चम्बा ! जहां एक तरफ सरकार कोरोना के इस दौर में शिक्षा को लेकर काफी चिंतित दिख रही है वही दूसरी तरफ सरकार द्वारा स्कूलों में अध्यापक तैनात ना किए जाने की वजह से छात्रों को पढ़ाई में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश में बहुत से ऐसे स्कूल हैं जिन्हे सरकार द्वारा खोल दिया गया हैं लेकिन वहां पर अध्यापक ना होने की वजह से छात्रों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है। चम्बा जिला के विधानसभा क्षेत्र डलहौजी के शिक्षा खंड सलूणी की बात करें तो यहां के राजकीय उच्च पाठशाला भद्रोह में अधिकतर विषयों के अध्यापक ना होने की वजह से छात्र आज शिक्षा से वंचित रह रहे हैं।
सरकार द्वारा 27 तारीख से स्कूल तो खोल दिए गए हैं लेकिन यहां पर बहुत से ऐसे विषय हैं जिनके अध्यापक ही तैनात नहीं किए गए हैं। यहां पर एक अध्यापक को डेपुटेशन पर प्रागपुर भेज दिया गया और हैरानी की बात यह है कि प्राणपुर में पहले से ही उस विषय के दो अध्यापक मौजूद हैं। अब सरकार की इस दो तरफा नीति को देख वहां के एसएमसी सदस्यों ने एक बैठक का आयोजन किया जिसमें यह निर्णय लिया गया कि अगर शिक्षा विभाग द्वारा 1 सप्ताह के भीतर स्कूलों में इस स्कूल में रिक्त पदों पर अध्यापकों की तैनाती नहीं की गई तो वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे। क्योंकि अगर स्कूल में अध्यापक ही नहीं होंगे तो यहां पर बच्चों को भेजने का क्या फायदा।
यहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि सरकार ने स्कूल तो खोल दिए हैं लेकिन यहां पर पुरे अध्यापक तैनात नहीं है जिसकी वजह से बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं छात्रों ने भी बताया कि वह स्कूल तो पहुंच गए हैं लेकिन यहां पर बिना अध्यापकों के उन्हें काफी परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा पहले ही ऑनलाइन क्लासेस की वजह से उन्हें पढ़ाई में काफी नुकसान हुआ है और अब जब स्कूल खुल चुके हैं और यहां पर अध्यापक नहीं है तो उन्हें और भी नुकसान हो सकता है।
वही पंचायत के उपप्रधान व एसएमसी अध्यक्ष ने यह बताया कि उनके स्कूल में जिस शिक्षक की तैनाती की गई थी उसे प्रागपुर भेज दिया है और हैरानी की बात है कि वहां पर पहले से ही उस विषय के दो अध्यापक तैनात हैं तो इस तरह सरकार उनके बच्चों की शिक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर 1 हफ्ते के भीतर यहां पर शिक्षकों को वह तैनाती नहीं की गई तो अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे।