शिमला नागरिक सभा ने पानी की आपूर्ति के गम्भीर संकट को लेकर डीसी ऑफिस शिमला के बाहर खाली बर्तन लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। नागरिक सभा ने जनता को हर रोज़ पानी उपलब्ध करवाने की मांग की है। नागरिक सभा ने चेताया है कि अगर पानी व कूड़े के कुप्रबंधन को ठीक न किया गया तो नगर निगम के खिलाफ जनता सड़कों पर उतरेगी। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,डॉ कुलदीप तंवर,जगत राम,फालमा चौहान,सत्यवान पुंडीर,जगमोहन ठाकुर,ओ पी चौहान, व रामप्रकाश समेत कई कई कार्यकर्ता शामिल रहे।
नागरिक सभा सह संयोजक विजेंद्र मेहरा,डॉ कुलदीप तंवर,जगत राम,फालमा चौहान,जगमोहन ठाकुर व सत्यवान पुंडीर ने शिमला शहर में जन सुविधाओं की दयनीय स्थिति पर कड़ी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि शिमला शहर में पानी पांचवें से सातवें दिन मिल रहा था परन्तु अब कूड़ा भी कई-कई दिनों तक नहीं उठ रहा है। उन्होंने शिमला शहर में पांचवें से सातवें दिन पीने के पानी की आपूर्ति होने व कई दिन बाद भी कूड़ा नहीं उठने पर कड़ा रोष ज़ाहिर किया है। उन्होंने शिमला शहर में हर दिन पानी की आपूर्ति व हर रोज़ कूड़ा उठाने की मांग की है। स्मार्ट सिटी की डींगें हांकने वाला नगर निगम शिमला जो बिलों में हर वर्ष दस प्रतिशत इज़ाफ़ा कर रहा है,वह न तो जनता को पानी की आपूर्ति कर पा रहा है और न ही घरों से कूड़ा उठा पा रहा है। हैरानी इस बात की है कि पानी और कूड़े की अव्यवस्था के मुद्दे पर कोई भी जनता की सुध लेने को तैयार नहीं है। यह नगर निगम की जनता के प्रति संवेदनहीनता है व बिना सुविधा के पूरा बिल लेकर जनता की जेबों पर डाका है। जब जनता पानी व कूड़े का हर दिन का बिल चुका रही है तो लोगों को हर दिन पानी की आपूर्ति होनी चाहिए व कूड़ा हर दिन निरन्तर उठना चाहिए।
विजेंद्र मेहरा ने हैरानी व्यक्त की है कि हर दिन चौबीस घण्टे पानी देने की डींगें हांकने वाला नगर निगम शिमला जनता को कई-कई दिनों तक पानी मुहैया नहीं करवा पा रहा है। कई-कई दिन बाद भी कूड़ा न उठने से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की पोल खुल गयी है। उन्होंने मांग की है कि जनता से उतने ही दिनों का बिल वसूला जाए जितने दिन उन्हें कूड़े की सुविधा उपलब्ध हो। उनका बाकी बिल माफ होना चाहिए। उन्होंने पानी के मुद्दे पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने के कदम का स्वागत किया है व उम्मीद ज़ाहिर की है कि माननीय उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद शायद व्यवस्था सुधरेगी। उन्होंने कहा कि नगर निगम के पास आज भी 40 एमएलडी पानी की आपूर्ति हो रही है तो फिर शिमला शहर के सभी क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति पांचवें से सातवें दिन क्यों हो रही है। उन्होंने नगर निगम शिमला,शिमला जल प्रबंधन निगम लिमिटेड व जलशक्ति विभाग की कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। शिमला शहर में पानी के गम्भीर संकट से इन तीनों संस्थाओं की कार्यप्रणाली व सामंजस्य की पोल खुल गयी है। पानी के गम्भीर संकट पर नगर निगम शिमला की लचर कार्यप्रणाली व प्रदेश सरकार का संवेदनहीन रवैया बेहद चिंताजनक है।