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भरमौर ! मणिमहेश सांस्कृतिक कला मंच भरमौर के प्रधान प्रकाश भारद्वाज व महासचिव कृष्ण पखरेटिया ने संयुक्त ब्यान में बताया कि मुसाफिर भारद्वाज की कमी जनजातीय क्षेत्र भरमौर को हमेशा खलती रहेगी।पारंपरिक दैवीय वाद्य यंत्र पौन को बजाने का जो हुनर उनको था उनकी अगली पीढ़ी उनके बराबर नहीं बजा सकती। कृष्ण पखरेटिया ने बताया कि दैवीय वाद्य यंत्र पौन देवी का रुप माना जाता है जिसकी एक बहन स्वाई ककरी पंचायत गरोला में है। जिससे मिलने आज भी भरमौर से पैदल पौन माता के गुर के साथ ककरी जाते हैं। बता दें कि सदियों से क्षेत्र में होने वाले जातर, जागरे,मेले, विवाह , नुवाला इत्यादि शुभ कार्यक्रमों में बजाया जाता है।मंच के सदस्यों में वकील भारद्वाज, गोपाल दास, राम चन्द, जय सिंह पखरेटीया, शंकर पॉल, गणेश शर्मा, इत्यादि ने भी मुसाफ़िर के चले जाने पर दुःख जताया है।
भरमौर ! मणिमहेश सांस्कृतिक कला मंच भरमौर के प्रधान प्रकाश भारद्वाज व महासचिव कृष्ण पखरेटिया ने संयुक्त ब्यान में बताया कि मुसाफिर भारद्वाज की कमी जनजातीय क्षेत्र भरमौर को हमेशा खलती रहेगी।पारंपरिक दैवीय वाद्य यंत्र पौन को बजाने का जो हुनर उनको था उनकी अगली पीढ़ी उनके बराबर नहीं बजा सकती।
कृष्ण पखरेटिया ने बताया कि दैवीय वाद्य यंत्र पौन देवी का रुप माना जाता है जिसकी एक बहन स्वाई ककरी पंचायत गरोला में है। जिससे मिलने आज भी भरमौर से पैदल पौन माता के गुर के साथ ककरी जाते हैं।
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बता दें कि सदियों से क्षेत्र में होने वाले जातर, जागरे,मेले, विवाह , नुवाला इत्यादि शुभ कार्यक्रमों में बजाया जाता है।मंच के सदस्यों में वकील भारद्वाज, गोपाल दास, राम चन्द, जय सिंह पखरेटीया, शंकर पॉल, गणेश शर्मा, इत्यादि ने भी मुसाफ़िर के चले जाने पर दुःख जताया है।
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