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शिमला ,14 जून,[ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद है। आए दिन अपराध के एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं। जो हिमाचल में पहले सुने तक नहीं गये थे। इन मामलों के पीड़ित परिवारों द्वारा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जो हिमाचल प्रदेश पुलिस की साख के लिए अच्छी बात नहीं हैं। एक तरफ़ पुलिस के जाँच अधिकारी ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर जाँच में ग़लत धाराएं जोड़ने का आरोप लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ़ पुलिस पर भी हाल में हुई अपराध की घटनाओं में आरोपियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं। इसी तरह से चंबा में आईबी के एएसआई की हत्या के मामले में परिवार द्वारा मामले की ढंग से जांच न करने के आरोप लग रहे हैं। इसके अलावा सुंदरनगर के पुलिस थाना में एक आरोपी के आत्महत्या का मामला भी दुःखद है। एक आरोपी की पुलिस अभिरक्षा में हत्या का मामला बेहद संगीन हैं। इस मामले की गंभीरता से जाँच किए जाने की आवश्यकता है। यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। यह घटना दुःखद है। इस तरह के आरोप से प्रदेश पुलिस की छवि पर असर पड़ा है। जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल की पुलिस अपने व्यवसायिक दक्षता और निष्पक्षता के साथ काम करने के लिए जानी जाती है। लेकिन सुक्खू सरकार में आए दिन इस तरह के मामले सामने आए हैं जब पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। एक तरफ़ पुलिस प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति सम्भालने में नाकाम रही तो दूसरी तरफ़ आपराधिक मामलों में जाँच के दौरान भी परिजनों द्वारा पुलिस पर तरह-तरह के सवाल उठाए गए। तीन दिन पहले अपने सीनियर के ख़िलाफ़ जाँच में हस्तक्षेप करने वाला पुलिस कर्मी लापता हो गया है, उसके परिवार के लोग मुख्यमंत्री से उनकी मदद की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन मुख्यमंत्री के पास उनकी बातें सुनने का समय ही नहीं हैं। वरिष्ठ अधिकारियों और उनके मातहतों के बीच सामंजस्य ही नहीं हैं, फ़ील्ड सुपरविजन अधिकारी तक अगर मातहतों की पहुंच होती तो पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी के बीच की यह लड़ाई सोशल मीडिया पर आकर प्रदेश पुलिस की छवि को धूमिल नहीं कर रही होती। अगर सिरमौर के पुलिस कर्मी की बात को उच्च अधिकारियों ने सुनी होती तो इस समस्या का हल व्यवसायिक तरीक़े से निकला होता। सरकार और आलाधिकारी सब अपने आप में मस्त हैं। इस तरह के मामले देवभूमि की छवि के लिए भी नुक़सानदायक हैं और पुलिस के लिए भी। इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री इस मामले में दखल दें। प्रदेश में इस तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं होगी। अनुबंध के अनुसार काम करे सरकार, मीडिया में कुछ और कोर्ट में कुछ बोलना ठीक नहीं। दिल्ली को पानी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार के यू टर्न पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार हिमाचल सरकार के द्वारा किए गए अनुबंधों के आधार पर काम करे। इस तरह से मीडिया में कुछ कहना, कोर्ट में पहले कुछ कहना और बाद में कुछ और कहना सरकार के लिए ठीक नहीं है। यह बताता है कि सुक्खू सरकार जनहित और प्रशासन के मुद्दे पर कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थितियां ठीक नहीं है। ऐसे मामलों में हर स्तर पर गंभीरता बरती जानी चाहिए। मुख्यमंत्री को प्रदेश से जुड़ी हुई हर स्थिति के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रदेश में गहराते जल संकट पर भी गंभीरता से काम करने की माँग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी हर दिन पानी की कमी से जुड़ी खबरें आ रही हैं।
