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हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एवं कार्यकारी अध्यक्ष राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण धर्म चंद चौधरी ने कहा कि कानून के दुरुपयोग से समाज में विघटन होता है। न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी आज राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में चंबा जिला के सलूणी में आयोजित एक दिवसीय विधिक जागरूकता शिविर के मौके पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में बोल रहे थे । विधिक जागरूकता शिविर जनजातीय एवं पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के उत्थान में विधिक सेवा संस्थानों की भूमिका विषय पर आधारित था। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका एवं कार्यपालिका की व्यवस्थाएं संविधान के तहत कार्य करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मात्र कानून बना देने से सब कुछ हासिल नहीं किया जा सकता । इसके लिए उस पर अमल करना और कानून को मानना अत्यंत आवश्यक है।हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विधान पालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका प्रमुख स्तंभ हैं और सबके अपने-अपने दायरे निश्चित किए गए हैं। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ यानी मीडिया की भी आज के परिप्रेक्ष्य में बहुत बड़ी भूमिका रहती है। उन्होंने इस बात की जरूरत पर भी जोर दिया कि सभी चारों स्तंभ पूरी ईमानदारी के साथ अपने कार्यों का निर्वहन करें तो समाज को निरंतर सही दिशा मिलती रहती है। न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी ने बताया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के हितों और अधिकारों की सुरक्षा के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण एक्ट मौजूद है। सबको शिक्षा का अधिकार देने के लिए वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून भी लाया गया है ताकि सबको समान रूप से शिक्षा हासिल करने का हक मिल सके। उन्होंने लोगों का आह्वान किया कि वे विधिक सेवा संस्थानों का पूरा लाभ उठाएं। जिला और उपमंडल स्तर पर लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए पैरा लीगल वालंटियर और अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जाता है। न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी ने लोक अदालत के महत्त्व का जिक्र करते हुए कहा कि लोक अदालतें विवादों के आपसी निपटारे के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने बताया कि लोक अदालतों में 1, 36, 000 मुकदमे आए जिनमें से 61,000 मुकदमों का निपटारा किया जा चुका है। लोक अदालतों में निपटाए जाने वाले मामलों से आपसी भाईचारा भी कायम रहता है। विवादों का निपटारा मध्यस्थता के माध्यम से भी किया जाता है। न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी ने विशेषकर युवाओं के नशे की ओर आकर्षित होने के रुझान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसको लेकर अभिभावकों को भी अपना दायित्व नहीं भूलना चाहिए। इसके अलावा शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारी को समझें। इससे पूर्व न्यायमूर्ति धर्म चंद चौधरी नए शिविर के मौके पर स्थापित प्रदर्शनियों का अवलोकन किया और दीप प्रज्वलित करके शिविर का शुभारंभ किया। शिविर के दौरान पुलिस अधीक्षक डॉ मोनिका ने महिला व बाल अधिकारों , अतिरिक्त उपायुक्त मुकेश रेपसवाल ने पिछड़े क्षेत्रों और उनमें रहने वाले लोगों के उत्थान के लिए कार्यान्वित योजनाओं, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पंकज गुप्ता ने लोगों के अधिकारों की सुरक्षा में विधिक सेवा संस्थाओं की भूमिका जबकि सहायक वन अरण्यपाल रजनीश ने वनों से जुड़े लोगों के अधिकारों को लेकर शिविर में मौजूद लोगों को उपयोगी जानकारी प्रदान की। अतिरिक्त उपायुक्त मुकेश रेपसवाल के अलावा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पंकज गुप्ता, न्यायिक अधिकारी उमेश वर्मा और अशोक वत्सल ने न्यायमूर्ति धर्मचंद को सम्मानित भी किया। इस मौके पर एसडीएम सलूणी विजय कुमार, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष डीपी मल्होत्रा, पुलिस उपाधीक्षक रामकरण राणा, खंड विकास अधिकारी इंदु बाला, कार्यवाहक खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज ठाकुर, सहायक अभियंता लोक निर्माण शैलेश राणा, तहसील कल्याण अधिकारी केसर सिंह, नायब तहसीलदार विनोद कुमार, अधिवक्ता दिनेश शर्मा व राकेश कुमार के अलावा अन्य विभागीय अधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
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