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शिमला ! सूबे में लगातार बादल फटने व भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को रोकने की कवायद तेज हो गई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विभिन्न ऐजेंसियों के साथ सर्वेक्षण कर प्रदेश में भूस्खलन के मामले में संवेदनशील 675 जगहों को चिन्हित किया है। संबंधित जिला उपायुक्तों को इन संवेदनशील जगहों पर भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के मकसद से कार्य योजना बनाने को कहा गया है। पावर प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान खुदाई से निकलने वाले मलवे को कंपनियों को चिन्हित जगहों पर ही ठिकाने लगाना होगा। बरसात के मौसम में यह मलवा भी परेशानी का सबब बन सकता है। राज्य में इन दिनों मानसूनी बारिश कहर बन कर बरप रही है। बारिश से अब तक 116 करोड़ से अधिक का नुकसान हो गया है। बादल फटने व भूस्खलन की वजह से हुए हादसों में 5 दर्जन से अधिक लोग हताहत हुए हैं। लगातार हो रही बारिश व बादल फटने की घटनाओं से लोग खौफ जदा हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ इस दौरान पूरी तरह हरकत में है। आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रमुख सुदेश मोख्टा ने अनौपचारिक बातचीत में बताया कि विभाग ने भूस्खलन व बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के मकसद से कार्य योजना तैयार कर ली है। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ का गठन कर लिया गया है। संवेदनशील जगहों पर इनकी तैनाती की जाती है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला में भूस्खलन को लेकर व्यापक अध्ययन किया गया है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के विशेषज्ञों के साथ साथ आईआईटी मंडी व रुडक़ी तथा सीबीआरआई के विशेषज्ञों ने अध्ययन किया है। अध्ययन के बाद किन्नौर में भूस्खलन की घटनाओं को रोकने के मकसद से 11 डीपीआर बनाई गई हैं। इनके मुताबिक जिला में पायलट आधार पर कार्य होगा। आईआईटी मंडी द्वारा विकसित अर्ली वार्निंग सिस्टम सूबे में भूस्खलन व भारी बारिश से होने वाले जान माल के नुकसान को रोकने में मददगार साबित होगा। प्रदेश में साल दर साल बरसात के मौसम में होने वाले भूस्खलन व भारी बारिश से होने वाले नुकसान को रोकने के मद्देनजर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विभिन्न स्थानों पर 50 अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए हैं। कांगड़ा, मंडी में 10-10 जगहों पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए गए हैं। भूस्खलन अथवा 5 मिमि से अधिक बारिश होने की संभावना की स्थिति में अर्ली वार्निंग सिस्टम लोगों को सचेत करेगा। सचेत करने के मद्देनजर भूस्खलन से पहले मिट्टी में होने वाली हरकत को सेंसर से पहचान कर सिस्टम हूटर बजाएगा अथवा ब्लिकिं करेगा। 5 से 10 मिनट पहले चेतावनी स्वरूप हूट बजने अथवा ब्लिंकिंग होने की स्थिति में लोगों को भूस्खलन वाली जगह पर जाने से रोका जा सकेगा।
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