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मंडी , 05 मार्च [ विशाल सूद ] ! शिवरात्रि महोत्सव की अंतिम जलेब रियासतकालीन राजदेवता माधोराय की अगुवाई में शाही अंदाज में निकली। वहीं इस जलेब में मुख्यतः राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल विशेष रूप से मौजूद रहे।जलेब में राज देवता माधोराय की पालकी के साथ एक दर्जन से अधिक देव रथ साथ चले। जलेब में देवताओं के साथ नाचते-गाते देवलुओं का नजारा भव्य बना। बता दें इस बार शिवरात्रि के देव समागम में करीब 192 पंजीकृत देवी-देवता पहुंचे थे शिवरात्रि महोत्सव के समापन पर मंगलवार सुबह चौहटा की जातर के बाद दोपहर करीब तीन बजे जलेब शुरू हुई। राज्यपाल ने जलेब से पहले राज माधोराय और आराध्य देव बाबा भूतनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर जलेब धूमधाम से चौहाटा, मोती बाजार, समेखतर, बालकरूपी, भूतनाथ बाजार होते हुए चौहाटा से पड्डल मैदान में संपन्न हुई। राज्यपाल ने इस दौरान कहा कि मंडी शिवरात्रि महोत्सव अद्भुत है जहां पर भगवान शिव का वास है। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि महोत्सव देवी देवताओं पर आधारित है जोकि कभी समाप्त नहीं होती जिसमे स्नातन और देव संस्कृति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि देवी देवताओं के आशीर्वाद से यह मेला विधिवत संपन्न हुआ और अगले वर्ष भी हम इस देव संस्कृति के साक्ष्य होंगे।
मंडी , 05 मार्च [ विशाल सूद ] ! शिवरात्रि महोत्सव की अंतिम जलेब रियासतकालीन राजदेवता माधोराय की अगुवाई में शाही अंदाज में निकली। वहीं इस जलेब में मुख्यतः राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल विशेष रूप से मौजूद रहे।जलेब में राज देवता माधोराय की पालकी के साथ एक दर्जन से अधिक देव रथ साथ चले।
जलेब में देवताओं के साथ नाचते-गाते देवलुओं का नजारा भव्य बना। बता दें इस बार शिवरात्रि के देव समागम में करीब 192 पंजीकृत देवी-देवता पहुंचे थे शिवरात्रि महोत्सव के समापन पर मंगलवार सुबह चौहटा की जातर के बाद दोपहर करीब तीन बजे जलेब शुरू हुई। राज्यपाल ने जलेब से पहले राज माधोराय और आराध्य देव बाबा भूतनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की।
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इसके बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर जलेब धूमधाम से चौहाटा, मोती बाजार, समेखतर, बालकरूपी, भूतनाथ बाजार होते हुए चौहाटा से पड्डल मैदान में संपन्न हुई। राज्यपाल ने इस दौरान कहा कि मंडी शिवरात्रि महोत्सव अद्भुत है जहां पर भगवान शिव का वास है।
उन्होंने कहा कि शिवरात्रि महोत्सव देवी देवताओं पर आधारित है जोकि कभी समाप्त नहीं होती जिसमे स्नातन और देव संस्कृति शामिल हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि देवी देवताओं के आशीर्वाद से यह मेला विधिवत संपन्न हुआ और अगले वर्ष भी हम इस देव संस्कृति के साक्ष्य होंगे।
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