बिलासपुर ! आजादी का अमृत महोत्सव समारोह राहियां में किया गया आयोजित !

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बिलासपुर ! भाषा एवं संस्कृति विभाग तथा स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण परिषद के संयुक्त तत्वाधान में आज राहियां में आजादी का अमृत महोत्सव समारोह आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश के निदेशक पंकज ललित ने कहा कि आजादी के 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पूरे प्रदेश में आजादी का अमृत महोत्सव समारोह मनाए जा रहे है और इसी कड़ी में राहियां में आयोजित कार्यक्रम में बिलासपुर जिला से सम्बन्धित स्वतंत्रता सेनानियों, उनकी विरांगनाओं और आश्रितों को सम्मानित करते हुए हम सब गर्व और सम्मान महसूस कर रहे है।

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उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुए कहा कि देश को आजाद कराने में देश भक्तों की अहम भूमिका व संघर्ष रहा है। आजादी की लड़ाई में न केवल प्रदेश बल्कि बिलासपुर जिला भी पीछे नहीं रहा। पंझौता आंदोलन, धामी कांड तथा प्रजा मण्डल आंदोलन में बिलासपुर के अनेक स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना योगदान दिया है।

उन्होंने कहा कि गुलामी का मतलब क्या होता है ये उन लोगों से पूछा जा सकता है जिन्होंने अंग्रेजों, मुग्लों और राजाओं की गुलामी देखी है। उन्होंने कहा कि देश को स्वतंत्र कराने वाले अमर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों के जज्बे को सलाम करते है जिन्होंने अपनी जान की कुर्बानी देकर इस देश को आजाद करवाया।
उन्होंने राहियां कांड के संस्मरण भी रखें और प्रदेश द्वारा राजत्व दिवस की स्वर्ण जयंती वर्ष मनाए जाने से सम्बन्धित कार्यक्रमों से भी लोगों को अवगत करवाया।

इस मौके पर उन्होंने शहीद स्मारक भवन के लिए जमीन का दान देने के लिए सेवानिवृत्त महानिदेशक पुलिस आईडी भण्डारी का धन्यवाद किया। इससे पूर्व उन्होंने शहीद स्मारक राहियां में श्रद्धा सुमन पुष्प भेंट किए और स्वतंत्रता सेनानी भवन की आधारशिला के उपरांत ध्वजा रोहण किया गया। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण परिषद के राज्य अध्यक्ष प्रेम लता शास्त्री, सुभाष गुप्ता, सुरेश भारद्वाज, ध्वनि प्रसार सेवा एवं कवरेज के लिए सूचना एवं जन विभाग का आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में मौजूद सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आईडी भण्डारी ने राहियां कांड का जिक्र करते हुए कहा कि बिलासपुर के राजा आनंद चंद ने वर्ष 1946-48 तक बिलासपुर को भारत में विलय करने के लिए कोई न कोई बाहाना बनाकर लगातार टालते रहे। जब बात बनती नहीं दिखी तो दिल्ली से यही ईशारा हुआ की बिलासपुर राजा के खिलाफ बगाबत की जाए जिसके फलस्वरूप राहियां कांड का उदय हुआ।

उन्होंने अमर शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धाजंलि व्यक्त करते हुए कहा कि क्या हम भगत सिंह, सुख देव और राजगुरू को भुल सकते है। क्या हम चंद्रशेखर और नेता जी सुभाष को भुल सकते है। जाने कितने ही अनेक नाम है जिन्होंने भारत की इस पवित्र भूमि को अपने लहू से सिंचा है।

इस मौके पर बिलासपुर के स्वतंत्रता सेनानी सहज राम (बड़ोआ), बुद्धि राम (पंतेहड़ा), शालीग्राम (पेहड़वीं) के अतिरिक्त मरणोपरांत स्व. नरोतम दत्त शास्त्री, गांधी राम गुप्ता, दुर्गा राम, गंगा राम, वंशी राम, धनी राम, सिपरु राम, लौहरु राम, मुंशी राम, लश्करी राम, श्रवण कुमार शर्मा, लेख राम भारद्वाज और प्रेम सागर की विरांगनाओ और आश्रितों को सम्मानित किया।

नटराज कला मंच घुमारवीं का पूजा नृत्य और उत्सव संस्था मण्डी की नाट्य प्रस्तुति लोगों का आकर्षण रही।
इस कार्यक्रम में जिला भाषा अधिकारी रेवती सेणी, कल्याण परिषद के राज्य अध्यक्ष प्रेम लता शास्त्री, स्थानीय पंचायतों के पदाधिकारी व ग्रामवासी उपस्थित रहे।

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