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बिलासपुर , 31 मई [ राकेश शर्मा ] ! बिलासपुर सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने जंगलों में लग रही आग पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगने से जहां बहुमूल्य वन संपदा जलकर राख हो रही है, वहीं वन्य प्राणी भी बेमौत मारे जा रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि प्रदेश सरकार वनों को आग से बचाने के लिए जरा भी गंभीर नहीं है। मुख्यमंत्री समेत उनके सहयोगियों को केवल सरकार बचाने की चिंता है। जंगलों में आग से हो रहे नुकसान की भरपाई लंबे समय तक नहीं हो सकेगी। इसके लिए संवेदनहीन कांग्रेस सरकार की गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली जिम्मेदार है। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि गर्मी के इस मौसम में बिलासपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। अकेले बिलासपुर जिला में बंदला, परनाली, सिहड़ा, निचली भटेड़, कुड्डी, बरमाणा, नयनादेवी, भराड़ी व घंडीर समेत कई इलाकों के जंगल जल चुके हैं। राजधानी शिमला के जंगल भी धधक रहे हैं। भीषण आग के कारण विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई। कई अन्य जिलों में भी हालात ऐसे ही हैं। हिमाचल में अब तक हजारों हेक्टेयर भूमि पर बहुमूल्य वन संपदा आग की भेंट चढ़ चुकी है। बड़ी संख्या में जंगली जानवर, पक्षी व अन्य जीव-जंतु भी आग की चपेट में आकर बेमौत मारे जा चुके हैं। नयनादेवी में दो गाड़ियां जल गई थीं। जंगलों में लगी आग बुझाने के प्रयास में कुछ लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है। त्रिलोक जमवाल ने कहा कि गर्मी के मौसम में जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार के स्तर पर पहले से होमवर्क शुरू कर दिया जाता था, लेकिन सुक्खू सरकार ने इस दिशा में कुछ नहीं किया। पिछले तीन महीनों से मुख्यमंत्री व उनके सहयोगी केवल सरकार बचाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। उन्हें लोगों के जान-माल, बहुमूल्य वन संपदा तथा जंगली जानवरों, पक्षियों व अन्य जीव-जंतुओं की सुरक्षा की नहीं, केवल अपनी कुर्सी की चिंता है। सरकार की संवेदनहीनता की वजह से वन विभाग तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री हिमाचल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात करते हैं। हिमाचल के घने व सुंदर वन इस प्रदेश की विशेष पहचान हैं, जो पर्यटन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि जंगल ही नहीं रहेंगे तो पर्यटन कहां से बढ़ेगा। आग से हो रही इस तबाही की भरपाई लंबे समय तक नहीं हो पाएगी। इसके लिए कांग्रेस सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। बेहतर होगा कि सरकार समय रहते नींद से जागकर जंगलों को बचाने का प्रयास करे।
बिलासपुर , 31 मई [ राकेश शर्मा ] ! बिलासपुर सदर के विधायक त्रिलोक जमवाल ने जंगलों में लग रही आग पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि जंगलों में आग लगने से जहां बहुमूल्य वन संपदा जलकर राख हो रही है, वहीं वन्य प्राणी भी बेमौत मारे जा रहे हैं। हैरानी इस बात की है कि प्रदेश सरकार वनों को आग से बचाने के लिए जरा भी गंभीर नहीं है। मुख्यमंत्री समेत उनके सहयोगियों को केवल सरकार बचाने की चिंता है। जंगलों में आग से हो रहे नुकसान की भरपाई लंबे समय तक नहीं हो सकेगी। इसके लिए संवेदनहीन कांग्रेस सरकार की गैरजिम्मेदाराना कार्यप्रणाली जिम्मेदार है।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि गर्मी के इस मौसम में बिलासपुर समेत प्रदेश के कई जिलों में जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। अकेले बिलासपुर जिला में बंदला, परनाली, सिहड़ा, निचली भटेड़, कुड्डी, बरमाणा, नयनादेवी, भराड़ी व घंडीर समेत कई इलाकों के जंगल जल चुके हैं। राजधानी शिमला के जंगल भी धधक रहे हैं। भीषण आग के कारण विश्व धरोहर कालका-शिमला रेल मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई। कई अन्य जिलों में भी हालात ऐसे ही हैं।
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हिमाचल में अब तक हजारों हेक्टेयर भूमि पर बहुमूल्य वन संपदा आग की भेंट चढ़ चुकी है। बड़ी संख्या में जंगली जानवर, पक्षी व अन्य जीव-जंतु भी आग की चपेट में आकर बेमौत मारे जा चुके हैं। नयनादेवी में दो गाड़ियां जल गई थीं। जंगलों में लगी आग बुझाने के प्रयास में कुछ लोगों को जान भी गंवानी पड़ी है।
त्रिलोक जमवाल ने कहा कि गर्मी के मौसम में जंगलों को आग से बचाने के लिए सरकार के स्तर पर पहले से होमवर्क शुरू कर दिया जाता था, लेकिन सुक्खू सरकार ने इस दिशा में कुछ नहीं किया। पिछले तीन महीनों से मुख्यमंत्री व उनके सहयोगी केवल सरकार बचाने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। उन्हें लोगों के जान-माल, बहुमूल्य वन संपदा तथा जंगली जानवरों, पक्षियों व अन्य जीव-जंतुओं की सुरक्षा की नहीं, केवल अपनी कुर्सी की चिंता है।
सरकार की संवेदनहीनता की वजह से वन विभाग तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी-कर्मचारी भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मुख्यमंत्री हिमाचल को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की बात करते हैं। हिमाचल के घने व सुंदर वन इस प्रदेश की विशेष पहचान हैं, जो पर्यटन को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं। यदि जंगल ही नहीं रहेंगे तो पर्यटन कहां से बढ़ेगा। आग से हो रही इस तबाही की भरपाई लंबे समय तक नहीं हो पाएगी। इसके लिए कांग्रेस सरकार पूरी तरह से जिम्मेदार है। बेहतर होगा कि सरकार समय रहते नींद से जागकर जंगलों को बचाने का प्रयास करे।
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