हिमाचल ! सरकारी खजाने को 200 करोड़ रुपये का चूना लगने के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के अफसरों पर शिकंजा कस दिया है। सरकार ने महकमे के अधिशासी अभियंताओं (एक्सईएन) की शक्तियों पर कैंची चला दी है। एक्सईएन को अब छोटे से छोटे काम के लिए भी टेंडर करना होगा। इससे पहले एक लाख रुपये तक के काम एक्सईएन बिना टेंडर करवा सकते थे।
अब हर काम के टेंडर की सूचना उपायुक्त, पंचायत, खंड विकास अधिकारी और उपमंडल स्तर के सभी ठेकेदारों को देनी होगी। इसके अलावा लोनिवि कार्यालय के बाहर सूचना पट्ट पर भी विकास कार्यों के टेंडर को दर्शाना अनिवार्य किया गया है। लोनिवि के इंजीनियर इन चीफ भुवन शर्मा ने इसके लिखित आदेश जारी कर दिए हैं। यही नहीं, जिस ठेकेदार को काम आवंटित हुआ है, अब उसे मौके पर काम करना ही होगा। ठेकेदार ने किसी दूसरे को काम सबलेट किया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
10 अफसर हो चुके हैं चार्जशीट
धांधली कर सरकार को चूना लगाने वाले 10 अफसरों को चार्जशीट किया जा चुका है। इन अफसरों ने क्लास वन के ठेकेदारों को सी और डी क्लास के ठेकेदारों के काम आवंटित कर दिए थे। सड़कों, डंगों और भवन मरम्मत के विकास कार्यों में भी धांधलियों के आरोप लगे थे। सरकार को अभी भी शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ नेता अपने चहेतों को काम देने के लिए एक्सईएन पर दबाव बना रहे हैं। कई अधिकारी कमीशन के चक्कर में ठेकेदारों को काम दे रहे हैं। तमाम तरह की शिकायतों के बीच सरकार ने अब शिकंजा कस दिया है।
व्यवस्था बदली गई है। एक्सईएन को अब छोटे से छोटे कार्य के लिए भी टेंडर आमंत्रित करना होगा। इसकी सूचना पंचायत, उपायुक्त, खंड विकास अधिकारी और उपमंडल स्तर के सभी ठेकेदारों को देनी होगी।