी सच्चाई सामने लाने की बड़ी-बड़ी डींगे हांकी लेकिन आज तक उस पत्र बम में लगे आरोपों की सच्चाई सामने नहीं आई। हाल ही में शिमला में करोड़ों रुपए का पानी घोटाला सामने आया तो खुद को फंसता पाता देख सुक्खू-मुक्खू की सरकार ने कुछ अधिकारियों का बली का बकरा बना जबकि इस मामले में जब तक यह पता नहीं लगाया जाता कि यह भ्रष्टाचार किसके इशारे पर किया गया तब तक इस जांच को पूरा नहीं कहा जा सकता। ऐसा लगता है अपने किसी को बचाने के लिए अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया गया है। हिमाचल की सुक्खू-मुक्खू की सरकार के दो वर्षों के विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गए है। प्रदेश में आर्थिक आपातकाल जैसी स्थिति बना रखी है। कोषागार में भुगतान नहीं करने के गुपचुप तरीके से आदेश कर रखे है, लेकिन भ्रष्टाचार को खुले आम व पूरे जोश के साथ अंजाम दिया जा रहा है।
चम्बा , 22 जनवरी [ शिवानी ] ! सुक्खू सरकार में महज दो वर्षों में हिमाचल में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। अब तो स्थिति यह है कि खुद कांग्रेसी नेता व कार्यकर्ता सरकारी कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार की पोल खोलने लगे है। हाल ही में प्रदेश की राजधानी शिमला में पानी में भ्रष्टाचार की पोल खुली तो जिला चम्बा भी सुक्खू-मुक्खू की सरकार में भ्रष्टाचार में पूरी तरह से घिर चुका है।
इस बात का प्रमाण जहां जिला चम्बा में विकास के नाम पर विभिन्न विकास खंडों में टाइल खरीद घोटाला शामिल है जो हाल ही में विधानसभा सत्र में गूंजा था। हाल ही में जिला मुख्यालय में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया की अगुवाई में आयोजित जिला शिकायत निवारण समिति की बैठक हुई।
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बैठक में चम्बा विधायक नीरज नैय्यर, उपायुक्त चम्बा व जिला के तमाम विभागों के बड़े अधिकारी मौजूद थे। बैठक में पूर्व कांग्रेस नेता शिकायत निवारण समिति सदस्य ने सरेआम उपायुक्त कार्यालय में विकास कार्य करवाने के बदले 2 से अढ़ाई प्रतिशत रिश्वत लेने का खुलासा किया।
बड़ी शर्म की बात है कि कांग्रेस के पूर्व पदाधिकारी ने सरेआम भरी बैठक में कहा कि जो लोग उपायुक्त कार्यालय में रिश्तव दे रहे हैं उनके काम हो रहे हैं और बगैर रिश्वत के काम करवाने वालों के काम नहीं हो रहे है। अफसोस की बात है कि बैठक चंबा के कांग्रेस विधायक यह सब मूकदर्शक बन कर सुन रहे थे।
कांग्रेस नेताओं की बात बेहद गंभीर है क्योंकि उन्होंने खुलेआम भ्रष्टाचार की बात कही है और ऐसे कार्यालय पर यह आरोप जड़ा है कि जो जिला के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी के अधीन है। भाजपा बीते दो वर्षों से हिमाचल की जनता को यह बताने में दिन-रात प्रयासरत है कि देवभूमि हिमाचल में भ्रष्टाचार पूरे चरम पर है।
सुक्खू-मुक्खू की सरकार के पहले वर्ष के कार्यकाल में ही एक पत्र बम फूटा जिसमें प्रदेश सचिवालय में कार्यरत कुछ उच्च पदों पर विराजित अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। सुक्खू सरकार ने उसकी पूरी सच्चाई सामने लाने की बड़ी-बड़ी डींगे हांकी लेकिन आज तक उस पत्र बम में लगे आरोपों की सच्चाई सामने नहीं आई।
हाल ही में शिमला में करोड़ों रुपए का पानी घोटाला सामने आया तो खुद को फंसता पाता देख सुक्खू-मुक्खू की सरकार ने कुछ अधिकारियों का बली का बकरा बना जबकि इस मामले में जब तक यह पता नहीं लगाया जाता कि यह भ्रष्टाचार किसके इशारे पर किया गया तब तक इस जांच को पूरा नहीं कहा जा सकता। ऐसा लगता है अपने किसी को बचाने के लिए अधिकारियों को बलि का बकरा बनाया गया है।
हिमाचल की सुक्खू-मुक्खू की सरकार के दो वर्षों के विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गए है। प्रदेश में आर्थिक आपातकाल जैसी स्थिति बना रखी है। कोषागार में भुगतान नहीं करने के गुपचुप तरीके से आदेश कर रखे है, लेकिन भ्रष्टाचार को खुले आम व पूरे जोश के साथ अंजाम दिया जा रहा है।
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