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चम्बा ! भारत की सरकारी शिक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए यूएसए की संस्था से युद्धवीर टण्डन को मिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान। जिला चम्बा की ग्रामीण आँचल की प्राथमिक पाठशाला के कनिष्ठ अध्यापक युद्धवीर टण्डन ने जिला से लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बना ली है। पंजाब राज्य के अमृतसर में आयोजित नवोदय क्रांति परिवार भारत की तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन अवसर पर देशभर के सरकारी शिक्षकों के समक्ष चंबा के शिक्षक युद्धवीर टंडन को बतौर गेस्ट ऑफ ऑनर सम्मानित करते हुए गुरु संथानम एनलाइटन चाइल्डहुड स्कूल आई. ओ. ए. नामक अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने उन्हें स्मार्ट गुरु अवार्ड से सम्मानित किया। शिक्षक युद्धवीर टंडन को यह पुरस्कार भारत की सरकारी शिक्षा में किए गए उनके सराहनीय कार्यों के लिए प्रदान किया गया। यह पुरस्कार निदेशक गुरु सनथानम ईवोलूशन कमीशनर यु. एस. ए. डॉ. योगेश चांदना के माध्यम से प्रदान किया गया। हिमाचल प्रदेश नवोदय क्रांति संयोजक होने के साथ-साथ शिक्षक युद्धवीर टण्डन नेशनल मोटिवेटर के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। अपने इस पुरस्कार को उन्होंने अपने विद्यालय के बच्चों, साथी अध्यापकों, माता-पिता व गुरुजनों को समर्पित किया। पुरस्कार मिलने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उन्होंने बताया कि यह पुरस्कार अपने साथ और भी अधिक दायित्त्व लेकर आया है। अब सरकारी शिक्षा को उत्कृष्टता प्रदान करने का दायित्त्व अब पहले से भी ज्यादा बढ़ गया है। नवोदय क्रांति परिवार भारत पूरे देश की एकमात्र ऐसी संस्था है जिसमें देश भर के सरकारी नवाचारी व समर्पित अध्यापकों की पूरी टीम सरकारी शिक्षा की बेहतरी के लिए स्वयं अपने खर्चे पर अपनी व्यवस्था पर निरंतर कार्य कर रही है। समारोह में बतौर मुख्यातिथि पंजाब राज्य के शिक्षा अधिकारी, नवोदय क्रांति के ब्रांड एंबेसडर डॉक्टर सौदान सिंह तरार की धर्मपत्नी प्रीती अहलावत, डॉक्टर रति चांदना, डॉ योगेश चांदना, हरियाणा राज्य अध्यापक प्रशिक्षण प्रमुख डॉ अजय बल्हारा, पूर्व सहायक आयुक्त व सहायक निदेशक नवोदय विद्यालय समिति सुभाष रावड़ा, नवोदय क्रांति परिवार भारत के संस्थापक संदीप ढिल्लों, स्मृति चौधरी व शिक्षा से जुड़े अन्य गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से मौजूद रहे। पुरस्कार मिलने पर खुशी जताते हुए शिक्षक युद्धवीर टंडन ने अपने जीवन के आदर्श डॉ विपिन राठौर को अपने कार्यों की प्रेरणा बताते हुए इस पुरस्कार का श्रेय दिया।
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