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लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के मुख्यालय केलांग से जुड़ गया है । कोकसर ,डिंफुक, और रमंथगं गांव की सड़के बीआरओ और आरसीसी ने यातायात के लिए बहाल कर दी है । बीआरओ के 94 आरसीसी ने कोकसर बजार सहित रमंथगं व डिमफुक गांव को जिला मुख्यालय केलंग से यातायात के लिए जोड दिया है जिससे क्षैत्र की आम जनता को राहत मिली है । अब कोकसर के ग्रामीणों की नजर लोक निर्माण विभाग पर टिक्की हुई है की विभाग बाकि बंद पड़ी सड़को को कब तक बहाल कर पायेगी ! डिंफुक से 2 किलोमीटर आगे 200 मीटर लम्बी और 20 से 30 फीट ऊंचे हिमखंड को भेद कर कोकसर के करीब पहुंचने वाले हैं । कोकसर सड़क बहाल होने के बाद बीआरओ की नजर रोहतांग दर्रे की ओर है । रोहतांग दर्रे में कड़ी मशक्कत के साथ 20 से 25 फिट परत को काटना किसी चुनौती से कम नहीं है ।
लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी के मुख्यालय केलांग से जुड़ गया है । कोकसर ,डिंफुक, और रमंथगं गांव की सड़के बीआरओ और आरसीसी ने यातायात के लिए बहाल कर दी है । बीआरओ के 94 आरसीसी ने कोकसर बजार सहित रमंथगं व डिमफुक गांव को जिला मुख्यालय केलंग से यातायात के लिए जोड दिया है जिससे क्षैत्र की आम जनता को राहत मिली है । अब कोकसर के ग्रामीणों की नजर लोक निर्माण विभाग पर टिक्की हुई है की विभाग बाकि बंद पड़ी सड़को को कब तक बहाल कर पायेगी ! डिंफुक से 2 किलोमीटर आगे 200 मीटर लम्बी और 20 से 30 फीट ऊंचे हिमखंड को भेद कर कोकसर के करीब पहुंचने वाले हैं ।
कोकसर सड़क बहाल होने के बाद बीआरओ की नजर रोहतांग दर्रे की ओर है । रोहतांग दर्रे में कड़ी मशक्कत के साथ 20 से 25 फिट परत को काटना किसी चुनौती से कम नहीं है ।
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