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मंडी ! हिमाचल सरकार के प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास रंग लाने लगे हैं। कम लागत और अधिक मुनाफे के चलते प्राकृतिक खेती किसानों की आर्थिकी मजबूत करने में कारगर साबित हुई है। इससे अब किसानों को खेतीबाड़ी के लिए किसी प्रकार के कर्ज पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ता। कर्ज से मुक्ति पाकर किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में मंडी जिला के सिराज ब्लॉक के हेतराम ने एक मिसाल पेश की है। सिराज ब्लॉक की रोड़ पंचायत के युवा और प्रगतिशील किसान हेतराम अपने 13 बीघा के सेब बगीचे में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि को अपनाकर हर साल बागवानी मंे बढ़ रहे खर्च को कम कर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं। हेतराम ने बताया कि इससे पहले वे हर साल लगभग 1 लाख 50 हजार रूपये की दवाईयां कृषि में प्रयोग के लिए खरीदते थे। इसके लिए उन्हें दवा विक्रताओं से ऋण लेना पड़ता था। लेकिन अब वह अपने पूरे बगीचे में प्राकृतिक विधि से खेती कर रहे हैं। उन्होंने देसी गाय के गोबर, गोमूत्र व आसपास की वनस्पतियों से ही खेती में प्रयोग होने वाली सभी दवाईयों को तैयार कर खेती की लागत को शून्य कर दिया है। हेतराम ने बताया कि इस खेती के बारे में उन्होंने पदमश्री सुभाष पालेकर से छह दिन का प्रशिक्षण लिया था। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्होंने प्रयोग के तौर पर तीन बीघा क्षेत्र में इसे अपनाया। हेतराम ने बताया कि तीन बीघा क्षेत्र में उन्होंने 20 सेब के पौधों के साथ मिश्रित खेती के तौर पर राजमाह और धनिया लगाया था, जिसमें उनकी कुल लागत 1300 रूपये और कुल आमदनी 1 लाख 93 हजार रूपये रही। जबकि रासायनिक खेती में इसी क्षेत्र में उनका खर्चा 6 हजार रूपये और कुल आमदनी 1 लाख 23 हजार रूपये रही थी। इस तरह प्राकृतिक खेती अपनाकर हेतराम को रसायनिक खेती के मुकाबले लगभग 75 हजार का फायदा हुआ। इससे प्रोत्साहन पाकर फिर उन्होंने अपने पूरे बगीचे में प्राकृतिक खेती को अपनाया। अभी तक 2 हजार किसानों को कर चुके हैं जागरूक हेतराम अभी तक जिला के 2 हजार से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के प्रति जागरूक कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से 250 ऐसे किसान हैं जिन्होंने पूरी तरह से रसायनिक खादों, कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दिया है। हेतराम ने किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के बारे में विस्तार से बताने के लिए एक संसाधन और प्रदर्शनी प्लॉट भी लगाया है, जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के सभी घटकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। शून्य लागत खेती के विषयवाद विशेषज्ञ मंडी, हितेन्द्र सिंह ने बताया कि कि प्राकृतिक खेती विधि से किसानों की आय में किसी प्रकार की कमी नहीं आती है और मुनाफे में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से आर्थिक सहायता का भी प्रावधान है।
मंडी ! हिमाचल सरकार के प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास रंग लाने लगे हैं। कम लागत और अधिक मुनाफे के चलते प्राकृतिक खेती किसानों की आर्थिकी मजबूत करने में कारगर साबित हुई है। इससे अब किसानों को खेतीबाड़ी के लिए किसी प्रकार के कर्ज पर भी निर्भर नहीं रहना पड़ता। कर्ज से मुक्ति पाकर किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में मंडी जिला के सिराज ब्लॉक के हेतराम ने एक मिसाल पेश की है। सिराज ब्लॉक की रोड़ पंचायत के युवा और प्रगतिशील किसान हेतराम अपने 13 बीघा के सेब बगीचे में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती विधि को अपनाकर हर साल बागवानी मंे बढ़ रहे खर्च को कम कर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं। हेतराम ने बताया कि इससे पहले वे हर साल लगभग 1 लाख 50 हजार रूपये की दवाईयां कृषि में प्रयोग के लिए खरीदते थे। इसके लिए उन्हें दवा विक्रताओं से ऋण लेना पड़ता था। लेकिन अब वह अपने पूरे बगीचे में प्राकृतिक विधि से खेती कर रहे हैं। उन्होंने देसी गाय के गोबर, गोमूत्र व आसपास की वनस्पतियों से ही खेती में प्रयोग होने वाली सभी दवाईयों को तैयार कर खेती की लागत को शून्य कर दिया है। हेतराम ने बताया कि इस खेती के बारे में उन्होंने पदमश्री सुभाष पालेकर से छह दिन का प्रशिक्षण लिया था। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्होंने प्रयोग के तौर पर तीन बीघा क्षेत्र में इसे अपनाया। हेतराम ने बताया कि तीन बीघा क्षेत्र में उन्होंने 20 सेब के पौधों के साथ मिश्रित खेती के तौर पर राजमाह और धनिया लगाया था, जिसमें उनकी कुल लागत 1300 रूपये और कुल आमदनी 1 लाख 93 हजार रूपये रही। जबकि रासायनिक खेती में इसी क्षेत्र में उनका खर्चा 6 हजार रूपये और कुल आमदनी 1 लाख 23 हजार रूपये रही थी। इस तरह प्राकृतिक खेती अपनाकर हेतराम को रसायनिक खेती के मुकाबले लगभग 75 हजार का फायदा हुआ। इससे प्रोत्साहन पाकर फिर उन्होंने अपने पूरे बगीचे में प्राकृतिक खेती को अपनाया। अभी तक 2 हजार किसानों को कर चुके हैं जागरूक हेतराम अभी तक जिला के 2 हजार से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के प्रति जागरूक कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से 250 ऐसे किसान हैं जिन्होंने पूरी तरह से रसायनिक खादों, कीटनाशकों का प्रयोग बंद कर दिया है। हेतराम ने किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के बारे में विस्तार से बताने के लिए एक संसाधन और प्रदर्शनी प्लॉट भी लगाया है, जिसमें किसानों को प्राकृतिक खेती विधि के सभी घटकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है। शून्य लागत खेती के विषयवाद विशेषज्ञ मंडी, हितेन्द्र सिंह ने बताया कि कि प्राकृतिक खेती विधि से किसानों की आय में किसी प्रकार की कमी नहीं आती है और मुनाफे में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से आर्थिक सहायता का भी प्रावधान है।
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