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शिमला , 09 अगस्त [ विशाल सूद ] ! मंडियों में सेब दर के हिसाब यानि आकार के हिसाब से बिक रहा है। बागवानों ने दर के हिसाब से सेब बेचने पर विरोध जताया है। शुक्रवार को संयुक्त किसान मंच के बैनर तले विभिन्न बागवानी संगठनों के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल ने बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी से भेंट की तथा उन्हें इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने एक सप्ताह का समय दिया है। अपनी इस मांग को लेकर प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। बागवानों ने मंत्री को अवगत करवाया कि हिमाचल प्रदेश में ए.पी.एम.सी. की मंडियों में सेब दर के हिसाब से बिक रहा है, जबकि पंचकुला सहित पंजाब व हरियाणा की मंडियों में सेब गड के हिसाब से बिक रहा है। पहले हिमाचल की मंडियों में ए.पी.एम.सी. एक्ट के तहत गड के हिसाब से सेब बेचा जाता था, लेकिन अब यह दर के हिसाब से बेचा जा रहा है। इससे बागवान परेशान है। संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान* ने बताया कि इस बार आढ़ती सेपरेटर का सेब कम दाम में बेच रहे हैं, लेकिन यदि फसल अधिक हुई तो वह 200 नंबर का सेब दर के हिसाब से बेचेंगे। मंच से मंत्री से इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। बागवानों के नुकसान की नहीं होती भरपाई हरीष चौहान ने कहा कि इस बार रोहड़ू, कोटखाई, जुब्बल, चौपाल, ननखड़ी आदि तहसीलों में तुफान से भारी नुकसान हुआ है। जो सेब पेटियों में बिकना था, वह अब एम.आई.एस. में देने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि इस नुकसान की भरपाई न केंद्र और न ही प्रदेश सरकार करती है। केवल रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाती है। बागवानों को अपना पैसा वसूलना बना चुनौति उन्होंने कहा कि बागवानों के लिए मंडियों में अपना पैसा वसूला चुनौति बन गया है। एच.पी.एम.सी. एक्ट के अनुसार सेब बेचने के 24 घंटे के अंदर पैसे देने होते हैं, लेकिन ए.पी.एम.सी. ने अपनी मंडी में बोर्ड लगाया है कि 14 दिन में पेमेंट होगी। उन्होंने मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बंद सडक़ों को युद्ध स्तर पर खोलने का आश्वासन दिया है।
शिमला , 09 अगस्त [ विशाल सूद ] ! मंडियों में सेब दर के हिसाब यानि आकार के हिसाब से बिक रहा है। बागवानों ने दर के हिसाब से सेब बेचने पर विरोध जताया है। शुक्रवार को संयुक्त किसान मंच के बैनर तले विभिन्न बागवानी संगठनों के प्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल ने बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी से भेंट की तथा उन्हें इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की। इसके लिए उन्होंने एक सप्ताह का समय दिया है। अपनी इस मांग को लेकर प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा।
बागवानों ने मंत्री को अवगत करवाया कि हिमाचल प्रदेश में ए.पी.एम.सी. की मंडियों में सेब दर के हिसाब से बिक रहा है, जबकि पंचकुला सहित पंजाब व हरियाणा की मंडियों में सेब गड के हिसाब से बिक रहा है। पहले हिमाचल की मंडियों में ए.पी.एम.सी. एक्ट के तहत गड के हिसाब से सेब बेचा जाता था, लेकिन अब यह दर के हिसाब से बेचा जा रहा है। इससे बागवान परेशान है।
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संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान* ने बताया कि इस बार आढ़ती सेपरेटर का सेब कम दाम में बेच रहे हैं, लेकिन यदि फसल अधिक हुई तो वह 200 नंबर का सेब दर के हिसाब से बेचेंगे। मंच से मंत्री से इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
बागवानों के नुकसान की नहीं होती भरपाई हरीष चौहान ने कहा कि इस बार रोहड़ू, कोटखाई, जुब्बल, चौपाल, ननखड़ी आदि तहसीलों में तुफान से भारी नुकसान हुआ है। जो सेब पेटियों में बिकना था, वह अब एम.आई.एस. में देने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि इस नुकसान की भरपाई न केंद्र और न ही प्रदेश सरकार करती है। केवल रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाती है।
बागवानों को अपना पैसा वसूलना बना चुनौति उन्होंने कहा कि बागवानों के लिए मंडियों में अपना पैसा वसूला चुनौति बन गया है। एच.पी.एम.सी. एक्ट के अनुसार सेब बेचने के 24 घंटे के अंदर पैसे देने होते हैं, लेकिन ए.पी.एम.सी. ने अपनी मंडी में बोर्ड लगाया है कि 14 दिन में पेमेंट होगी। उन्होंने मंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने बंद सडक़ों को युद्ध स्तर पर खोलने का आश्वासन दिया है।
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