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शिमला ! शिमला नागरिक सभा द्वारा बीजेपी सरकार व नगर निगम के कुशासन के चलते शिमला शहर में पेयजल की किल्लत, पानी की दरों में प्रति वर्ष 10 प्रतिशत वृद्धि व भारी भरकम बिलों को लेकर तथा शिमला शहर के पेयजल के निजीकरण के विरोध में आज एसजेपीएनएल कंपनी के कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया गया। ये आश्चर्यजनक बात है कि अच्छी बरसात व बर्फबारी के बावजूद इस वर्ष मार्च के महीने में ही शिमला शहर में लंबे समय से पीने के पानी की राशनिंग की जा रही है और एक दिन छोड़ कर बिना किसी समय सारिणी के पानी की आपूर्ति की जा रही है। तीसरे दिन भी कम प्रेशर के कारण कई क्षेत्रों में अधिकांश घरों में पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है तो वहाँ 4 से 6 दिनों के बाद पानी मिल पाता है। जिससे जनता विशेष रूप से कामकाजी लोगों को बेहद परेशानी हो रही है। इसी के साथ सरकार के निर्णय अनुसार हर वर्ष पानी की दरों में 10 प्रतिशत की वृद्धि तथा इस पर 30 प्रतिशत सीवरेज सेस लिया जा रहा है। सरकार द्वारा पानी की दरों में भारी वृद्धि की गई है और पानी के बिलों में भी अनियमितताएं हो रही है और लोगों को भारी भरकम बिल दिये जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में कंपनी कार्यालय का घेराव किया गया तथा मांग की गई कि शहर में हररोज उचित समय सारिणी के अनुसार पानी दिया जाए, सरकार प्रति वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि व 30 प्रतिशत सिवरेज सेस का निर्णय वापिस ले। पानी के बिलों में अनियमितताएं ठीक की जाए तथा बिल की व्यवस्था को सुचारू किया जाए। शिमला शहर के पेयजल की व्यवस्था का निजीकरण नहीं किया जाए। यदि इन मांगों पर सरकार तुरन्त अमल नहीं करती तो शिमला नागरिक सभा जनता को लामबंद कर सरकार की इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध आंदोलन को और तेज करेगी। इस प्रदर्शन में विनोद बिसरांटा, कपिल, अनिल, नीतीश, बालक राम, सोनिया, हिम्मी ठाकुर, जगमोहन ठाकुर, विजय कौशल, सुरिन्दर, विवेक राज, किशोरी डडवालिया, पूर्ण चंद, अनुजा, अदिति, अर्जिता, हैप्पी ठाकुर, रिम्पल ठाकुर, रंजीव कुठियाला, अंकित दुबे, सुमित आदि ने भाग लिया। जबसे बीजेपी सरकार व नगर निगम में सत्तासीन हुई है तबसे शिमला शहर में पानी का संकट निरन्तर बढ़ा रहा है। वर्ष 2018 में शिमला शहर के पेयजल संकट ने शहर को विश्वभर में बदनाम किया तथा इससे पर्यटन व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा है। वर्ष 2018 में सरकार के दबाव में नगर निगम ने पेयजल की व्यवस्था के लिए संविधान में दिए गए दायित्व से पीछे हटते हुए पेयजल की व्यवस्था के निजीकरण के लिए कंपनी का गठन किया। जिसके चलते आज शहर की चुनी हुई सरकार का अब इस कंपनी पर कोई भी नियंत्रण नही रहने के कारण आज शहर की पेयजल व्यवस्था चरमरा गई है। आज 37 एमएलएस से लेकर 46 एमएलएस तक हररोज पानी होने के बावजूद भी लोगों को 3, 4 या 6 दिन के बाद पानी की आपूर्ति की जा रही है। जबकि हकीकत ये है कि यदि 3 लाख लोगों को प्रति व्यक्ति 100 लीटर पानी प्रतिदिन भी दिया जाए तब भी 30 एमएलएस पानी की ही आवश्यकता होगी। बावजूद इसके आज शहर की जनता पानी के लिए त्रस्त है। इससे स्पष्ट है कि या तो कंपनी द्वारा पानी की आपूर्ति के आंकड़े झूठे पेश किए जा रहे हैं या फिर पानी के वितरण में हेराफेरी की जा रही है। शिमला नागरिक सभा बीजेपी की सरकार व नगर निगम शिमला के शहर के पीने के पानी के निजीकरण के निर्णय का कड़ा विरोध करती है और मांग करती है कि सरकार तुरन्त एसजेपीएनएल कंपनी को भंग कर पेयजल की व्यवस्था नगर निगम शिमला को वापिस सौंपी जाए। क्योंकि नगर निगम शहर की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार है तथा संविधान के 74वें संशोधन के अनुसार शहर में पेयजल की व्यवस्था करने का दायित्व नगर निगम का ही है। सरकार व नगर निगम शिमला का पेयजल की व्यवस्था के लिए कंपनी बनाने का निर्णय असंवैधानिक है। प्रदर्शन के दौरान एसजेपीएनएल के महाप्रबंधक से माँगो पर बातचीत हुई। जिसमें महाप्रबंधक ने माना कि कल से पूरे शहर में हररोज समय सारिणी के अनुसार पानी की आपूर्ति की जाएगी। जहाँ तक भारी भरकम पानी के बिलों व इनमे अनियमितताओं का मसला है उसे सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग(डीआइटी) से समाधान हेतू 18 अप्रैल से पहले बैठक बुलाई जाएगा और नागरिक सभा के प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल होंगे। बाकि मांगे जिसमें पानी की दरों में हर वर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि, 30 प्रतिशत सीवरेज सेस समाप्त करने आदि अन्य मांगों को सर को भेजा जाएगा।
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