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बिलासपुर , 19 अगस्त [ राकेश शर्मा ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने स्कूल बंद करने के फैसले को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मानव विकास की मूलभूत जरूरत है, लेकिन यह सरकार शिक्षा के मंदिरों पर ताला लगाकर नौनिहालों से उनका मौलिक अधिकार भी छीन रही है। 20 माह के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार अब तक हजारों संस्थान बंद करने समेत कई अन्य जनविरोधी फैसले ले चुकी है। सत्ता पक्ष के नेता इस सरकार को ‘सुख’ की सरकार कहते नहीं थकते, लेकिन यह तो एक के बाद एक दुख देने वाली सरकार साबित हो रही है।त्रिलोक जमवाल ने कहा कि किसी तानाशाह की तरह काम कर रही सुक्खू सरकार का हर फैसला जनता पर भारी पड़ रहा है। किसी भी देश और समाज के विकास के लिए शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह इंसान के ज्ञान और कला-कौशल में वृद्धि करने के साथ उसे सभ्य, सुसंस्कृत और जिम्मेदार नागरिक भी बनाती है। इसी के मद्देनजर जरूरत के आधार पर शिक्षण संस्थान खोले गए थे, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रह जाए। इस महत्वपूर्ण पहलू को दरकिनार करते हुए संवेदनहीन कांग्रेस सरकार ने सैकड़ों प्राईमरी स्कूल बंद करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। इस फैसले से सदर विधानसभा क्षेत्र के कई स्कूल भी बंद हो जाएंगे। सरकार ने यह सोचने की जहमत भी नहीं उठाई कि ग्रामीण इलाकों के छोटे-छोटे बच्चे लंबी दूरी तय करके स्कूल कैसे पहुंचेंगे। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि कांग्रेस ने जनहित में खोले गए संस्थानों पर तालाबंदी की शुरुआत सत्ता में आते ही कर दी थी। सबसे पहले 1100 से अधिक संस्थान डिनोटिफाई कर दिए गए। इनमें बिलासपुर के हरलोग में उप तहसील, कोठीपुरा में जल शक्ति विभाग का डिविजन, कुठेड़ा में सब-डिविजन, बरमाणा पीएचसी और जबल्याणा हेल्थ सब-सेंटर भी शामिल हैं। जब इससे भी इस सरकार को तसल्ली नहीं हुई तो बिलासपुर में लगभग 40 वर्षों से चल रहा विद्युत बोर्ड का एमएंडटी सर्कल ऑफिस भी हमीरपुर शिफ्ट कर दिया गया। कृषि विभाग के कई एक्सटेंशन सेंटर बंद करके किसानों से सुविधा छीन ली गई। विधानसभा चुनाव में लोगों को प्रतिमाह 300 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी देने वाली इस सरकार ने पहले से मिल रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली की सुविधा भी बंद कर दी। हिम केयर योजना बंद करके लोगों से प्राईवेट अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक के निशुल्क उपचार की सुविधा भी छीन ली गई। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह भले ही लोगों को कोई नई सुविधा न दे, लेकिन कम से कम पुरानी सुविधाएं बहाल कर दे। यदि सरकार ने मनमानी बंद नहीं की तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
बिलासपुर , 19 अगस्त [ राकेश शर्मा ] ! सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने स्कूल बंद करने के फैसले को लेकर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मानव विकास की मूलभूत जरूरत है, लेकिन यह सरकार शिक्षा के मंदिरों पर ताला लगाकर नौनिहालों से उनका मौलिक अधिकार भी छीन रही है। 20 माह के कार्यकाल में कांग्रेस सरकार अब तक हजारों संस्थान बंद करने समेत कई अन्य जनविरोधी फैसले ले चुकी है।
सत्ता पक्ष के नेता इस सरकार को ‘सुख’ की सरकार कहते नहीं थकते, लेकिन यह तो एक के बाद एक दुख देने वाली सरकार साबित हो रही है।त्रिलोक जमवाल ने कहा कि किसी तानाशाह की तरह काम कर रही सुक्खू सरकार का हर फैसला जनता पर भारी पड़ रहा है। किसी भी देश और समाज के विकास के लिए शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
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यह इंसान के ज्ञान और कला-कौशल में वृद्धि करने के साथ उसे सभ्य, सुसंस्कृत और जिम्मेदार नागरिक भी बनाती है। इसी के मद्देनजर जरूरत के आधार पर शिक्षण संस्थान खोले गए थे, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रह जाए। इस महत्वपूर्ण पहलू को दरकिनार करते हुए संवेदनहीन कांग्रेस सरकार ने सैकड़ों प्राईमरी स्कूल बंद करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है।
इस फैसले से सदर विधानसभा क्षेत्र के कई स्कूल भी बंद हो जाएंगे। सरकार ने यह सोचने की जहमत भी नहीं उठाई कि ग्रामीण इलाकों के छोटे-छोटे बच्चे लंबी दूरी तय करके स्कूल कैसे पहुंचेंगे।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि कांग्रेस ने जनहित में खोले गए संस्थानों पर तालाबंदी की शुरुआत सत्ता में आते ही कर दी थी। सबसे पहले 1100 से अधिक संस्थान डिनोटिफाई कर दिए गए। इनमें बिलासपुर के हरलोग में उप तहसील, कोठीपुरा में जल शक्ति विभाग का डिविजन, कुठेड़ा में सब-डिविजन, बरमाणा पीएचसी और जबल्याणा हेल्थ सब-सेंटर भी शामिल हैं। जब इससे भी इस सरकार को तसल्ली नहीं हुई तो बिलासपुर में लगभग 40 वर्षों से चल रहा विद्युत बोर्ड का एमएंडटी सर्कल ऑफिस भी हमीरपुर शिफ्ट कर दिया गया।
कृषि विभाग के कई एक्सटेंशन सेंटर बंद करके किसानों से सुविधा छीन ली गई। विधानसभा चुनाव में लोगों को प्रतिमाह 300 यूनिट मुफ्त बिजली की गारंटी देने वाली इस सरकार ने पहले से मिल रही 125 यूनिट मुफ्त बिजली की सुविधा भी बंद कर दी। हिम केयर योजना बंद करके लोगों से प्राईवेट अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक के निशुल्क उपचार की सुविधा भी छीन ली गई। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह भले ही लोगों को कोई नई सुविधा न दे, लेकिन कम से कम पुरानी सुविधाएं बहाल कर दे। यदि सरकार ने मनमानी बंद नहीं की तो इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
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