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चम्बा, 31 जुलाई, [ रीना सहोत्रा ] ! चलो चम्बा अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला के उपलक्ष्य पर एचटूओ आनंदम में शैफ प्रशिक्षुओं को चंबा के पारंपरिक व्यंजनों को तैैयार करने के साथ ही इन्हें रेडी-टू-ईट बनाने के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान वेल्ज के आनर पंकज चोफला ने प्रशिक्षुओं को चंबा सहित हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कुलथ, मधरा, अनारदाने का खट्टा, सेपु बड़ी, चने का खट्टा, बदाने का मिठा, धोतुआं दाल व तेलिये माह आदि व्यंजनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही इन्हें तैयार करने की विधि के बारे में भी बताया। चोफला ने अपने 35 वर्ष के अनुभव भी प्रशिक्षुओं के साथ सांझा किए। साथ ही कहा कि वेल्ज फैक्टरी में उक्त व्यंजनों को रेडी टू ईट की श्रेणी में तैयार किया जा रहा है। पंकज चोफला के अनुभवों को सुनकर प्रशिक्षु जोश से भर गए। इस दौरान प्रशिक्षुओं ने भी उनके साथ अपने अनुभव सांझा किए। एचटूओ आनंदम में स्थित सामुदायिक महिला रसोईघर में पारंरिक व्यंजनों को तैयार करने इनका महत्व समझाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान बुजुर्ग महिला शांति देवी, उषा, नीना, रेणू शर्मा, विशाली तथा कांता ने युवा पीढ़ी को पारंपरिक चंबयाली धाम, घेयोर, बेआब, कचौरी, सकोत, बड़े, बबरू, दही वाले आलू, घुघी तथा मिठडू आदि व्यंजन बनाना सिखाया जा रहा है। युवक-युवतियों में मीना, लक्ष्मी, देवी, तरिपता, रेणु, ज्योति, बेबी, नीतिज्ञ, राजेश, विकास, तनविंदर, सुरेंद्र, बुद्धी प्रकाश, नवींदर, अनूप, विजय, तुषार तथा हेम सिंह आदि एनएफसीआई इंस्टीट्यूट उदयपुर के शैफ प्रशिक्षु ने पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करने की विधि को बारीकी से सीख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला के उपलक्ष्य पर पारंपरिक व्यंजनों के बारे में आयोजित की जा रही कार्यशाला में युवा पीढ़ी को काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है। वहीं, इससे पारंपरिक व्यंजनों को संरक्षित करने का कार्य भी हो रहा है। वीरवार से यह कार्यशाला एनएफसीआई उदयपुर में आयोजित की जाएगी। चंबा के पारंपरिक व्यंजन काफी लाजवाब हैं। जितने ये खाने में स्वादिष्ट हैं। उतना ही इन्हें तैयार करने का तरीका भी अलग है। लेकिन, समय के साथ-साथ कुछ पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करना कम हो गया है या फिर कुछ व्यंजन लुप्त होते जा रहे हैं। इन्हें संरक्षित करने व नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हें वेल्स फैक्टरी में रेडी-टू-ईट की श्रेणी में तैयार किया जा रहा है।
चम्बा, 31 जुलाई, [ रीना सहोत्रा ] !
चलो चम्बा अभियान के तहत अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला के उपलक्ष्य पर एचटूओ आनंदम में शैफ प्रशिक्षुओं को चंबा के पारंपरिक व्यंजनों को तैैयार करने के साथ ही इन्हें रेडी-टू-ईट बनाने के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान वेल्ज के आनर पंकज चोफला ने प्रशिक्षुओं को चंबा सहित हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कुलथ, मधरा, अनारदाने का खट्टा, सेपु बड़ी, चने का खट्टा, बदाने का मिठा, धोतुआं दाल व तेलिये माह आदि व्यंजनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही इन्हें तैयार करने की विधि के बारे में भी बताया।
चोफला ने अपने 35 वर्ष के अनुभव भी प्रशिक्षुओं के साथ सांझा किए। साथ ही कहा कि वेल्ज फैक्टरी में उक्त व्यंजनों को रेडी टू ईट की श्रेणी में तैयार किया जा रहा है। पंकज चोफला के अनुभवों को सुनकर प्रशिक्षु जोश से भर गए। इस दौरान प्रशिक्षुओं ने भी उनके साथ अपने अनुभव सांझा किए। एचटूओ आनंदम में स्थित सामुदायिक महिला रसोईघर में पारंरिक व्यंजनों को तैयार करने इनका महत्व समझाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान बुजुर्ग महिला शांति देवी, उषा, नीना, रेणू शर्मा, विशाली तथा कांता ने युवा पीढ़ी को पारंपरिक चंबयाली धाम, घेयोर, बेआब, कचौरी, सकोत, बड़े, बबरू, दही वाले आलू, घुघी तथा मिठडू आदि व्यंजन बनाना सिखाया जा रहा है। युवक-युवतियों में मीना, लक्ष्मी, देवी, तरिपता, रेणु, ज्योति, बेबी, नीतिज्ञ, राजेश, विकास, तनविंदर, सुरेंद्र, बुद्धी प्रकाश, नवींदर, अनूप, विजय, तुषार तथा हेम सिंह आदि एनएफसीआई इंस्टीट्यूट उदयपुर के शैफ प्रशिक्षु ने पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करने की विधि को बारीकी से सीख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मिंजर मेला के उपलक्ष्य पर पारंपरिक व्यंजनों के बारे में आयोजित की जा रही कार्यशाला में युवा पीढ़ी को काफी कुछ नया सीखने को मिल रहा है। वहीं, इससे पारंपरिक व्यंजनों को संरक्षित करने का कार्य भी हो रहा है। वीरवार से यह कार्यशाला एनएफसीआई उदयपुर में आयोजित की जाएगी।
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चंबा के पारंपरिक व्यंजन काफी लाजवाब हैं। जितने ये खाने में स्वादिष्ट हैं। उतना ही इन्हें तैयार करने का तरीका भी अलग है। लेकिन, समय के साथ-साथ कुछ पारंपरिक व्यंजनों को तैयार करना कम हो गया है या फिर कुछ व्यंजन लुप्त होते जा रहे हैं। इन्हें संरक्षित करने व नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हें वेल्स फैक्टरी में रेडी-टू-ईट की श्रेणी में तैयार किया जा रहा है।
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