कुल्लू ! पुराने वन मार्गों के जरिये दूर-दराज के गाँवों को दी जा रही सड़क सुविधा – सुरेन्द्र शौरी।

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फाइल चित्र
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कुल्लू ! बंजार विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत सरची पंचायत के बान्दल से शलवाड़-सरची सड़क का निर्माण कार्य आजकल प्रगति पर है। सरची गाँव सड़क सुविधा से काफी पहले ही जुड़ गया है, परंतु इसी पंचायत के अन्तर्गत दैवीय व पर्यटन महत्व रखने वाले सलवाड़ गाँव की एक बड़ी आबादी अभी भी सड़क सुविधा से महरूम है। नगलाड़ी-सरची मुख्य सड़क से यह गाँव अछूता रहा है व अभी भी यहां के बागवानों व कृषकों को अपने उत्पादों के वहन के लिए बड़ी कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती है। सड़क निर्माण के रास्ते में निजी भूमि ना होकर वन भूमि का होना सड़क निर्माण के मार्ग में मुख्य बाधा रही है। परंतु वर्तमान में वन विभाग के माध्यम से इस गाँव के लिए सड़क सुविधा पहुंचाई जा रही है। जिसके लिए स्थानीय पंचायत प्रतिनीधियों बीडीसी सदस्या लीला देवी, प्रधान रामेश्वरी, उप प्रधान, सुरेन्द्र ठाकुर, दुनी चंद, भूपेन्द्र डोड, हुक्म सिंह आदि ने विधायक बंजार सुरेन्द्र शौरी का आभार प्रकट किया है। युवा विधायक बंजार सुरेन्द्र शौरी ने जानकारी देते हुए कहा कि गत बर्ष बंजार विधानसभा क्षेत्र में वन विभाग से वन विभाग के दस्तावेजों में मौजूद पुराने घुड़मार्गों, साईकल मार्गों को पुनर्जीवित करने के लिए पत्राचार किया गया था।

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तत्कालीन वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर जी से भी वन विभाग के दस्तावेजों में मौजूद पुराने मार्गों के पुनर्निर्माण व मुरम्मत के लिए विशेष अनुरोध किया गया था, जिसमें बान्दल-सलवाड़ मार्ग भी शामिल था। जयराम सरकार ने विकास की संभावनाओं को आगे बढ़ाते हुए इस सड़क की विशेष मुरम्मत के लिये 10 लाख रु0 की राशि स्वीकृत की है। इस वित बर्ष में भी इस मार्ग के कार्य को पूर्ण करने के लिये उच्च स्तर पर अतिरिक्त राशि के लिए पत्राचार किया गया है। विधायक बंजार ने कहा कि समूचे विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए हमने बढ़ चढ़ कर प्रयास किए हैं, बंद पड़े विकास कार्यों को आगे बढ़ाने की संभावनों पर गौर किया है।

हमने वन संबर्धन के साथ विकास के संकल्प को आगे बढ़ाया है। इसी तरह बाहु से धारा-लुशाल गाँव के लिए व अन्य दर्जनों पुराने वन मार्गों को वन विभाग के माध्यम से दुरुस्त किया गया है। इसके लिए अलग अलग मदों से राशि जारी की गई है व सबंधित विभागों के माध्यम से विकास कार्यों को आगे बढ़ाया है।रमणीय व अभूतपूर्व दृश्यों को संजोए हुए गाँवों के लिए ब्रिटिश काल में ये वन मार्ग बनाए गए थे। पर्यटन की दृष्टि से इन मार्गों की महता को समझते हुए वन विभाग के माध्यम से पुनर्जीवन्त करने के लिए हमने पहल की है।

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