लाहौल ! जनजातीय जिला लाहौल घाटी में बसंत पचमी शुरू हो गई है जो लाहौल घाटी में शीत पुत्र के नाम जानी जाती है। माघ महीने मकर संक्रान्ति से माघ 21 दिन तक भ्रमण काल रहता है। पहले 15 दिन नदी पर इनका भ्रमण रहता हैं।16 वे दिन नदी के तट पर ओर 17वे दिन खेत खलियान पर 18वे दिन आम रास्ते पर 19वे पर घोड़े – गायों के आराम स्थल पर 20वे दिन पर्वत पर 21वे दिन जरिम हिमन्नद में समा जाता है। बुजुर्गो की दन्त कथा के अनुसार इस दिन इनका शरीर पिघलते -2 सुई के बराबर रह जाता हैं, इस नदी में हिमखंडों के पिघलने की रफ्तार बढ़ जाती हैं, लोट या शांशा गावं के राहगीर का सामना इस शीत पुत्र से हुआ, शीत पुत्र ने उस राहगीर से कहा कि आप वापस घर चले जाओ ,पर उसने उसे धर्म भाई कह कर बोला कि भाई में तो भेड़ चराने वाला भेड़ पालक हूं पर आप कौन है , तो उसने कहा कि में शीत मतलब शीत पुत्र हूं। आप ने किसी से भी नहीं बोलना की मुझे शीत पुत्र मिला, ऐसी गलती कभी भी नहीं करना और मेरा भेद लेने की कोशिश नहीं करना । एक दिन उस भेड पालक ने गांव के कार्यक्रम में लोगो को बोला कि मुझे एक दिन शीत पुत्र मिला था , पर लोगो ने झूठ समझा। इतना बोलते ही वह भेड पालक शीत शीत बोलते बोलते ठंड से कांप उठा ,और ठंड – ठंड बोलते बोलते उसकी मौत हो गई।
लाहौल ! जिला लाहौल घाटी में बसंत पंचमी शुरू।
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