चम्बा ! चम्बा जिले में इस बार ऊंची पहाड़ियों पर कम बर्फबारी का असर साफ तौर से देखने को मिल रहा है। नदी नालों का जल स्तर कम हो गया है और समय से पहले गर्मी ने लोगों के माथे पर चिंताओं की लकीरें खींच दी है। कुछ प्राकृतिक जल स्त्रोत सुख चुके है तो कुछ एक सूखने के कगार तक पहुंच वाले है। पानी की किल्लत से परेशान ग्रामीण लोगों का कहना है कि अगर आगे भी बारिश नहीं हुई तो लोगों की फसल तो तबाह हो ही जाएगी वहीं लोगों को पानी तक पीने को नहीं मिलेगा।
गांव मसरूण्ड की बात करें तो यहाँ सबसे बड़ी किल्ल्त है तो वह पानी की है। वैसे तो इस क्षेत्र में पानी की समस्या साल दर यूँ ही बनी रहती है पर इस बार बारिश और बर्फ़बारी कम होने से यह मुश्किलें और भी बढ़ सकती है। मसरूण्ड के साथ लगते गांव कुट के रहने वाले 92 वर्षीय एक बजुर्ग ने हमे बताया कि पिछले एक सप्ताह से इतनी ज्यादा गर्मी हो गई है की कुछ कहा नहीं जा सकता है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां पर पानी की बहुत ज्यादा किल्ल्त है। यह बजुर्ग प्रदेश सरकार से अपने इस क्षेत्र में पानी की समस्या को जल्द हल करवाने की गुहार लगा रहे हैं।
गांव हो या फिर शहर के इलाके हर जगह देखा जा सकता है कि लोग किस तरह से पानी को लेकर तरस रहे है। आपको बता दे कि जिले में एक साथ तीन नदियों बहने के बाबजूद भी चम्बा जिले के रहने वाले लोग बिन पानी के तरस रहे है। यंहा की स्थानीय महिला ने बताया कि हमारे यंहा पर पानी की बहुत ज्यादा किल्ल्त है। और पीने का पानी खड्ड से लाना पड़ता है। यह पानी की समस्या केवल एक महिला की नही है पर पूरे ग्रामीणों की है। इस क्षेत्र में पानी की इतनी समस्या है कि स्थानीय लोग पानी को अपनी स्कूटी में ढोने को मजबूर है। वहीं एक फौजी जवान ने बताया कि इस समस्या को लेकर हमने विभाग से कई बार गुहार लगाई है पर अभी तक इसका कोई समाधान नही हो पाया है। एक बार फिर ग्रामीणों ने विभाग व सरकार से इस पानी की समस्या के हल की गुहार लगाई है।