शिमला ,14 जून,[ ब्यूरो रिपोर्ट ] ! नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद है। आए दिन अपराध के एक से बढ़कर एक मामले सामने आ रहे हैं। जो हिमाचल में पहले सुने तक नहीं गये थे। इन मामलों के पीड़ित परिवारों द्वारा पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जो हिमाचल प्रदेश पुलिस की साख के लिए अच्छी बात नहीं हैं।
एक तरफ़ पुलिस के जाँच अधिकारी ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर जाँच में ग़लत धाराएं जोड़ने का आरोप लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ़ पुलिस पर भी हाल में हुई अपराध की घटनाओं में आरोपियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं। इसी तरह से चंबा में आईबी के एएसआई की हत्या के मामले में परिवार द्वारा मामले की ढंग से जांच न करने के आरोप लग रहे हैं। इसके अलावा सुंदरनगर के पुलिस थाना में एक आरोपी के आत्महत्या का मामला भी दुःखद है।
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एक आरोपी की पुलिस अभिरक्षा में हत्या का मामला बेहद संगीन हैं। इस मामले की गंभीरता से जाँच किए जाने की आवश्यकता है। यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। यह घटना दुःखद है। इस तरह के आरोप से प्रदेश पुलिस की छवि पर असर पड़ा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल की पुलिस अपने व्यवसायिक दक्षता और निष्पक्षता के साथ काम करने के लिए जानी जाती है। लेकिन सुक्खू सरकार में आए दिन इस तरह के मामले सामने आए हैं जब पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठे हैं। एक तरफ़ पुलिस प्रदेश में क़ानून व्यवस्था की स्थिति सम्भालने में नाकाम रही तो दूसरी तरफ़ आपराधिक मामलों में जाँच के दौरान भी परिजनों द्वारा पुलिस पर तरह-तरह के सवाल उठाए गए। तीन दिन पहले अपने सीनियर के ख़िलाफ़ जाँच में हस्तक्षेप करने वाला पुलिस कर्मी लापता हो गया है, उसके परिवार के लोग मुख्यमंत्री से उनकी मदद की गुहार लगा रहे हैं।
लेकिन मुख्यमंत्री के पास उनकी बातें सुनने का समय ही नहीं हैं। वरिष्ठ अधिकारियों और उनके मातहतों के बीच सामंजस्य ही नहीं हैं, फ़ील्ड सुपरविजन अधिकारी तक अगर मातहतों की पहुंच होती तो पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी के बीच की यह लड़ाई सोशल मीडिया पर आकर प्रदेश पुलिस की छवि को धूमिल नहीं कर रही होती। अगर सिरमौर के पुलिस कर्मी की बात को उच्च अधिकारियों ने सुनी होती तो इस समस्या का हल व्यवसायिक तरीक़े से निकला होता। सरकार और आलाधिकारी सब अपने आप में मस्त हैं।
इस तरह के मामले देवभूमि की छवि के लिए भी नुक़सानदायक हैं और पुलिस के लिए भी। इसलिए प्रदेश के मुख्यमंत्री इस मामले में दखल दें। प्रदेश में इस तरह की अराजकता बर्दाश्त नहीं होगी।
अनुबंध के अनुसार काम करे सरकार, मीडिया में कुछ और कोर्ट में कुछ बोलना ठीक नहीं।
दिल्ली को पानी देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हिमाचल सरकार के यू टर्न पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार हिमाचल सरकार के द्वारा किए गए अनुबंधों के आधार पर काम करे। इस तरह से मीडिया में कुछ कहना, कोर्ट में पहले कुछ कहना और बाद में कुछ और कहना सरकार के लिए ठीक नहीं है। यह बताता है कि सुक्खू सरकार जनहित और प्रशासन के मुद्दे पर कितनी गंभीर है। उन्होंने कहा कि इस तरह की स्थितियां ठीक नहीं है।
ऐसे मामलों में हर स्तर पर गंभीरता बरती जानी चाहिए। मुख्यमंत्री को प्रदेश से जुड़ी हुई हर स्थिति के बारे में जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रदेश में गहराते जल संकट पर भी गंभीरता से काम करने की माँग की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी हर दिन पानी की कमी से जुड़ी खबरें आ रही हैं।
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