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शिमला ! विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन के शुरू होते ही सदन में विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहले दिन हुए हंगामे को लेकर सदन में पॉइंट ऑफ आर्डर लाया और कहा कि कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है जबकि सत्ता पक्ष के विधायक और मंत्री ने धक्के मुक्के शुरू की उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।सुखू ने कहा कि कांग्रेस के 5 विधायकों के निलंबन को वापिस लिया जाए अन्यथा कांग्रेस के विधायक सदन को नहीं चलने देंगे। जिस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के एक साल का लेखा जोखा होता है जिसको सदन में रखा जाता है और यह राज्यपाल पर निर्भर होता है कि उन्होंने पूरा अभिभाषण पढ़ना है या नहीं।राज्यपाल को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान की तरह ही सम्मान देना होता है।राज्यपाल की कार पर जिस तरह से मुक्के मारने और सुरक्षा कर्मियों पर जिस तरह से हाथ डाला गया है उसे सहन नहीं किया जा सकता है।सदन से पहली बार विधायकों को बाहर नहीं किया गया है इससे पहले भी इस तरह की घटना हो चुकी है।कांग्रेस के विधायकों के निलंबन को आपसी बातचीत से बहाल किया जा सकता है लेकिन कांग्रेस के विधायकों को पहले बिना किसी कंडीशन के राज्यपाल से माफी मांगनी होगी उसके बाद ही बातचीत से बहाली पर निर्णय लिया जा सकता है।सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री और मंत्री पहले ही पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांग चुका है अब बारी कांग्रेस की है पहले माफी मांगे उसके बाद निर्णय होगा। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि सत्तापक्ष और पक्ष ने मामले को लेकर अपना पक्ष रख दिया है जिस पर कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने भी चर्चा में भाग लेने की अध्यक्ष से इजाजत मांगी। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि राज्यपाल अभिभाषण पूरा नहीं देना चाहते इसकी जनाकारी विपक्ष को क्यों नहीं दी गयी।विपक्ष राज्यपाल का घेराव नहीं कर रहा था बल्कि शांतिप्रिय ढंग से अपना प्रदर्शन कर रहा था लेकिन सरकार ने राज्यपाल के जाने के रास्ते को क्यों क्लेयर नहीं करवाया उनको गमले के ऊपर से क्यों ले जाया गया।
शिमला ! विधानसभा बजट सत्र के तीसरे दिन के शुरू होते ही सदन में विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहले दिन हुए हंगामे को लेकर सदन में पॉइंट ऑफ आर्डर लाया और कहा कि कांग्रेस के विधायकों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की गई है जबकि सत्ता पक्ष के विधायक और मंत्री ने धक्के मुक्के शुरू की उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।सुखू ने कहा कि कांग्रेस के 5 विधायकों के निलंबन को वापिस लिया जाए अन्यथा कांग्रेस के विधायक सदन को नहीं चलने देंगे।
जिस पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के एक साल का लेखा जोखा होता है जिसको सदन में रखा जाता है और यह राज्यपाल पर निर्भर होता है कि उन्होंने पूरा अभिभाषण पढ़ना है या नहीं।राज्यपाल को राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय गान की तरह ही सम्मान देना होता है।राज्यपाल की कार पर जिस तरह से मुक्के मारने और सुरक्षा कर्मियों पर जिस तरह से हाथ डाला गया है उसे सहन नहीं किया जा सकता है।सदन से पहली बार विधायकों को बाहर नहीं किया गया है इससे पहले भी इस तरह की घटना हो चुकी है।कांग्रेस के विधायकों के निलंबन को आपसी बातचीत से बहाल किया जा सकता है लेकिन कांग्रेस के विधायकों को पहले बिना किसी कंडीशन के राज्यपाल से माफी मांगनी होगी उसके बाद ही बातचीत से बहाली पर निर्णय लिया जा सकता है।सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री और मंत्री पहले ही पूरे घटनाक्रम को लेकर माफी मांग चुका है अब बारी कांग्रेस की है पहले माफी मांगे उसके बाद निर्णय होगा।
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विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि सत्तापक्ष और पक्ष ने मामले को लेकर अपना पक्ष रख दिया है जिस पर कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने भी चर्चा में भाग लेने की अध्यक्ष से इजाजत मांगी।
कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि राज्यपाल अभिभाषण पूरा नहीं देना चाहते इसकी जनाकारी विपक्ष को क्यों नहीं दी गयी।विपक्ष राज्यपाल का घेराव नहीं कर रहा था बल्कि शांतिप्रिय ढंग से अपना प्रदर्शन कर रहा था लेकिन सरकार ने राज्यपाल के जाने के रास्ते को क्यों क्लेयर नहीं करवाया उनको गमले के ऊपर से क्यों ले जाया गया।
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