शिमला ! सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रिज मैदान के एक हिस्से के धसने पर चिंता – मार्क्सवादी !

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शिमला ! भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) की जिला कमेटी शिमला शहर की ऐतिहासिक धरोहर व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रिज मैदान के एक हिस्से के धसने पर चिंता व्यक्त करती है तथा इसके संरक्षण को लेकर नगर निगम शिमला व प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैये की कड़ी निंदा करती है। इसका एक हिस्सा लगभग एक दशक से अधिक समय से क्षतिग्रस्त हो रहा है और हर वर्ष बरसात के मौसम में इस क्षतिग्रस्त भाग में दरारें पैदा हो जाती है और सरकार मात्र लीपापोती कर अपना पल्ला झाड़ देती है। पार्टी मांग करती है कि सरकार व नगर निगम शिमला रिज मैदान के संरक्षण व जीर्णोद्धार के लिए योजना बनाकर तुरन्त इस पर अमल करे।
रिज मैदान ऐतिहासिक व सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके नीचे 45 लाख लीटर क्षमता का पेयजल भंडारण टैंक है जहाँ से प्रतिदिन शहर के लगभग 40 प्रतिशत भाग में पेयजल की आपूर्ति की जाती है। यदि समय रहते इसका संरक्षण व जीर्णोद्धार नहीं किया गया तो शहर में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। नगर निगम शिमला व प्रदेश सरकार इसके संरक्षण में बिल्कुल भी संजीदा है। सरकार इसके संरक्षण के लिए कोई ठोस योजना नहीं बना रही है केवल मात्र कागज़ी कार्यवाही व बयानों तक ही सीमित है।
पूर्व नगर निगम ने वर्ष 2012 में इसके संरक्षण, जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण के लिए एक व्यापक योजना बनाने का कार्य आरम्भ किया था तथा लोक निर्माण विभाग के आर्किटेक्ट प्लानर के सहयोग से 30 करोड़ रुपए की लागत से एक व्यापक परियोजना तैयार की गई थी। इसका IIT रुड़की से से सर्वेक्षण व आंकलन करवाया गया था। IIT रुड़की ने जो अपनी रिपोर्ट दी थी उसमें स्पष्ट किया था कि इस स्थान पर 4 मीटर से 9 मीटर तक मिट्टी है तथा उसके बाद चट्टान है। इस रिपोर्ट के आधार पर जो परियोजना बनाई गई थी उसमें इस मिट्टी को उठाकर चट्टान पर एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, पार्क व सैरगाह तैयार करने की योजना बनाई गई थी। इसका सारा ख़र्च नगर निगम द्वारा वहन किया जाना था और सरकार से इसके लिए कोई भी राशि नहीं ली जानी थी। 2015 में यहाँ से तिबितीयन मार्किट को उठाकर लिफ्ट पर एक आजीविका भवन का निर्माण आरम्भ किया गया था परन्तु नगर निगम की इस परियोजना को लेकर सरकार से इसके निर्माण के लिए स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजती रही परन्तु तत्कालीन सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति प्रदान नहीं की गई। आज भी इस परियोजना की फ़ाइल नगर निगम के पास धूल फांक रही है।
आज बीजेपी शासित नगर निगम व सरकार बने 4 वर्ष हो रहे हैं और शहर के विधायक शहरी विकास मंत्री है। यह अत्यंत अफसोसजनक है कि न तो नगर निगम न ही सरकार व शहरी विकास मंत्री इसके संरक्षण के लिए संजीदा है। मौजूदा नगर निगम व सरकार में शिमला शहर के विकास के लिये कोई भी ठोस योजना नहीं है और केवल राजनेता, अफसरशाही व ठेकेदार का गठजोड़ ही हावी है। शहर का विकास केवल चेहते ठेकेदारों की मर्जी पर निर्भर हो गया है और अधिकांश योजनाएं इनको लाभ देने के लिए ही बनाई जा रही है। बीजेपी की सरकार व नगर निगम केवल मात्र ठेकेदारों की हितैषी बनकर कार्य कर जनता के प्रति अपने उत्तरदायित्व को भूल गई है।
नगर निगम शिमला व सरकार यदि समय रहते रिज मैदान के संरक्षण व जीर्णोद्धार के कार्य को तुरंत आरम्भ नहीं करती तो सीपीएम जनता को लामबंद कर सरकार के इस ढुलमुल रवैये के विरुद्ध आंदोलन करेगी।

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